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कई शुभ योगों का संगम है चैत्र नवरात्रि! आज पहला दिवस

SG  इस वर्ष की चैत्र नवरात्रि आज से शुरू हो रही है। इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत शुभ संयोग में हो रही है। ग्रहों का यह विशेष योग १९ मार्च से बना है। इस दिन ५ ग्रह एक साथ मीन राशि में संयोग बनाकर गोचर कर रहे हैं। चैत्र नवरात्रि के दिन कई शुभ योग भी रहेंगे जैसे, गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, हंस योग, शश योग, धर्मात्मा और राज लक्षण योग इस दिन रहेंगे। ऐसे शुभ संयोगों के कारण चैत्र नवरात्रि भक्तों के लिए विशेष फलदायी रहनेवाली है। लेकिन एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार नवरात्रि पंचक में शुरू हो रही है।
कालनिर्णय पंचांग की गणनानुसार १९ मार्च को ११.१७ बजे से २३ को १४.०८ बजे तक पंचक रहेंगे। पंचक को अशुभ नक्षत्रों रेवती, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, शतभिषा और धनिष्ठा का योग माना जाता है इसलिए पंचक को अशुभ माना जाता है। इन नक्षत्रों के संयोग से पंचक नक्षत्र बनता है। माना जाता है कि पंचक काल में कोई कार्य करें तो उसकी आवृत्ति भी पांच बार होती है। इसलिए इस अवधि में किए गए कोई भी कार्य अशुभ फल देते हैं। पांच दिन के पंचक पांच प्रकार के होते हैं- रविवार को प्रारंभ होनेवाले को रोग पंचक, सोमवार को प्रारंभ होनेवाले को राज पंचक, मंगलवार को अग्नि पंचक और शनिवार को प्रारंभ होनेवाले को मृत्यु पंचक कहते हैं। पंचक काल के समय दक्षिण दिशा की यात्रा करने से बचना चाहिए क्योंकि यह यम की दिशा है। इस समय लकड़ी, तिनके तोड़ना, मकान की छत डालना, चारपाई-कुर्सी बनवाना, चटाई बुनना, पलंग व गद्दा बनवाना आदि कार्य नहीं करवाए जाते। साथ ही गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार, भूमि पूजन, शादी, मुंडन, नामकरण संस्कार आदि नहीं किए जाते हैं।
लेकिन जहां तक नवरात्रि का प्रश्न है तो पंचक काल में नवरात्रि कलश स्थापना निषेध का कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता है। वैसे भी कालरात्रि के रूप में मां दुर्गा सभी तरह के तंत्र-मंत्र-यंत्र की अधिष्ठात्री कही जाती हैं। उनकी उपासना में कोई भी ग्रह नक्षत्र योग अशुभ कैसे हो सकता है। नवरात्रि के इन ९ दिनों में मां के ९ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है। इसके बाद ९ दिनों तक उस कलश का पूजन किया जाता है। नवरात्रि अष्टमी और नवमी को छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानते हुए कन्या भोज कराया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
भक्तों के लिए विशेष फलदायी
शुभ संयोगों के कारण चैत्र नवरात्रि भक्तों के लिए विशेष फलदायी रहनेवाली है। नवरात्रि के प्रारंभ के समय में उत्तर भाद्रपद नक्षत्र रहेगा। शास्त्रों में इस नक्षत्र को ज्ञान, खुशी और सौभाग्य का सूचक माना गया है। ये नक्षत्र सूर्योदय से लेकर दोपहर ३:३२ तक रहनेवाला है। इस नक्षत्र के स्वामी शनि और राशि स्वामी गुरु हैं। इस नक्षत्र के प्रभाव से सभी राशियों को शुभ फल मिलेंगे। इस नवरात्रि को घट स्थापना का शुभ मुहूर्त २२ मार्च को सुबह ६ बजकर २३ मिनट से ७ बजकर ३२ मिनट तक है।
पांच राशियों पर कृपा बरसेगी
ग्रह-नक्षत्रों के महायोग से इस बार की चैत्र नवरात्रि मिथुन, कर्क, कन्या, वृश्चिक और मीन राशि वाले जातकों के लिए विशेष खुशियां लेकर आ रही है। ग्रहों का महासंयोग मिथुन राशि वालों को उनकी आजीविका के क्षेत्र में नए मौके देगा। नई नौकरी, प्रोमोशन मिल सकता है, जबकि कर्क राशि के जातकों के लिए ग्रहों का ये संयोग नौकरी में पदोन्नति की खुशखबरी दे सकता है। आय में बढ़ोतरी होने के योग हैं। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। परिजनों का सहयोग मिलेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। इसी तरह कन्‍या राशि वालों को मीन राशि में ५ ग्रहों की मौजूदगी तगड़ा आर्थिक लाभ करवा सकती है। नौकरी-व्‍यापार में तरक्‍की मिलेगी। किसी महत्‍वपूर्ण काम में सफलता मिलेगी। कीमती चीज खरीद सकते हैं। वृश्चिक राशि के जातकों को इस अवधि के दौरान व्यापार में बड़ा लाभ हो सकता है। कोई व्यावसायिक लेन-देन पूरा होगा। नौकरी करनेवालों की प्रगति होगी। विवाह के योग बनेंगे। आर्थिक लाभ होगा। निवेश के लिए अच्‍छा समय है। मीन राशि में ही सूर्य, बुध, गुरु, चंद्र और नेप्‍ाच्यून ग्रह की युति हो रही है, जो इस राशि वालों को सबसे ज्‍यादा लाभ देगी। बेरोजगारों और नौकरी बदलने की इच्छा रखनेवाले मीन राशि के जातकों को मोटे पैकेज की नौकरी मिल सकती है। आय बढ़ेगी। नए स्रोतों से पैसा आएगा। व्‍यापार में बड़ा लाभ होगा।
इस दिन के शुभ योग
गजकेसरी योग,
बुधादित्य योग,
हंस योग,
शश योग,
धर्मात्मा योग
राज लक्षण योग

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