पेंडिंग पड़े हैं 4.5 करोड़ केस: जिस केस में अधिकतम सजा 7 साल, वह आज के सुप्रीम कोर्ट जजों के जन्म से पहले से चल रहा
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अदालतों में लंबित केसों का जल्द निपटारा करने के उद्देश्य से देश में अनेकों नई अदालतें गठित की गयी थीं, लेकिन दूसरों को ज्ञान बांझने वाली न्यायिक प्रणाली स्वयं पुरानी आदतों को नहीं छोड़ पा रही है।
देश की वर्तमान न्यायिक व्यवस्था को लेकर तमाम तरह के सवाल उठाए जाते रहे हैं और इसमें बदलाव की माँग भी उठती है। इस व्यवस्था के कारण देश की न्यायपालिका केसों के बोझ तले दबकर अंतिम साँसें गिन रही है। आश्चर्य कि बात यह है कि अदालतों में आज भी इतने पुराने केस पेेंडिंग हैं कि सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान 27 न्यायाधीशों का उस समय जन्म नहीं हुआ था।
इतना ही नहीं ट्रायल कोर्ट में किसी पुराने दस्तावेज की नक़ल लेने में ही महीनो लग रहे हैं, कोई पूछने वाला नहीं, जबकि फाइल हाथ में ही है, फिर विलम्भ क्यों?
ये मुकदमें आज भी कोर्ट में विचाराधीन हैं। ये मामले देश को सन 1950 में गणतंत्र घोषित करने के तीन के साल के भीतर पुलिस और आम जनता द्वारा दायर किए गए थे। इस वक्त में देश में लगभग 4.50 करोड़ से अधिक मामले पेंडिंग हैं और महाराष्ट्र के रायगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज किया गया सबसे पुराना मामला है।
सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीशों में दिनेश माहेश्वरी सबसे उम्रदराज हैं। उनका जन्म 15 मई 1958 को हुआ था। उन्हें साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वे जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हुए। जस्टिस माहेश्वरी इस साल 14 मई को रिटायर हो जाएँगे।