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जन्म से ही देख नहीं सकने वाली राबिया खान ने ब्रेल लिपि में लिख कुरान बना दिया रिकॉर्ड

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इंदौर के छावनी इलाके में रहने वाली राबिया खान  जन्म से लेकर ही आंखो की रोशनी से महरूम है। लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को अपनी ताकत बनाकर वो काम कर दिखाया है, जिसे सामान्य व्यक्ति भी कर पाने में सक्षम नहीं है। यही कारण है की राबिया खान को भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया है।मध्य प्रदेश के इंदौर की राबिया खान के पास जन्म से ही आंखो की रोशनी नहीं थी लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को अपनी ताकत बनाया और ब्रेल लिपि में पहला मुस्लिम ग्रंथ कुरान लिख दिखाया। राबिया खान ने बताया की कुरान शरीफ जो इस्लामिक मजहब की धार्मिक पुस्तक है वह केवल अरबी भाषा में ही होती है। जिसे अलीगढ़ जाकर पढ़ना सीखा और सीखने के बाद फिर इस तालीम (शिक्षा) को बढ़ावा देने के लिए अपने जैसे बच्चों को भी ब्रेल लिपि में कुरान पढ़ाने के लिए उन्होंने एक मदरसे (पाठशाला) का संचालन शुरू किया। जिसमें कुछ बच्चे कुरान पूरा पढ़कर मुंह जबानी याद भी कर चुके हैं

उन्होंने बताया कि वह अपने जन्म से ही दृष्टिहीन (दिव्यांग) हैं, जिन्हें सभी नेत्रहीन बच्चों की तरह पढ़ाई करने में कठिनाई आई क्योंकि सामान्य पढ़ाई की तुलना में ब्रेल लिपि काफी कठिन होती है। राबिया बताती हैं कि हिंदुस्तान में ब्रेल लिपि में कुरान शरीफ मौजूद नहीं था। जिसके लिए मैनें उसे बनाने की कवायद 2009 से शुरू की थी। सबसे पहले सॉफ्ट कॉपी बनाई, उसे कंप्यूटराइज्ड कर उसे प्रिंट किया फिर इंडिया में लॉन्च किया जो पूरे हिंदुस्तान का पहला ब्रेल लिपि वाला कुरान शरीफ बना।

राबिया खान ने यह भी बताया कि 2014 में नेत्रहीनों के लिए काम करने के लिए इस फील्ड में ऐज ए रोल मॉडल की तर्ज पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था। उन्होंने कहा कि- अपनी विल पावर मजबूत रखो। किसी के निराश करने से निराश नहीं होना, जो अपनी कमजोरी है उसको अपनी ताकत समझो और आगे बढ़ो, कामयाबी जरूर मिलेगी। बता दें कि राबिया खान के परिवार में माता पिता सहित उनके दो भाई और एक बहन भी है। जिसमें वह सबसे छोटी बहन हैं।