चिदंबरम ने माना- राहुल मामले में नहीं मिल रहा जनता का समर्थन; समर्थन में जनता तो दूर कांग्रेसी भी नहीं पहुँचे
SG मोदी सरनेम मामले से पहले तीन बार माफी मांग चुके राहुल गांधी पार्टी के लिए बोझ बन गए हैं। सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी पर मानहानि के 6 केस दर्ज हैं और वह सात मामलों में जमानत पर हैं। कांग्रेस की निगेटिव राजनीति को लोग नकारने लगे हैं।राहुल गाँधी की लोकसभा सदस्यता समाप्त होने के बाद कांग्रेस द्वारा आयोजित सत्याग्रह में कई कांग्रेसी भी रुचि नहीं ले रहे हैं। इन सभाओं में भीड़ न जुटने पर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के हाईकमान वाले नेता नाराज हैं। पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को निष्क्रिय बता कर 86 नेताओं के नाम भेजे जाने के दावे किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इन नेताओं पर कांग्रेस आला कमान जल्द कार्रवाई कर सकता है। इस कार्रवाई में पार्टी में महत्वहीन पद देना और आने वाले चुनावों में बड़ी जिम्मेदारी से अलग करना भी शामिल हैं।टीवी परिचर्चाओं में भाजपा द्वारा एक बात बड़ी प्रमुखता से कही जाती है, पार्टी ही राहुल को गंभीरता से नहीं ले रही। जहां तक सदस्यता जाने की बात है, इसके पीछे भी कांग्रेस का ही हाथ होता प्रतीत हो रहा है। मुस्लिम मुद्दों पर कांग्रेस में एक से बढ़कर एक धुरन्दर वकील खड़े हो जाते हैं, लेकिन राहुल के मुद्दे पर सभी के खामोश रहने के पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र जान पड़ता है। किसी ने राहुल को माफ़ी मांगने तक के लिए नहीं कहा।
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से खबर दी जा रही है कि पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने धरने-प्रदर्शन से दूर नेताओं को कार्रवाई का इशारा भी कर दिया है। उन्होंने कहा कि पार्टी लाइन पर न चलने वाले नेताओं की कांग्रेस में कोई जरूरत नहीं है। जयपुर के एक सम्मेलन में खुद वह पहले पहुँच गए थे, लेकिन अन्य कार्यकर्ता बाद में आए। इस दौरान उन्होंने यह भी पाया कि पार्टी मुख्यालय की तरफ से भेजे गए पोस्टरों को अनदेखा कर के जयपुर जिला टीम ने अपना खुद का पोस्टर बना डाला था। इस बात से डोटासरा का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया।गोविन्द सिंह डोटसरा ने गुस्से में यह तक कह डाला कि पर्दे के पीछे जो भी लोग खेल कर रहे हैं उन पर पार्टी की नजर है। धरने-प्रदर्शन से दूर लोगों गोविन्द सिंह ने 6 महीने का अल्टीमेटम दिया। उन्होंने कहा कि इसके बाद पार्टी लाईन से हट कर चल रहे लोग कांग्रेसी नहीं रह जाएँगे। राहुल गाँधी की लोकसभा सदस्यता खत्म होने का जिक्र करते हुए गोविन्द सिंह ने कहा कि अब भी जिसका खून नहीं खौल रहा है उसके कांग्रेसी होने पर प्रश्नचिन्ह है। अंत में उन्होंने राहुल के साथ नहीं तो कांग्रेसी नहीं भी कहा।
राहुल गाँधी की शान में कसीदे गढ़ते हुए गोविन्द सिंह ने कहा, “लानत है ऐसी राजनीति के ऊपर। ऐसी पार्टी जिसने हमें मान सम्मान दिया। ऐसा नेता जिसने इस देश को अपने और अपने परिवार के खून से सींचा है। अगर उसके ऊपर इस तरह की बात आती है तो मान लो कि देश के हर नागरिक को तैयार रहना चाहिए। जो AC के अंदर बैठे TV पर कौन आया-कौन गया देख रहे हैं ऐसे कांग्रेसियों की हमको जरूरत नहीं है।”
राहुल, प्रियंका और सोनिया के ऊलजलूल बयानों से अब कांग्रेसी भी जरुरत से ज्यादा दुःखी हो चुके हैं। कुछ कांग्रेस समर्थकों का मत है कि जब तक कांग्रेस परिवार की गुलामी में रहेगी, इसका डूबना निश्चित है। ये तीनों बोलने से पहले बिलकुल भी नहीं सोंचते कि जनता का मत क्या है और हमें क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं।
