उत्तर प्रदेश में वयस्कों को भी फ्री में कोरोना की बूस्टर डोज, सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया शुभारंभ
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भी वयस्कों को कोरोना वायरस संक्रमण के बचाव वाली प्रीकाशन वैक्सीन की डोज का अभियान शुक्रवार से प्रारंभ किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बीते बुधवार को 18 से 59 आयु वर्ग के लोगों को मुफ्त में कोरोना वायरस संक्रमण के बचाव के लिए बूस्टर डोज देने का फैसला किया गया था।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए मुफ्त में बूस्टर डोज अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने छह महीने पहले कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज ली है वह बूस्टर डोज के लिए पात्र होंगे। प्रदेश में यह 75 दिन का विशेष अभियान है जिसमें 12.08 करोड़ लोग इसके लिए पात्र होंगे।। इस दौरान एक लाभार्थी ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले के साथ नए वैरियंट के लगातार प्रभावी होने के कारण यह तो बहुत जरूरी था। हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आभारी हैं कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर यह पहल शुरू की। सभी को बूस्टर डोज लेनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश में वयस्कों को मुफ्त में कोरोना संक्रमण की सतर्कता डोज देने के लिए 4,283 केन्द्र बनाए गए हैं। इसमें आज से 18 वर्ष से लेकर 59 वर्ष तक की उम्र के वयस्कों को मुफ्त सतर्कता (प्रीकाशन) डोज लगना शुरू हो गई। इसके लिए प्रदेश में पहले दिन 4,283 टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं। इससे पहले अभी तक 384 रुपए फीस लेकर प्राइवेट अस्पतालों में ही सतर्कता डोज लगाई जा रही थी। प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक उम्र के 7.40 करोड़ वयस्कों को सतर्कता डोज लगाई जानी है। अभी तक प्रदेश में 37.37 लाख यानी पांच प्रतिशत वयस्कों ने ही टीका लगवाया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके साथ ही लखनऊ में एक टीकाकरण केंद्र का निरीक्षण कर निर्देश दिए कि बिना किसी असुविधा के वयस्कों को यह वैक्सीन लगाई जाए। इसके साथ ही अब लाभार्थी अपने मुफ्त वैक्सीन खुराक स्लॉट के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं, या बूस्टर खुराक के लिए टीकाकरण केन्द्रों पर सरकार की वॉक-इन सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। इससे पहले, बूस्टर खुराक केवल 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को सरकारी केन्द्र पर मुफ्त में दी जाती थी। 18 से 60 वर्ष के बीच के लोगों को यह निजी केंद्रों पर भुगतान के आधार पर मिलती थी।