चीन 2026 में ताइवान पर हमला कर हो सकता है तबाह, 1962 युद्ध में अपनी खोई हुई जमीन लेकर भारत करेगा नए युग का निर्माण! : अमेरिकी थिंक टैंक CSIS की रिपोर्ट
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अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज(CSIS) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि चीन में तानाशाही शासन कर रही चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की स्थापना को वर्ष 2027 में 100 साल पूरे हो जाएंगे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी पार्टी के शताब्दी वर्ष से पहले एक बड़ा काम करके इतिहास में अपना नाम लिखवाना चाहते हैं। वे वर्ष 2027 से पहले ताइवान पर हमला कर उसे चीन में मिलाना चाहते हैं। अगर उन्होंने इस सपने को पूरा करने के लिए ताइवान पर हमला कर दिया तो उसका अंजाम क्या होगा।
चीन अगर ताइवान पर हमला करता है तो जापान इस युद्ध में कूद पड़ेगा और ताइवान का साथ देगा। इसके साथ ही अमेरिका भी ताइवान की तरफ होगा। इस युद्ध से जहां चीन काफी कमजोर होकर तबाही के कगार पर पहुंच जाएगा वहीं अमेरिका भी उतना मजबूत नहीं रह जाएगा। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि क्या भारत 1962 की युद्ध में अपनी खोई हुई जमीन को दोबारा चीन से छुड़ाकर वापस पा सकता है? भविष्य की राहें इस ओर भी इशारा कर रही है कि वह भारत का स्वर्णिम युग होगा जब वह पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान भी वापस हासिल कर लेगा। अब देखना है कि वक्त किस कदर करवट लेता है।
शी जिनपिंग ताइवान पर हमला उसे चीन में मिलाना चाहते हैं
अमेरिकी थिंक टैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी पार्टी के शताब्दी वर्ष से पहले एक बड़ा काम करके ‘इतिहास’ में अपना नाम लिखवाना चाहते हैं ओर वे वर्ष 2027 से पहले ‘ताइवान’ पर हमला कर उसे चीन में मिलाना चाहते हैं। अगर उन्होंने इस ख्वाब को पूरा करने के लिए ताइवान पर हमला किया तो, उसका अंजाम बहुत बुरा होगा। युद्ध के बाद चीन की क्या स्थिति होगी। इसे पढ़कर आप भविष्य में होने वाले हालात का अंदाजा लगा पाएंगे।
चीन अगर ताइवान पर हमला करता है तो युद्ध दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा
अमेरिका के एक थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) ने “The First Battle of Next War” के नाम से इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में ताइवान के मुद्दे पर, China Taiwan War पर एक वॉर गेम जैसी स्थिति को दर्शाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो यह युद्ध केवल दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसमें अमेरिका और उसके सहयोगी, जापान भी खुलकर शामिल होंगे।
अमेरिका की ताकत काफी हद तक कम हो जाएगी
इस युद्ध में भाग लेने की वजह से अमेरिका की ताकत काफी हद तक कम हो जाएगी और वह दुनिया की ‘एकमात्र’ महाशक्ति का दर्जा कई सालों तक के लिए गंवा बैठेगा, वहीं जापान और ताइवान लगभग पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे। तीन सप्ताह तक चलने वाले इस युद्ध में अमेरिका के 3200 जवान मारे जाएंगे जो कि पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान और इराक में मारे गए अमेरिकी जवानों की संख्या का आधा है।
चीन काफी कमजोर हो जाएगा, कई शहर तबाह हो जाएंगे
चीन की हालत भी बहुत अच्छी नहीं होगी। जिस नेवी पर वह बहुत घमंड करता है, वह पूरी तरह बर्बाद हो चुकी होगी। उसके कई शहर तबाह हो चुके होंगे। उसकी अर्थव्यवस्था और बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठान तबाह हो चुके होंगे। जंग में उसके 138 युद्धपोत और 155 फाइटर एयरक्राफ्ट पूरी तरह तबाह हो जाएंगे। इस युद्ध में चीन के करीब 10 हजार से ज्यादा सैनिक मारे जाएंगे और लगभग इतने ही युद्ध बंदी बना लिए जाएंगे।
