Monday, November 25, 2024

राष्ट्रीय

CAA in Delhi: दिल्ली में सीएए से बचने के लिए ईसाई बन रहे अफगान और रोहिंग्या शरणार्थी

दिव्य प्रभात के पोर्टल में विज्ञापन  लगवाएं और अपने व्यवसाय को पहुंचाएं आसमान की ओर एवं   दिव्य प्रभात के व्हाट्सएप ग्रुप से अभी  जुड़े9458877900

  एक नजर विज्ञापन की ओर

  WALTA ELITE  एक   वीडियो ने किया धमाका

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 Proudly made in india product ✅🙌.

👉_Thanks for such an amazing response_,

* ✍️please do forward this video to all your distributors so that every one can know about the guarantee*

🎉🥳💯🎈💪😇

WALTA ELITE  की ऐसी सीरीज पर नजर डालेंगे

VINGAJOY 1080 FULL HD ST-9000  PREMIUM SET TOP BOX

कुछ ऐसी मोबाइल की ऐसीसीरिस पर नजर डालेंगे

MI NECKBAND BLUETOOTH EARPHONE

BOAT ROCKERZ FUELED BY PASSION

 

Rs traders जहां आपको मोबाइल की सारी ऐसी सीरीज बहुत ही आसान दाम में arthat reasonable rate mein में मिल जाएगी

address निकट बालाजी चौक मंदिर के पास वाली गली में जो आपको मोबाइल की सारी एसएस सीरीज के साथ बहुत ही अच्छे दाम में बहुत सारी वैरायटी के साथ अपने स्टाइल को बनाए कूल कुछ ब्रांडेड चीजें अपनाकर अपनी लाइफ को अपडेट करके चेंज करें ग्रोवर मोबाइल के साथ बाकी जानकारी के लिए इस नंबर पर संपर्क करें मोबाइल number +917060441444, आज शॉप बंद है और कल भी लेकिन परसो अर्थात मंडे को इन सब चीजों का आनंद पाएं only on Grover mobile.

यहां से पढ़िए पूरी खबर

CAA in Delhi: दिल्ली में सीएए से बचने के लिए ईसाई बन रहे अफगान और रोहिंग्या शरणार्थी

नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) से बचने और भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए राजधानी दिल्ली में रह रहे अफगानी व रोहिंग्या शरणार्थी अब ईसाई धर्म अपनाने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, अफगानी मुसलमान दिल्ली में स्थित अफगान चर्चो के माध्यम से ऐसा कर रहे हैं। हालांकि इस पर अफगान चर्च का कोई भी पदाधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।

 

सूत्रों के अनुसार, हाल में ऐसे ही धर्म परिवर्तन करने वाले कुछ लोगों के वीजा आवेदन रद करने के बाद इस बात का पता चला। दरअसल, दक्षिणी दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश, लाजपत नगर, अशोक नगर और आश्रम आदि इलाकों में तमाम अफगानी शरणार्थी व कालिंदी कुंज के श्रम विहार में रोहिंग्या मुसलमानों के 90 परिवार रहते हैं। इसके अलावा भी देशभर में अफगानी व रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं।

 

दक्षिणी दिल्ली में हैं तीन अफगान चर्च

 

लाजपत नगर स्थित अफगान चर्च के आबिद अहमद मैक्सवेल ने बताया कि दिल्ली में रहने वाले अफगानिस्तान के बहुत से मुस्लिम ईसाई धर्म अपनाना चाहते हैं। वे चर्च आते हैं, कई माह तक हमारी शिक्षाएं सुनते हैं। पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद वे हमारे धर्म में शामिल होते हैं। हमारे चर्च में सबका स्वागत है। लेकिन कोई व्यक्ति किस इरादे से किसी धर्म में आता है, यह पहले से कह पाना मुश्किल है।Jagran Logoकोरोना वायरस

CAA in Delhi: दिल्ली में सीएए से बचने के लिए ईसाई बन रहे अफगान और रोहिंग्या शरणार्थी

newimg/24072020/24_07_2020-rohingya_refugees_ani_20550554.jpg

 

 

Subscribe to Notifications

 

नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) से बचने और भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए राजधानी दिल्ली में रह रहे अफगानी व रोहिंग्या शरणार्थी अब ईसाई धर्म अपनाने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, अफगानी मुसलमान दिल्ली में स्थित अफगान चर्चो के माध्यम से ऐसा कर रहे हैं। हालांकि इस पर अफगान चर्च का कोई भी पदाधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।

 

सूत्रों के अनुसार, हाल में ऐसे ही धर्म परिवर्तन करने वाले कुछ लोगों के वीजा आवेदन रद करने के बाद इस बात का पता चला। दरअसल, दक्षिणी दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश, लाजपत नगर, अशोक नगर और आश्रम आदि इलाकों में तमाम अफगानी शरणार्थी व कालिंदी कुंज के श्रम विहार में रोहिंग्या मुसलमानों के 90 परिवार रहते हैं। इसके अलावा भी देशभर में अफगानी व रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं।

 

दक्षिणी दिल्ली में हैं तीन अफगान चर्च

 

लाजपत नगर स्थित अफगान चर्च के आबिद अहमद मैक्सवेल ने बताया कि दिल्ली में रहने वाले अफगानिस्तान के बहुत से मुस्लिम ईसाई धर्म अपनाना चाहते हैं। वे चर्च आते हैं, कई माह तक हमारी शिक्षाएं सुनते हैं। पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद वे हमारे धर्म में शामिल होते हैं। हमारे चर्च में सबका स्वागत है। लेकिन कोई व्यक्ति किस इरादे से किसी धर्म में आता है, यह पहले से कह पाना मुश्किल है।

 

 

 

वहीं, साउथ एक्स स्थित अफगान चर्च के पास्टर नजीब का कहना है कि अफगानिस्तान के बहुत से शरणार्थियों ने ईसाई धर्म अपनाया है, ताकि यूएन उनको कहीं और भेज सके। हालांकि, बाद में वे लोग फिर से इस्लाम धर्म में वापस आ जाते हैं। कई लोग आकर हमसे पूछते भी हैं कि क्या ईसाई धर्म अपना लेने के बाद उन्हें कहीं और जाने का मौका मिलेगा।

 

दस्तावेजों के लिए करते हैं खेल

 

अफगान शरणार्थी कम से कम एक साल अफगान चर्च में आता है। ईसाई तौर तरीके सीखने के बाद स्वेच्छा से ईसाई बनने का शपथपत्र देता है, जिसके आधार पर चर्च की ओर से बापटिज्म यानी ईसाई बनने का पत्र दिया जाता है। इस पत्र के आधार पर शरणार्थी संयुक्त राष्ट्र हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी (यूएनएचसीआर) में धर्म परिवर्तन के लिए आवेदन करता है। यहां के दस्तावेजों में उनका नया धर्म दर्ज हो जाता है। लेकिन यहां से मिले दस्तावेज के आधार पर जब वे वीजा बनवाने का आवेदन करते हैं, जांच में पकड़ में आ जाते हैं।पत्नी व चार बच्चों को छोड़ ईसाई बन गया रोहिंग्या शरणार्थी

 

नाम न छापने की शर्त पर कालिंदी कुंज के श्रम विहार निवासी एक युवा रोहिंग्या शरणार्थी ने बताया कि उनके कैंप के एक शरणार्थी ने अपनी पत्नी व चार बच्चों को छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया। इसके बाद उसने एक कन्वर्टेड ईसाई युवती से शादी कर ली। बाद में पहली पत्नी व बच्चों का भी धर्म परिवर्तन कराने के लिए विकासपुरी ले गया, लेकिन वहां एक-दो दिन रहने के बाद महिला ने धर्म परिवर्तन से इनकार कर दिया और श्रम विहार कैंप में वापस आ गई।युवक ने बताया कि बर्मा के बुतीडांग कस्बे के हांगडांग गांव में 15-20 ऐसे परिवार रहते थे जो मजार के सामने ढोल-नगाड़े बजाकर मजार की पूजा करते थे। वे खुद को मुसलमान कहते थे, हालांकि वे नमाज नहीं पढ़ते थे। बांग्लादेश के बांदरवन कैंप में कुछ दिन रहने के बाद वे लोग दिल्ली आए। बाद में ईसाई बन गए। वहीं, कुछ बांग्लादेश में जाकर फिर uसे इस्लाम धर्म अपना चुके हैं।