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कोरोना की पनौती!, देश के पर्यटन उद्योग को लगा १५ लाख करोड़ का फटका
जुलाई 27, 2020 सामना संवाददाता , नई दिल्ली
इस कोरोना वायरस ने अर्थव्यवस्था को तबाह करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। इस कोरोना की पनौती के कारण सिर्फ देश के पर्यटन उद्योग को १५ लाख करोड़ का भारी-भरकम झटका लगा है। हिंदुस्थान में संपूर्ण टूरिज्म, ट्रैवल और हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व करनेवाले राष्ट्रीय एसोसिएशंस के पॉलिसी फेडरेशन के रूप में काम करनेवाले फेडरेशन ऑफ एसोसिएशंस इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पिटेलिटी और इसके सहयोगी एआईआरडीए ने भारतीय पर्यटन उद्योग को होनेवाले नुकसान का अनुमान बढ़ाकर १५ लाख करोड़ रुपए कर दिया है।
गत मार्च में सरकार के साथ साझा की गई जानकारी में फेथ ने इस महामारी के कारण पर्यटन क्षेत्र में ५ लाख करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया था। परिस्थितियां और खराब होने के बाद फेथ ने पिछली तिमाही में एक बार फिर यह अनुमान बढ़ाकर १० लाख करोड़ रुपए कर दिया था। अब पुन: इसमें संशोधन करते हुए फेथ ने कहा है कि हिंदुस्थान में पर्यटन सेक्टर पर पड़े प्रभाव के कारण आर्थिक रूप से १५ लाख करोड़ रुपए तक का नुकसान हो सकता है।
संस्था का कहना है कि जिस तरह से कोरोना वायरस का प्रसार हो रहा है, उससे भारत के सभी इनबाउंड, डोमेस्टिक और आउटबाउंड मार्केट में टूरिज्म सप्लाई चेन ही टूट गई है। अभी कम से कम अगले ५ पांच महीने इसमें सुधार होता नहीं दिख रहा है। बीते मार्च से शुरू हुए इस संकट का प्रभाव कुल ९ महीने तक इस सेक्टर पर दिखेगा ही। संगठन के मुताबिक पर्यटन उद्योग के कारण भारत की जीडीपी पर प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से करीब १० प्रतिशत का असर पड़ता है। इससे पूरे साल में भारत में पर्यटन उद्योग की कुल इकोनॉमिक मल्टीप्लायर वैल्यू करीब २० लाख करोड़ रुपए बनती है। पर्यटन उद्योग कम से कम तीन तिमाहियों में बुरी तरह प्रभावित रहेगा। इस इकोनॉमिक वैल्यू में एयरलाइंस, ट्रैवल एजेंट, होटल, टूर ऑपरेटर, टूरिज्म डेस्टिनेशन रेस्टोरेंट, टूरिस्ट ट्रांसपोर्टेशन, टूरिस्ट गाइड समेत पूरी टूरिज्म वैल्यू चेन शामिल है। इसमें सभी सेग्मेंट अभी या तो पूरी तरह बंद हैं या बहुत कम कारोबार कर रहे हैं और अभी इस साल कई और महीने ऐसी स्थिति रहने का अनुमान है। यह संकट पर्यटन के सभी सेग्मेंट पर दिख रहा है। ट्रैवल एजेंटों के रिफंड बाकी हैं। होटल व रेस्टोरेंट बंद हैं या खाली पड़े हैं। कंवेंशन, मीटिंग और वेंडिंग हॉल बंद हैं या खाली पड़े हैं। टूर ऑपरेटरों के पास भी पाइपलाइन में कोई ऑर्डर नहीं है। टूरिस्ट ट्रांसपोर्ट से जुड़े वाहन पार्किंग में खड़े हैं। कर्मचारी, मैनेजर या तो निकाल दिए गए हैं या बिना वेतन छुट्टी पर भेज दिए गए हैं। गर्मियों में चलनेवाला घरेलू या आउटबाउंड हॉलीडे सीजन खत्म हो चुका है। अक्टूबर से मार्च के पीक सीजन के लिए कोई बुकिंग नहीं दिख रही है। बैठकें वर्चुअल प्लेटफॉर्म से होने लगी हैं। गैर जरूरी यात्राएं लोगों ने बंद कर दी हैं और ऐसी ही अनगिनत परेशानियों का सामना यह सेक्टर कर रहा है।