ये है बिना कैश काउंटर वाला अस्पताल, दिल के मरीज बच्चों को मिलता है इलाज, खाना सब फ्री
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देश में हर साल दो लाख 40 हजार नवजात बच्चे ह्रदय संबंधी बीमारियों के साथ पैदा होते हैं. चूंकि बच्चों के होने के कारण इसकी जानकारी देरी से मिल पाती है ऐसे में कुछ ही समय में यह गंभीर हो जाता है. लिहाजा ज्यादातर मामलों में विशेषज्ञों के द्वारा इलाज और सर्जरी की जरूरत पड़ती है. वहीं ग्रामीण इलाकों में जागरुकता की कमी, आर्थिक रूप से कमजोर स्थिति और डॉक्टरों तक पहुंच कम होने के कारण ज्यादातर बच्चों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता.
नई दिल्ली. जन्म से ही दिल की गंभीर बीमारियों के साथ पैदा होने वाले बच्चों के लिए देश में एक ऐसा भी अस्पताल है जो वरदान साबित हो रहा है. इस अस्पताल में न केवल बीमार बच्चों के लिए दवाएं, इलाज, जांच और सर्जरी सभी मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती हैं बल्कि बीमार बच्चे को इलाज के लिए लाने वाले माता-पिताओं और परिजनों के रहने और खाने का इंतजाम भी करता है. खास बात है कि इस अस्पताल में एक भी कैश काउंटर नहीं है. यहां किसी भी चीज के लिए पैसे नहीं देने पड़ते. यहां सभी व्यवस्थाएं निशुल्क हैं. यह अस्पताल हरियाणा के पलवल स्थित बघोला में बना श्री सत्य साई संजीवनी चिकित्सालय है.
आंकड़े बताते हैं कि अपने देश में हर साल दो लाख 40 हजार नवजात बच्चे ह्रदय संबंधी बीमारियों के साथ पैदा होते हैं. चूंकि बच्चों के होने के कारण इसकी जानकारी देरी से मिल पाती है ऐसे में कुछ ही समय में यह गंभीर हो जाता है. लिहाजा ज्यादातर मामलों में विशेषज्ञों के द्वारा इलाज और सर्जरी की जरूरत पड़ती है. वहीं ग्रामीण इलाकों में जागरुकता की कमी, आर्थिक रूप से कमजोर स्थिति और डॉक्टरों तक पहुंच कम होने के कारण ज्यादातर बच्चों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता. निजी अस्पतालों में दिल की बीमारियों के इलाज का खर्च में इलाज में बाधा बनता है. ऐसे में ये अस्पताल काफी राहत देने वाला है.
संजीवनी अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. सी श्रीनिवास न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में बताते हैं कि भारत में इसी तरह के दो और अस्पताल भी जन्मजात ह्रदय रोगों से पीड़ित बच्चों के लिए काम कर रहे हैं. इनमें से एक रायपुर और दूसरा महाराष्ट्र के नवी मुंबई में है. इस अस्पताल में दिल के रोगों से संबंधित सभी आधुनिक और बेहतरीन किस्म की मशीनें और उपकरण मौजूद हैं. यहां तक कि जो सुविधाएं इस अस्पताल में हैं ऐसी कई सुविधाएं मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में भी नहीं हैं. यहां भारत के किसी भी कोने से मरीज आ सकते हैं, सभी को इलाज दिया जाता है. यहां इनवेसिव और नॉन इनवेसिव (कैथ हस्तक्षेप) दोनों ही प्रकार की सर्जरी की जाती हैं.
रोजाना 150 तक मरीजों को भर्ती करने की क्षमता
डॉ. सी श्रीनिवास बताते हैं कि चूंकि यह पूरी तरह निशुल्क अस्पताल है और अब लोग इसके बारे में जानने भी लगे हैं तो यहां रोजाना मरीजों की भीड़ भी रहती है. हालांकि अस्पताल में रोजाना 125 से 150 मरीज बच्चों को भर्ती करने की क्षमता है लेकिन ऐसी व्यवस्था की गई है कि इससे ज्यादा मरीज आने पर उनका अगले दिन का नंबर लगा दिया जाता है और उन्हें टोकन दे दिया जाता है. वहीं अगर कोई मरीज इमरजेंसी की हालत में आता है तो उसे तत्काल भर्ती किया जाता है.