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आईसीएमआर ने जताई संभावना
• वृद्धि को लेकर चिकित्सक भी हैं चिंतित
मुंबई
पिछले कुछ सालों से तेजी से कैंसर के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, आनेवाले दो सालों के बीच कैंसर का कहर बढ़ जाएगा। साल २०२५ तक कैंसर मरीजों की संख्या में १२.८ प्रतिशत की वृद्धि होने का खतरा है। आईसीएमआर ने संभावना जताई है कि नौ हिंदुस्थानियों में से एक को वैंâसर होने की प्रबल संभावना है। दूसरी तरफ मुंबई समेत देश के सभी बड़े शहरों के चिकित्सकों ने कैंसर मरीजों के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए चिंता जताई है। इसके साथ ही वे नियमित जांच कराते रहने की सलाह भी दे रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, हिंदुस्थान में हृदयरोग और सांस की बीमारियां ही नहीं, बल्कि कैंसर के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। बंगलुरु के आईसीएमआर-नेशनल सेंटर फॉर डिसीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च के अनुसार, २०२५ तक हर तरह के कैंसर के मामलों में २७.७ प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। शून्य से १४ उम्र के बच्चों में ज्यादातर लिंफोइड ल्युकेमिया नामक ब्लड से संबंधित कैंसर होने का खतरा रहता हैं। वर्ष २०२५ के लिए पुरुषों और महिलाओं में होनेवाले फेफड़े के ८१,२१९ और स्तन के कैंसर की संख्या २,३२,८३२ होने की संभावना है।
लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से करें संपर्क
ऑन्कोलॉजिस्ट और हेमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट के कंसल्टेंट मेडिकल डॉ. सुहास आग्रे ने कहा कि बुढ़ापा, पारिवारिक इतिहास, अनुवांशिकी, मोटापा, तंबाकू का सेवन, शराब, वायरल संक्रमण जैसे ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी), रसायन, प्रदूषण, सूरज से यूवी किरणें, खराब आहार, शारीरिक गतिविधि की अनुपस्थिति, कुछ हार्मोन और बैक्टीरिया से वैंâसर हो सकता है। वैंâसर के कुछ भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉ. आग्रे ने आगे कहा कि वैंâसर को दूर रखने के लिए तंबाकू और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही संतुलित आहार का सेवन और रोजाना व्यायाम करना चाहिए। इसके अलावा खुद को सूरज की यूवी किरणों से बचाते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस बी, ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के लिए टीका लगवाएं। नियमित स्क्रीनिंग के लिए जाएं। प्रदूषण के जोखिम को कम करें। यदि किसी के पास वैंâसर का पारिवारिक इतिहास है तो कम उम्र में ही जांच या परीक्षण करवाएं।
कम उम्र में युवा हो रहे कैंसर के शिकार
झेन मल्टिस्पेशालिटी अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. तनवीर अब्दुल मजीद ने कहा कि हिंदुस्थान में वैंâसर न केवल बड़ी आबादी, बल्कि वयस्कों को भी प्रभावित कर रहा है। देश में कम उम्र के युवा वैंâसर के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैंâसर का समय पर इलाज न होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्थान में पुरुषों में सिर और गर्दन के बाद फोड़े और प्रोस्टेटिक सबसे आम वैंâसर हैं, जबकि महिलाओं में स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर हैं। पुरुष से महिला का अनुपात १.५:१ है, क्योंकि कई कैंसर महिलाओं में खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे अभ्यास में देखे जाने वाले सबसे आम कैंसर दोनों लिंगों में फेफड़े के इसोफेजियल और कोलोरेक्टल कैंसर हैं। इसके बाद महिलाओं में स्तन कैंसर हैं।
छात्र का अरमान रह गया अधूरा
बोन वैंâसर से जूझ रहे १६ वर्षीय छात्र का अंतिम अरमान इस साल १०वीं बोर्ड की परीक्षा देकर अच्छा अंक लाना था। लेकिन उसका यह अरमान अधूरा ही रह गया, क्योंकि बोर्ड परीक्षा शुरू होने से दो दिन पहले ही उसकी जिंदगी की लौ को कैंसर ने बुझा दिया। छात्र के परिजनों के अनुसार, बोन कैंसर के चलते उसका दाहिना हाथ प्रभावित हो गया था। वह पिछले साल भी परीक्षा देने बैठा था लेकिन उसने जिद कर लिया था कि वह पेपर लिखने के लिए किसी की मदद नहीं लेगा, जिसका नतीजा यह हुआ कि वह फेल हो गया। बता दें कि मुंबई के कुर्ला स्थित होली क्रॉस हाई स्कूल के छात्र कार्तिक कनौजिया को बोन कैंसर हुआ था, जिसका पता उसके परिजनों को साल २०२० में कोरोना महामारी के दौरान चला था। हालांकि, उस समय सभी स्कूल ऑनलाइन चल रहे थे। जैसे-जैसे साल बीतता गया छात्रों को अपने असाइनमेंट जमा करने के लिए विशेष समय स्लॉट के दौरान स्कूल आने के लिए कहा गया। कार्तिक की शिक्षिका मीनाक्षी आप्टे के अनुसार, कार्तिक देरी से आता था। ऐसे में एक दिन स्कूल सुपरवाइजर ने उसे देर से आते हुए पकड़ लिया। उससे देरी के लिए पूछताछ करने पर पता चला कि लड़के के दाहिने हाथ में हड्डी का कैंसर था।