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श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में अशोक चिन्ह पर विवाद, शिलापट्ट तोड़कर राष्ट्रीय प्रतीक हटाया

राष्ट्रीय प्रतीक की तोड़-फोड़ पर सडक़ों पर उतरे लोग; अब्दुल्ला ने उठाए सवाल, महबूबा ने किया बचाव

श्रीनगर

श्रीनगर की हजरतबल दरगाह पर लगे राष्ट्रीय चिन्ह को तोड़े जाने की घटना ने राजनीति और समाज दोनों में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। इस मामले में पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है, जबकि दूसरी तरफ इस मुद्दे पर नेताओं की बयानबाजी से सियासत गरमा गई है। जम्मू में इस घटना को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन हुआ। लोगों ने सडक़ पर उतरकर राष्ट्रीय चिन्ह तोडऩे वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि राष्ट्र के प्रतीक का अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन डॉ. दरख्शां अंद्राबी ने इस घटना को शर्मनाक और राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि यह एक सुनियोजित साजिश थी और इसका मकसद राजनीतिक फायदे के लिए माहौल बिगाडऩा है। उन्होंने मांग की कि उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

उन्होंने ने कहा कि एनसी इस तोडफ़ोड़ के पीछे है, क्योंकि वह वक्फ बोर्ड की प्रगति नहीं देख सकती। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सवाल उठाया कि दरगाह पर शिलापट्ट लगाने की जरूरत क्या थी। हालांकि उन्होंने तोडफ़ोड़ करने वालों की सीधी आलोचना नहीं की। वहीं पीडीपी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने उपद्रवियों का बचाव किया। उनका कहना है कि राष्ट्रीय प्रतीक को तोडऩे की कोशिश नहीं की गई, बल्कि मूर्ति जैसी आकृति को नुकसान पहुंचाया गया, जो मजहब के हिसाब से जायज नहीं है। उन्होंने साफ किया कि इस मामले को बेवजह राष्ट्र चिन्ह से जोडक़र देखा जा रहा है। वहीं वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन डॉ. अंद्राबी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि दशकों तक नेशनल कॉन्फे्रंस ने दरगाह को अपनी राजनीतिक जमीन के रूप में इस्तेमाल किया और जब पारदर्शी ढंग से काम शुरू हुआ तो विरोधियों को यह नागवार गुजरा।

राज्यपाल ने निंदा की

लद्दाख के एलजी कार्यालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि हजरतबल दरगाह पर अशोक चिन्ह की तोडफ़ोड़ बेहद निंदनीय है। यह हमारी संप्रभुता और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है। ऐसे कृत्य अस्वीकार्य हैं। दोषियों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई होगी।

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