Sunday, November 24, 2024

राज्यवायरल न्यूज़

देवभूमि के सनातन स्वरूप को बिगड़ने नहीं देंगे’ -पुष्कर सिंह धामी

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देवभूमि उत्तराखंड में नई सरकार को एक साल पूरा हो गया है। इस अवधि में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे, अवैध मजारें, जनसंख्या असंतुलन जैसे कई मुद्दों पर सरकार का सख्त रुख सामने आया तो तो कन्वर्जन विरोधी कानून, समान नागरिक संहिता पर सरकार की सक्रियता भी दिखी। राज्य में बुनियादी ढांचा विकास, पर्यटन विकास पर सरकार का काम दिखा। प्रस्तुत है इन मुद्दों पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ उत्तराखंड ब्यूरो चीफ दिनेश मानसेरा की विशेष वार्ता के संपादित अंश

 

चुनौतियों का सामना किया है। सबसे बड़ी चुनौती किस रूप में आई?

चुनौतियां तो रोज आती हैं। मैं उन पर सोच-विचार कर निर्णय लेता हूं। सबसे बड़ी चुनौती मेरी सरकार के आगे, यहां भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार को लेकर आई। युवाओं में गुस्सा था, लेकिन हम युवाओं को समझाने, उनमें विश्वास जगाने में कामयाब हुए। हमारी सरकार ने इस मामले में 50 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा और ऐसे ही नहीं भेजा। उनके खिलाफ विजिलेंस, एसआईटी जांच कराकर जेल भेजा। उन पर गैंगस्टर और अन्य गंभीर धाराएं लगाईं, उनकी संपत्ति को कुर्क किया, एक आरोपी के तो रिजॉर्ट को बुलडोजर से गिरवा दिया गया। अब कानून हमने ऐसा बना दिया है कि यहां के युवाओं का भविष्य सुरक्षित, संरक्षित रह सके। यदि कोई भर्तियों के पेपर लीक करेगा, पेपर की नकल कराएगा, तो वह संगीन धाराओं में जेल जाएगा और उस पर दस करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान किया गया है। मैं ऐसा करने को इसलिए मजबूर हुआ क्योंकि मुझसे युवाओं का दर्द नहीं देखा गया। जब तक कानून कठोर नहीं होंगे, तब तक परीक्षा या भर्ती में पारदर्शिता नहीं आएगी।

 

राज्य में मजार जिहाद का षड्यंत्र सामने आया है। जंगल, सड़क किनारे, जहां देखो मजारें ही मजारें। इस पर आपकी सरकार क्या कर रही है?

हमारे सामने जब यह विषय आया, तो हमने पहले वन विभाग से सर्वे करवाया। यह बात सही निकली कि वन्य भूमि पर एक हजार से ज्यादा अवैध मजारें बना दी गई हैं। हमने वन विभाग को इन्हें तत्काल हटाने का निर्देश दिया। ये कोई पीर-बाबाओं की मजारें नहीं हैं बल्कि मजार जिहाद का हिस्सा हैं और यहां असामाजिक तत्व पनाह लेते हैं। हम यह भी जांच करा रहे हैं कि किस अधिकारी के कार्यकाल में वन भूमि में आरक्षित जंगल के अंदर जाकर ये मजारें बनीं। हैरानी की बात यह है कि जिस रिजर्व फॉरेस्ट में इनसान के जाने पर पाबंदी है, वहां मजार बन जाती है और महकमा सोया रहता है। मैंने कड़े निर्देश दिए हैं कि सरकारी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाए और अभी तीन चरणों में सौ से ज्यादा मजारें वन विभाग ने ध्वस्त भी कर दी हैं। शेष पर भी कार्रवाई होने जा रही है।

ऐसी ही मजारें सड़क के किनारे पीडब्ल्यूडी और राजस्व विभाग की जमीन पर कुकुरमुत्तों की तरह उग आई हैं। उन पर क्या कार्रवाई करेंगे?

हमने सर्वे करवा लिया है और निश्चित रूप से इन्हें हटाया जाएगा। हमने यह भी पता कराया है कि ज्यादातर मजारें कांग्रेस शासन काल में 2004 के आसपास बनीं और बाद में फिर जब 2012 में कांग्रेस की सरकार आई, तब भी यहां मजार जिहाद चला, जबकि सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश था कि 2004 के बाद कोई भी धार्मिक स्थल नहीं बनाया जा सकता। जो बनाएगा या किसी स्थल की मरम्मत भी करेगा, तो उसकी अनुमति डीएम से लेना आवश्यक है। और, यहां तो कोई अनुमति नहीं है। जगह सरकारी है, इस लिए सरकार इन्हें हटाएगी। ये मजार, दरगाह नहीं, बल्कि अवैध कब्जे हैं। हमने अब तक जो हटवाई हैं, उनमें कुछ भी नहीं निकला।

 

देखने में आया है कि देवभूमि की बेशकीमती जमीन पर, खासतौर पर उत्तर प्रदेश से लगे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में अवैध कब्जे हुए हैं और यहां अब जनसंख्या असंतुलन की समस्या खड़ी हो गई है?

हां! हमें रिपोर्ट मिली है कि उत्तर प्रदेश से लगते जिलों के लोग वहां से यहां आकर अवैध कब्जे कर रहे हैं, यहां आकर बस गए हैं। हमने इनकी पहचान शुरू कर दी है। इस बारे में हमारी सरकार ने हर जिले में एक टास्क फोर्स बनाई है जिसमें वन, पीडब्ल्यूडी, राजस्व विभाग के अधिकारी हैं जो सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों की पहचान कर रहे हैं। हमने देहरादून जिले में विकास नगर परगना क्षेत्र में करीब नौ किमी क्षेत्र से अवैध कब्जे हटाए हैं। हमने बुलडोजर चलवा कर अरबों रुपये की सरकारी जमीन को खाली कराया है। यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक एक-एक इंच सरकारी जमीन खाली नहीं हो जाती। उत्तराखंड देवभूमि है। इसके स्वरूप को हमारी सरकार बिगड़ने नही देगी। इसमें किसी तरह का राजनीतिक दबाव सहन नहीं किया जाए, ऐसा निर्देश मैंने सभी जिला अधिकारियों को भी दे दिया है। मैं यह बात भी साफ कर देना चाहता हूं कि उत्तराखंड देवभूमि है कोई सराय नहीं कि जो चाहे, यहां आए और आकर सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करके बैठ जाए। जरूरी हुआ तो हम ऐसे तत्वों को भू-माफिया की श्रेणी में रख उन पर गैंगस्टर, रासुका जैसे कड़े कानून लगाने में भी नहीं हिचकेंगे।