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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सभी 26 मजारें उत्तराखंड वन विभाग की जमीनों पर बनाई गई थीं। इसमें कई मजारें हाल-फ़िलहाल में बनी हुईं थीं। दिलचस्प बात यह कि इन मजारों के नीचे से कोई मानव अवशेष भी नहीं मिले।मजारों के बनने के पीछे उन हिन्दुओं का ही हाथ है, जो अपने देवी-देवताओं की शक्ति को भूल मजारों को पूजते हैं, वहां नोटों की बारिश करते हैं, और वही नोट हिन्दुओं के खिलाफ षड़यंत्र में अहम् भूमिका निभाता है।
उत्तराखंड राज्य सरकार ने लगभग 1400 ऐसे स्थानों को चिन्हित किया है, जिसमें इसी प्रकार से मजहबी निर्माण करके अतिक्रमण किया गया है। कुछ ही समय बाद उन सभी स्थानों पर इसी प्रकार की कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है। इस मामले में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर धामी द्वारा अधिकारीयों को सख्त निर्देश मिलने की बात कही जा रही है।
कुछ रिपोर्ट्स में ध्वस्त हुई मजारों की संख्या एक रात के बजाए अब तक की कुल कार्रवाई के तौर पर गिनाई गई है। बताया ये भी जा रहा है कि अभी अवैध मजारों को चिन्हित करने का काम भी जारी है।
मजारों के अलावा उत्तराखंड प्रशासन अन्य अतिक्रमणों पर भी एक्शन के मूड में है। राजधानी देहरादून में शक्ति नहर डाकपथर के किनारे बसे लोगों की भी पहचान का सत्यापन चल रहा है। कई लोगों ने खुद ही वो जगह छोड़नी शुरू कर दी। आरोप है कि यहाँ सरकारी जमीन पर बाहरी लोगों ने आकर कब्ज़ा कर लिया था।
नगर निगम ने भी शक्तिनहर किनारे की सरकारी भूमि खाली करवाने के लिए अभी से वहाँ बुलडोजर और ट्रैक्टर खड़े कर दिए हैं। लोगों के सत्यापन की प्रक्रिया खत्म होने के बाद माना जा रहा है कि यहाँ JCB मशीन चलाई जाएगी। बताया जा रहा है कि अवैध अतिक्रमण के खिलाफ साल 2018 से ही कार्रवाई की तैयारी थी लेकिन इसमें कुछ कारणों से देर लगी।
उत्तराखंड में सरकारी जमीनों पर अवैध मजारों को ऑपइंडिया ने भी अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में बताया था। तब हमने बाघों के लिए दुनिया भर में मशहूर जिम कार्बेट पार्क के अंदर जाकर वहाँ मौजूद मजारों को दिखाया था। इसके अलावा देहरादून के प्रसिद्ध संत स्वामी दर्शन भारती ने भी हमसे बात करते हुए लैंड जिहाद को उत्तराखंड के आने वाले भविष्य के लिए खतरनाक संकेत बताया था।