चिदंबरम ने माना- राहुल मामले में नहीं मिल रहा जनता का समर्थन सारे मोदी चोर हैं’ बयान पर सूरत कोर्ट से दोषी ठहराए जाते ही कानून के अनुसार कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म हो गई। सूरत कोर्ट से मौका दिए जाने पर भी नाखून कटाकर शहीद होने की कोशिश में राहुल गांधी ने माफी मांगने से इनकार कर दिया। जबकि राहुल गांधी इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में तीन बार माफी मांग चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी को ‘पीड़ित दिखाओ और कांग्रेस बचाओ’ अभियान के तहत वकीलों की फौज होते हुए भी पार्टी ने विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश की।राहुल गांधी को अयोग्य ठहराने जाने पर प्रियंका गांधी वाड्रा सहित पार्टी के तमाम नेताओं ने मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव बनाने के लिए देश भर में धरना प्रदर्शन और सत्याग्रह किया। दिल्ली सहित अन्य जगहों पर काले कपड़ों में विरोध प्रदर्शन किया गया। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में जिस तरह से पिछड़ी जाति का अपमान किया है, उससे पार्टी को आम लोगों का समर्थन नहीं मिल रहा है। कांग्रेस के सीनियर लीडर पी चिदंबरम ने यह स्वीकार भी किया है कि राहुल गांधी को लेकर पार्टी को आम लोगों का समर्थन नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने माना कि राहुल के समर्थन में लोग सड़कों पर नहीं उतर रहे हैं।
इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई के साथ बातचीत में जब चिदंबरम से पूछा गया कि राहुल गांधी के अयोग्य होने के बाद जनता उनके समर्थन में आंदोलन करने क्यों नहीं आ रही है। तो उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से लोग प्रदर्शन करने सड़क पर नहीं उतर रहे हैं। सीएए मामले में भी सिर्फ मुसलमानों ने प्रदर्शन किया। हैरानी है कि दूसरे देशों की तरह लोग यहां प्रदर्शन करने नहीं आ रहे हैं। ये निराशाजनक है कि राहुल मामले में भी लोगों में कोई गुस्सा नहीं दिख रहा है।
सोनिया-राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस मुक्त भारत की ओर पार्टी वर्तमान में भले ही मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष हैं लेकिन ये सभी जानते हैं कि मनमोहन सिंह की तरह उनका भी संचालन रिमोट कंट्रोल से हो रहा है। पार्टी के लिए गांधी परिवार ही सब कुछ है। पार्टी के सभी नेताओं के लिए सर्वेसर्वा सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही हैं। जिस राहुल गांधी के लिए पार्टी के नेता फिलहाल धरना-प्रदर्शन में लगे हैं उनके नेतृत्व में पार्टी 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही पतन की ओर है। लोकसभा-विधानसभा से लेकर नगर निकायों के चुनावों तक में पार्टी को लगातार मुंह की खानी पड़ रही है। 2014 के बाद से अब तक 8 साल में 53 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, इनमें से 44 में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस अब देश के कुछ राज्यों तक में सिमट कर रह गई है। इनमें भी सिर्फ दो राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार और कांग्रेसी मुख्यमंत्री हैं। झारखंड में पार्टी छोटे सहयोगी दल की भूमिका में है। राहुल गांधी के कारण पार्टी के सैकड़ों जनाधार वाले नेता पार्टी छोड़कर बाहर जा चुके हैं।