हे राम’ में गाँधी हत्याकांड : ‘जीवित नाथूराम गोडसे ही नहीं, उसकी लाश और राख तक से डर गई थी नेहरू सरकार’: प्रखर श्रीवास्तव
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दिल्ली के लोधी गार्डन्स में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (IIC)’ में शनिवार (28 जनवरी, 2023) को ‘जनसभा’ पब्लिकेशन के बैनर तले प्रखर श्रीवास्तव की पुस्तक ‘हे राम: गाँधी हत्याकांड की प्रामाणिक पड़ताल’ का विमोचन हुआ, जिसमें वरिष्ठ इतिहासकार मीनाक्षी जैन और ‘Zee News’ के कंसल्टिंग एडिटर दीपक चौरसिया भी मौजूद रहे। इस दौरान पुस्तक के लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने बताया कि कैसे उस समय की कांग्रेस सरकार महात्मा गाँधी को बचाने में नाकाम रही।
शंका उन लोगों की शिक्षा पर होती है, जो गोडसे को पहला आतंकवादी कहते हैं। उन अशिक्षित हुए शिक्षित पागल लोगों को इतना भी नहीं मालूम कि महात्मा गाँधी से पहले हत्या हुई थी राजपाल की, और राजपाल से पहले हत्या हुई थी स्वामी श्रद्धानन्द की और इन दोनों की हत्या करने वाले मुस्लिम थे और इन हत्यारों के बचाव में गाँधी खड़े हुए थे, यही वजह है कि अज्ञानी हुई शिक्षित गाँधी के नाम की माला जपते हैं।
प्रखर श्रीवास्तव ने इस दौरान उपस्थित लोगों से कहा कि गाँधी हत्याकांड में फ़िल्म स्टार पृथ्वीराज कपूर को फँसाने की कोशिश क्यों हुई थी और गाँधी की वो करीबी महिला कौन थी, जो गोडसे को गाँधी के बारे में सारी जानकारी देती थी – इस संबंध में और अधिक जानने के लिए आपको ये पुस्तक पढ़नी चाहिए। उन्होंने बताया कि महात्मा गाँधी के शिष्य जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल सरकार में होने के बावजूद उन्हें सुरक्षा देने में नाकाम रहे।इस दौरान उन्होंने महात्मा गाँधी की हत्या के बाद हुए चितपावन ब्राह्मणों के नरसंहार की भी बात की और बताया कि कैसे वीर विनायक दामोदर सावरकर के भाई नारायण सावरकर की भीड़ ने हत्या कर दी। नारायण सावरकर स्वतंत्रता सेनानी थे। प्रखर श्रीवास्तव ने बताया कि न सिर्फ जीते-जी नाथूराम गोडसे से तत्कालीन कांग्रेस सरकार डरी हुई थी, बल्कि उसकी लाश और राख से भी वो डर गई थी। नाथूराम गोडसे का अंतिम संस्कार जेल में ही कर दिया गया था।
पद्मश्री मीनाक्षी जैन ने इस दौरान बताया कि कैसे भारत सरकार ने पहले आरसी मजूमदार को स्वतंत्रता संग्राम इतिहास लिखने का काम दिया था, लेकिन बाद में एक ऐसे व्यक्ति को चुन लिया गया जिनके रिसर्च का फिल्ड इतिहास का ये काल था ही नहीं। कार्यक्रम में मौजूद तांत्या टोपे के वंशज पराग टोपे ने इस दौरान ध्यान दिलाया कि कैसे भारत के हर जगह का इतिहास जुबानी रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आता रहा है।