Thursday, November 28, 2024

राज्यवायरल न्यूज़

हरियाणा में अगर किसी महिला का हो कोई काम तो मुख्यमंत्री का नाम बता दो मेरा मामा है , खबर पढ़े

प्रशांत बख्शी

ताऊ की वेबसाइट: अनुराग अग्रवाल

किसी भी अधिकारी या सरकार के आदमी से काम निकलवाने के दो तरीके हो सकते हैं। एक तरीका ऊंची आवाज में बात कर काम कराना और दूसरा तरीका मान-मनौवल व तारीफ कर काम कराने का होता है।

मामा की दुलारी सांसद भांजी

 

सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल राजनीति में खूब मंझ गई हैं। किसी भी अधिकारी या सरकार के आदमी से काम निकलवाने के दो तरीके हो सकते हैं। एक तरीका ऊंची आवाज में बात कर काम कराना और दूसरा तरीका मान-मनौवल व तारीफ कर काम कराने का होता है। मौका था रोहतक में संत कबीरदास के 624वें जयंती समारोह का, जिसमें सुनीता दुग्गल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को रिश्तेदारी में अपना मामा बता दिया। सांसद ने बाकायदा इस रिश्ते को स्पष्ट भी किया। सुनीता दुग्गल बोलीं कि रोहतक में मेरा नानका है। मैं यहां अक्सर आती रहती थी। यहीं कुछ पढ़ाई भी की। मुख्यमंत्री भी रोहतक जिले के हैं। इस तरह वह मेरे मामा हुए। मामा के नाते उन्हें मुझे कुछ न कुछ शगुन देना ही पड़ेगा। शगुन के नाम पर सांसद अपने मामा से करीब एक दर्जन घोषणाएं कराने में कामयाब हो गईं।जन्म के 25 दिन बाद देखा कार्तिकेय का चेहरा

 

हरियाणा की राजनीति में पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा का बड़ा नाम है। वह आल इंडिया यूथ कांग्रेस के महासचिव भी रह चुके हैं। इंदिरा गांधी, संजय गांधी और राजीव गांधी से उनके करीब के रिश्ते थे। लोग तो यहां तक कहते हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनवाने में विनोद शर्मा का काफी सहयोग रहा, जबकि कुछ लोग इसे कुमारी सैलजा के प्रयासों की देन भी बताते हैं। यह अलग बात है कि हुड्डा छिपे रुस्तम हैं। जहां लोगों की सोच खत्म होती है, वहां हुड्डा की राजनीतिक सोच आरंभ होती है। विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा हाल ही में दो कांग्रेस विधायकों की गेम से सांसद बन गए। यह वही कार्तिकेय हैं, जब विनोद शर्मा इंदिरा गांधी के निर्देश पर उत्तराखंड-गढ़वाल में चुनाव ड्यूटी पर गए हुए थे और कार्तिकेय का जन्म हुआ था। विनोद शर्मा चुनाव ड्यूटी की वजह से अपने नवजात बेटे कार्तिकेय का चेहरा उनके जन्म के करीब 25 दिन बाद देख पाए

बात जब सम्मान की हो नाराजगी जायज है

 

राजनीति में कब क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला विदेश गए हुए थे, तब उनके पीछे भाजपा ने शहरी निकाय चुनाव में जजपा के साथ चुनावी गठबंधन तोड़ दिया। कांग्रेस चुनाव मैदान से हट गई तो भाजपा के रणनीतिकारों को लगा कि अब चुनाव में भाजपा व जजपा वाले ही टकराने को रह गए। तुरंत निर्णय बदला गया और फिर से चुनावी गठबंधन हो गया। फिर भी कुछ सीटों पर भाजपा व जजपा वाले उम्मीदवार आमने-सामने लड़ते नजर आए। इसके बाद अब पंचकूला में हुए खेलो इंडिया गेम्स में ठीक ढंग से सम्मान नहीं मिलने से दुष्यंत चौटाला नाराज हो गए। खेल विभाग द्वारा स्टेडियम में मौजूद ताऊ देवीलाल की प्रतिमा की सफाई नहीं करने को नाराजगी का आधार बनाया गया। यह बात भी सही हो सकती है, लेकिन साथ ही कद के हिसाब से सम्मान नहीं मिल पाने को दुष्यंत दिला से लगा बैठे। ऐसे में उनकी नाराजगी बिल्कुल जायज है।

 

अभिमन्यु का अचूक निशाना

 

 

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निजी सचिव अभिमन्यु सिंह पूरी तरह से परिपक्व हो चुके हैं। सरकार व संगठन के विशेष कार्यक्रमों व विशेष दौरों पर अभिमन्यु सिंह मुख्यमंत्री के साथ स्वयं रहते हैं। उनकी आंखें ठीक उसी तरह से अलर्ट होती हैं, जिस तरह से वीवीआइपी सुरक्षा में तैनात एसपीजी व एनएसजी के कमांडो की होती हैं। रोहतक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल जब धानक समाज व पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए घोषणाएं कर रहे थे और सांसद अरविद शर्मा मीडिया गैलरी में बैठे हुए थे, तब पब्लिक में बैठे कुछ लोगों ने माहौल खराब करने की कोशिश की। तभी कुछ लोगों ने इन लोगों को शांत करने के नाम पर भीड़ में जाने की कोशिश की, लेकिन अभिमन्यु सिंह ने उन्हें हाथ पकड़कर रोक दिया। जाहिर है कि यदि वह ऐसा न करते तो कोई न कोई खेल होना तय था। निजी सचिव का काम सुरक्षा कापी-पेन या फाइल पकड़ना ही नहीं होता, अपने बास के साथ चलते हुए उनका हर परिस्थिति में ध्यान रखने की भी बड़ी जिम्मेदारी होती है।