शी जिनपिंग 2026 में कर सकते हैं ताइवान पर हमला
अमेरिकी थिंक टैंक के मुताबिक चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग वर्ष 2026 में ताइवान पर हमले को अंजाम दे सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो यह युद्ध बेहद विनाशकारी होगा। ताइवान की रक्षा के लिए जापान की सेना आगे बढ़ेगी, जिससे चीन उस पर भी हमला कर देगा। इसके बाद जापान के साथ रक्षा संधि होने की वजह से अमेरिका भी युद्ध में कूद पड़ेगा। इसके चलते यह युद्ध हजारों सैनिकों और आम नागरिकों की मौत की वजह बन जाएगा। इस युद्ध में अमेरिका, जापान, ताइवान और चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
केवल 3 हफ्ते में खत्म हो जाएगी जंग
थिंक टैंक के अनुसार इस युद्ध में चीन के मिसाइल अटैक के कारण कम से कम दो अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर प्रशांत महासागर में डूब जाएंगे। उसके करीब 3200 सैनिकों को युद्ध में जान गंवानी पड़ेगी और करीब इतने ही सैनिक युद्धबंदी बना लिए जाएंगे। अमेरिका और जापान के सैकड़ों युद्धपोत, फाइटर जेट और ड्रोन इस हमले में तबाह हो जाएंगे। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि यह युद्ध बहुत तेज और भीषण होगा। यह जंग केवल 3 हफ्ते चलेगी और उसमें अमेरिका महाशक्ति का दर्जा कई साल तक के लिए खो देगा।
चीन में मिट जाएगा CCP का शासन, लोकतंत्र आएगा
चीन इतनी भारी कीमत चुकाने के बावजूद ताइवान पर कब्जा नहीं कर पाएगा। इस विफलता और देश में भारी तबाही की वजह से लोग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ सड़कों पर निकल आएंगे और शी जिनपिंग समेत CCP से जुड़े नेताओं के खिलाफ विद्रोह कर देंगे। बड़ी संख्या में सीसीपी नेता इस विद्रोह में मारे जाएंगे। अंतत: देश में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का शासन खत्म हो जाएगा और दुनिया में एक नए लोकतांत्रिक देश का उदय होगा।
भारत करेगा नए युग का निर्माण
इस रिपोर्ट में भारत की भूमिका के बारे में कुछ नहीं बताया गया है लेकिन माना जाता है कि भारत इस जंग में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेगा। युद्ध के बाद चीन और जापान खस्ताहाल हो जाएंगे, जबकि अमेरिका का महाशक्ति का दर्जा छिन जाएगा। ऐसे में वह समय भारत के लिए स्वर्ण युग हो सकता है। जिसमें भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपनी बुद्धिमता और समझदारी से दुनिया का नेतृत्व करते हुए एक नए युग का निर्माण करेगा।
भारत की 38,000 वर्ग किलोमीटर पर चीन का अवैध कब्जा
चीन अगर ताइवान पर हमले करता है युद्ध की स्थिति बनती है तो भारत के लिए यह उचित समय होगा जब वह चीन से अपनी जमीन वापस ले ले। चीन पिछले छह दशकों से लद्दाख में लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा किए हुए है। पाकिस्तान ने 1963 में शक्सगाम घाटी में 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र को अवैध रूप से अपने कब्जे से चीन को सौंप दिया था। 1963 में हस्ताक्षरित तथाकथित चीन-पाकिस्तान ‘सीमा समझौते’ के तहत पाकिस्तान ने लद्दाख में अवैध रूप से कब्जे वाले क्षेत्रों से शक्सगाम घाटी में 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र को चीन को सौंप दिया था। भारत सरकार ने 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान ‘सीमा समझौते’ को कभी मान्यता नहीं दी और लगातार इसे अवैध और अमान्य बताया है।
POK और गिलगित-बाल्टिस्तान भारत में मिल जाएगा
वैसे तो यह अनुमान जताया जाता रहा है कि भारत जल्द ही POK और गिलगित-बाल्टिस्तान को अपने कब्जे में ले लेगा लेकिन अगर यह काम 2026 तक नहीं हो पाता है तो चीन के ताइवान पर हमले के बाद यह माकूल समय होगा जब पाकिस्तान के कब्जे से अपनी भूमि वापस ले ले।