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इजरायल (Israel) ने रविवार (19 फरवरी 2023) को तड़के सीरिया की राजधानी दमिश्क (Damascus, Syria) में मिसाइल दागी। इस हमले में 15 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई लोग घायल हो गए हैं। इस इलाके में सीरिया की सिक्योरिटी एजेंसी इंटेलीजेंस हेडक्वॉर्टर स्थित है। इसके साथ ही यहाँ कई वरिष्ठ अधिकारियों के घर भी हैं।सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, इजरायल द्वारा दागी की गई मिसाइल काफर सोउसे में की गई, जो एक 10 मंजिला इमारत पर जाकर गिरी। सीरिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इजरायल ने गोलन हाइट्स की तरफ से हवाई हमला किया। मंत्रालय के अनुसार, यह हमला रिहायशी इलाके में की गई है। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इजरायल यह हमला किसी खास व्यक्ति को निशाना बनाकर किया था या कोई अन्य कारण था।
इससे पहले सीरिया में शुक्रवार (17 फरवरी 2023) को एक और हमला हुआ था, जिसमें 53 लोग मारे गए थे। सीरिया की सरकारी मीडिया ने इसके लिए खूंखार आतंकी संगठन ISIS को जिम्मेदार बताया था। रविवार को किए गए हमले को लेकर इराजयल की तरफ से कोई बयान नहीं जारी किया गया है।
सीरिया में किसी भी एयर स्ट्राइक को लेकर आमतौर पर इजरायल बयान नहीं जारी करता है। इजराइल डिफेंस फोर्सेज के मुताबिक, वो उन जगहों पर हमला करती है, जहाँ इजरायल के खिलाफ काम करने वाले आतंकी गुट रहते हैं या फिर जहाँ बड़ी मात्रा में इन गुटों के हथियार रखे होते हैं।
इजरायल ईरान समर्थित लेबनान के हिज्बुल्लाह आतंकवादी संगठन को लगातार निशाना बनाता है। सीरिया में साल 2011 में शुरू हुए युद्ध के बाद इजरायल सीरिया पर सैकड़ों हमले कर चुका है। इजरायल इसमें आतंकियों और सीरियाई सैनिकों को निशाना बनाता है। इजरायल का कहना है कि वह अपनी सीमा पर ईरान के प्रभाव को स्वीकार नहीं करेगा। इस आतंकी संगठन से उसे लगातार खतरा बना रहता है।
इससे पहले इजरायल ने जनवरी में भी सीरिया पर हवाई हमला किया था। सीरियाई सेना ने इसकी जानकारी दी थी। इस हमले में दो सैनिक मारे गए थे, जबकि दो अन्य घायल हुए थे। पिछले साल अगस्त में भी इजरायल ने सीरिया के 2 हवाईअड्डों को निशाना बनाया था। इसमें 6 सीरियाई सैनिकों और 2 आतंकी मारे गए थे। ईरान समर्थक हिज़्बुल्लाह के शीर्ष कमांडर इमाद मोगनियाह को 2008 में काफ़र सूसा में ही एक बमबारी में मार दिया गया था।
लेबनान का हिजबुल्ला समूह शिया मुस्लिमों का आतंकवादी संगठन है। इसके साथ ही यह एक राजनीतिक पार्टी भी है। ईरान और सीरिया के शिया बहुल मुल्क होने के कारण इस आतंकी संगठन को दोनों देशों का समर्थन हासिल है। 1982 में ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने लेबनान में घुसे इजरायली लोगों को मारने के लिए हिजबुल्ला की स्थापना की थी।