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महाराष्ट्र में मिंधे सरकार जब से सत्ता में आई है राज्य को पनौती लग गई है। उनकी बातें तो विकास की होती हैं लेकिन प्रत्यक्ष रूप से महाराष्ट्र का अधिकार छीनने के मामले बढ़ने लगे हैं। केंद्र से लेकर भाजपा शासित राज्यों तक सभी ये लूट कर रहे हैं। अब इस ‘भागमभगाई’ में असम की भाजपा सरकार का भी इजाफा हो गया है। इस सरकार ने महाराष्ट्र के एक ज्योतिर्लिंग पर ही मालिकाना हक का दावा ठोका है। छठवां ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र का नहीं हमारा है, ऐसा असम सरकार ने कहा है। १८ फरवरी महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में असम सरकार ने अखबारों में कुछ विज्ञापन प्रकाशित करवाए हैं, जिसमें यह अजब दावा किया गया है। देशभर में कुल १२ ज्योतिर्लिंग यानी भगवान शंकर के प्रमुख मंदिर हैं। उसमें से छठा ज्योतिर्लिंग असम के डाकिनी पहाड़ी पर स्थित है, ऐसा गजब शोध असम सरकार के पर्यटन विभाग ने इस विज्ञापन द्वारा किया है। वास्तव में पुणे के पास भीमाशंकर छठा ज्योतिर्लिंग है। यह बहुत पुरानी मान्यता है। शिवलीलामृत, शिवपुराण तथा अन्य धार्मिक मान्यता प्राप्त धार्मिक ग्रंथों में छठा ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर यहीं होने का स्पष्ट उल्लेख है। भीमाशंकर स्थान सह्याद्रि पर्वत के प्रमुख कतार में है। पश्चिमी महाराष्ट्र की प्रमुख नदियों में से एक भीमा नदी का मूल उद््गम ज्योतिर्लिंग से है। परंतु वहां वह लुप्त हो जाती है और कुछ अंतराल पर जंगल में फिर से प्रकट होती है, ऐसी मान्यता है। बेहद सुंदर नक्काशी वाला भीमाशंकर मंदिर करीब १२०० साल पुराना है और उसकी बनावट हेमाडपंथी है। महाराष्ट्र के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है और अब कोई बेफिक्र असम सरकार कह रही है कि छठा ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर नहीं असम में है। यह महाराष्ट्र के धार्मिक स्थलों पर डकैती डालने का तरीका है। ठीक है, छठा ज्योतिर्लिंग असम में होने का दावा आपका है तो यह हिचकी आपको अभी क्यों आई? यह जानकारी आपको पहले क्यों नहीं हुई? अब तक असंख्य महाशिवरात्रि आई और गईं। न कभी आपने ऐसा दावा किया और न उसका फुल पेज विज्ञापन दिया। फिर अब बेवजह का काम असम की भाजपा सरकार क्यों कर रही है? इस प्रश्न का उत्तर सरल है। महाराष्ट्र की मिंधे सरकार असम सरकार के उपकार के बोझ तले दबी हुई है क्योंकि इन सभी बागियों को पहले गुजरात के सूरत में और बाद में असम के गुवाहाटी में ‘राजाश्रय’ मिला था। ‘क्या झाड़ियां, क्या होटल…’ ऐसी भव्य व्यवस्था की गई थी। उनके वहां रहने से लेकर कामाख्या मंदिर में ‘विधि’ तक की खास मेहमाननवाजी का इंतजाम असम सरकार ने मिंधे गुट के लिए किया था। इसलिए मिंधे सरकार के मुख से भीमाशंकर के मामले में निषेध का ‘नि’ तक नहीं निकल सका। इस आतिथ्य के बदले में कहीं आप भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग तो उन्हें नहीं दे आए? सांसद सुप्रिया सुले के इस प्रश्न का उनके पास क्या जवाब है? पहले दिल्ली ने मिंधे गुट का स्वाभिमान और अभिमान छीन लिया। उसके बाद महाराष्ट्र के अधिकार की चीजों को छीनने का दौर शुरू हुआ है, वह रुकने को ही तैयार नहीं है। महाराष्ट्र के हिस्से आई बड़ी परियोजनाएं, उद्योग इनकी नाक के नीचे से गुजरात खुलेआम भगा ले गया। अब असम सरकार ने इनकी नाक नोचकर हमारे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पर दावा ठोका है। मिंधे सरकार की सत्ता आने के बाद से केंद्र और अन्य भाजपा शासित राज्यों की इस तरह की मनमानी बदस्तूर जारी है। महाराष्ट्र को उसके हकों में से कुछ नहीं देना, हक के उद्योगों और परियोजनाओं को अन्य भाजपा शासित राज्यों में भगा ले जाना और यहां के लोगों के कड़े विरोध को नजरअंदाज करके विनाशकारी साबित होनेवाली परियोजनाओं को महाराष्ट्र के मत्थे थोपा जाता है। देश की ‘आर्थिक राजधानी’ यह मुंबई का ‘मुकुट’ छीनने का भी प्रयास किया जा रहा है। मुंबई के वैश्विक वित्तीय केंद्र को गुजरात ले जाया गया, वह इसीलिए। एक भाजपा शासित राज्य की फिल्मसिटी बनाने की घोषणा भी बॉलीवुड मुंबई का महत्व और वैश्विक फिल्म इंडस्ट्री मुंबई के लौकिकता को कम करने का ही ये धंधा है। मेरा वो मेरा और आपका भी मेरा है, ऐसा उल्टा-सीधा कामकाज वर्तमान में केंद्र और अन्य भाजपा शासित राज्यों की तरफ से महाराष्ट्र को लेकर जारी है। लाचार मिंधे सरकार के चलते तो महाराष्ट्र की जड़ों पर बन ही आई है, लेकिन महाराष्ट्र धर्म के अस्तित्व पर भी प्रहार होने लगा है। देव, देश और धर्म के लिए प्राण न्यौछावर करनेवाले महाराष्ट्र को कमजोर करने की बड़ी साजिश रची गई है। केंद्र और भाजपा शासित राज्यों की ओर से महाराष्ट्र के उद्योगों, अर्थव्यवस्था, पानी और बहुत कुछ छीनने का प्रकार इसी साजिश का ही हिस्सा है। अब तो वे हमारे भगवान को भी भगा ले गए! हमारे भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग पर असम की भाजपा सरकार ने मालिकाना हक का दावा किया है। लाचार मिंधे सरकार की तरफ से इसके खिलाफ कुछ भी नहीं होगा। राज्य की जनता को शिवशंभो का शंख फूंकना ही होगा।