Saturday, November 2, 2024

राज्य

मुस्लिम के घर से विदा हुई हिंदू बेटी की डोली, ऐसी निकली बरात जिसे कोई नहीं भूल पाएगा

प्यारे लाल के पड़ोस में रहने वाली हीना खान व सलीम खान ने सुनीता की शादी कराने का बीड़ा उठाया। पूरे उल्लास के साथ दोनों समुदाय के लोगों ने बरात का स्वागत किया। हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों को दावत दी। दोपहर बाद जब सुनीता की विदाई हुई, तो यहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई।

उत्तराखंड के श्रीनगर में हिंदू और मुस्लिम कौमी एकता ने लोगों को मानव धर्म का संदेश दिया है। यहां एक मुस्लिम परिवार ने हिंदू घर की निर्धन बेटी की डोली को अपने घर से पूरे हिंदू रीति-रिवाज के साथ विदा किया है। शनिवार को टम्टा मोहल्ले में प्यारे लाल की बेटी सुनीता की शादी थी। गरीबी के कारण प्यारे लाल के सामने बेटी की शादी करना चुनौती बन गया था।

ऐसे में प्यारे लाल के पड़ोस में रहने वाली हीना खान व सलीम खान ने सुनीता की शादी कराने का बीड़ा उठाया। उन्होंने इसके लिए अपने घर की छत पर टेंट लगाया व यहां मेहंदी की रस्म व हल्दी की रस्म अदा की। इसके बाद शनिवार को जब देहरादून से सोनू बरात लेकर पहुंचा, तो पूरे हर्ष व उल्लास के साथ दोनों समुदाय के लोगों ने बरात का स्वागत किया।

बरातियों का भोजन भी उन्होंने अपने ही घर में करवाया, जिसके बाद काली मंदिर में सजाए गए मंडप में हिंदू रीति रिवाज के साथ दोनों को पंडित ने सात फेरों की रश्म पूरी करवाई। इस मौके पर मोहल्ले के लोगों की ओर से सुनीता और सोनू को बहुत सारे उपहार भी दिए। साथ ही शादी का खर्च उठाने वाले हीना और सलीम ने हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों को दावत भी दी। दोपहर बाद जब सुनीता की विदाई हुई, तो यहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई।

आठ साल की उम्र में सुनीता के सिर से उठ गया था मां का साया

हीना और सलीम ने बताया कि प्यारे लाल की एक लड़की और एक लड़का है। लड़का मेहनत मजदूरी करता है। जब सुनीता करीब 8 वर्ष की थी, तो उसकी माता का निधन हो गया। गरीबी के कारण वह पढ़ाई भी नहीं कर पाई। 25 अप्रैल को सुनीता की सगाई देहरादून निवासी सोनू से हो गई, जोकि अपने जीजा के साथ ठेकेदारी का काम करता है। लेकिन परिवार की माली हालत प्यारे लाल के लिए बेटी की शादी करना बड़ी चुनौती बन गई थी। कहा कि हमने प्यारे लाल की बेटी की शादी में सहयोग कर मानव धर्म निभाया है।