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मध्य प्रदेश में दिख रहा संगठन का बिखराव…अब कभी नहीं बन सकती भाजपा सरकार!

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  • एमपी, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में करीब है विधानसभा चुनाव
  • मध्य प्रदेश में पार्टी के सर्वे से हुआ खुलासा

 भोपाल
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक, तीन राज्य जहां चुनाव करीब हैं जहां भाजपा अपने लिए मुश्किलें देख रही है। भाजपा सरकार बनाने का दावा नहीं कर पा रही है। वजह भी दिख रही है, लेकिन लीडरशिप के पास कोई उपाय नहीं है। मध्य प्रदेश में भाजपा के सर्वे से पता चला है कि सीटें १०० से कम ही रहेंगी और इतने में सरकार नहीं बन सकती। वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में भाजपा के पास कोई सीएम फेस ही नहीं है। कर्नाटक में भी यही हाल दिखाई दे रहा है। इन सबके बाद भी सर्वे में जो तथ्य सामने आया है वह चौंकाने वाला है। इन राज्यों की जनता का मत है कि जनता को राहत देने की बजाए भाजपा की सरकार के मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक सभी बढ़ती महंगाई पर कोई बात नहीं करते हैं जबकि जनता महंगाई और बेरोजगारी की मार सह रही है। भाजपा के एक सीनियर लीडर कहते हैं ‘मुख्यमंत्री, प्रदेश संगठन और हाईकमान तक लगातार अपना-अपना सर्वे करवा रहे हैं। इनके आंकड़े तो हमें पता हैं, पर वे ऐसे नहीं हैं कि हम आपसे शेयर कर पाएं। अभी तो सीटें १०० के अंदर ही आते दिख रही हैं, इसलिए इस बार बहुत बड़े पैमाने पर विधायकों की टिकट काटी जाएंगी।
कोई नहीं जानता भाजपा में क्या हो जाए?
भाजपा नेताओं का कहना है कि एमपी में पिछले विधानसभा चुनाव में भी ५० विधायकोंका टिकट कटना था लेकिन एक बड़े नेता अड़ गए। उनकी जिद की वजह से किसी का टिकट नहीं काट पाया। इस बार संगठन किसी के दवाब में नहीं आएगा, क्योंकि पिछला चुनाव हार गए थे। इसीलिए मल्टिपल लेवल पर सर्वे करवाए जा रहे हैं। सीएम शिवराज सिंह को हटाने पर वे कहते हैं कि ये कोई नहीं जानता कि कल भाजपा में क्या हो जाए? आज तक शिवराज सिंह चौहान ही पार्टी का चेहरा हैं, लेकिन दिल्ली में क्या चल रहा है, ये मध्य प्रदेश भाजपा के नेता भी नहीं जानते।
नॉर्थ ईस्ट में भाजपा की घटी ग्रोथ
फरवरी में नॉर्थ ईस्ट के तीन राज्यों नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय में चुनाव हुए। २ मार्च को आए नतीजों में त्रिपुरा-नगालैंड में भाजपा गठबंधन को बहुमत मिला। यानी तीनों राज्यों में भाजपा सरकार में है। इसके बावजूद भाजपा की ग्रोथ रुकी हुई है। नॉर्थ ईस्ट के तीन राज्यों मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में वोट शेयर ९.३३ फीसदी से घटकर ९.६ फीसदी पर आ गया है।
छत्तीसगढ़ में जनता का भरोसा खो चुकी है भाजपा
भाजपा के लिए मध्य प्रदेश से ज्यादा मुश्किल वाला राज्य छत्तीसगढ़ है। यहां वह सत्ता में नहीं, बल्कि विपक्ष में है। राज्य में वापसी के लिए भाजपा ने संगठन में बड़े बदलाव किए हैं। तीन बार के विधायक नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष और बिलासपुर से सांसद अरुण साव को प्रदेशाध्यक्ष बनाया है। कांग्रेस के खिलाफ कोई मूवमेंट खड़ा करने के पहले जनता खुद खड़ी होकर भाजपा के विरोध में सड़कों पर आ जाती है। सीएम भूपेश बघेल लगभग हर वर्ग के लिए स्कीम अनाउंस कर चुके हैं, इन्हें लागू भी कर दिया गया है। कर्ज माफी से लेकर बेरोजगारी भत्ता तक इसमें शामिल है।
कर्नाटक में संघ की रिपोर्ट में नहीं बन पाएगी सरकार
कर्नाटक में भाजपा २०१९ से सत्ता में है। इन ४ साल में उसे एक बार मुख्यमंत्री बदलना पड़ा। २०२१ से यहां बसवराज बोम्मई सीएम हैं। कर्नाटक में बसवराज बोम्मई ने जनता के लिए कुछ नहीं किया है, जिसके चलते जनता का झुकाव कांग्रेस की तरफ दिखाई दे रहा है। भाजपा की एक सर्वे रिपोर्ट में उसे ७० सीटें जीतते बताया गया है, जबकि बहुमत के लिए ११३ सीटें जरूरी चाहिए। वहीं दूसरी तरफ भाजपा विधायक मदल विरुपक्षप्पा के ठिकानों से ८ करोड़ रुपए कैश मिले हैं। उनके बेटे को लोकायुक्त ने ४० लाख रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। इसके बाद भी केंद्र को केवल विपक्ष के नेता ही दिखाई देते हैं।