आज माफिया अतीक के मारे जाने से विपक्ष में कोहराम मचना स्वाभाविक है। जो पार्टियां माफियों को संरक्षण देकर मतदान केंद्रों पर कब्ज़ा कर उन्हें जीत दिलवाते थे, उनके मारे जाने पर तो हंगामा ही करेंगे, जश्न क्यों मनाएंगे! जब वह निर्दोषों की जान ले रहे थे, तब मगरमछी आंसू की तरह इन पर कानून का डंडा चलाया।
कांग्रेस पार्टी ने अपने 60 साल के शासनकाल में मुस्लिम तुष्टिकरण का ऐसा बीज बोया जो अंततः देश की एकता को कमजोर करने वाला साबित हुआ। सही और गलत के फैसले से परे मुस्लिम समुदाय का एक वर्ग मुस्लिम सुप्रामेसी की मानसिकता में जी रहा है। ‘मुस्लिम वर्चस्व’ वाली इसी मानसिकता की वजह से मुस्लिम अभिजात वर्ग भारत में ‘आक्रमणकारियों’ के शासन पर गर्व करने से नहीं कतराते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि भारत पर आक्रमण करने वाले, देश को लूटने वालों के प्रति हमारे मन में नफरत ही होना चाहिए। इन दिनों महिमामंडन का यही रवैया कुछ कुख्यात मुस्लिम माफिया को लेकर भी देखने को मिल रहा है। माफिया के प्रति हमारे मन में नफरत ही होना चाहिए लेकिन कुछ लोग उनका भी महिमामंडन कर रहे हैं जो कि सही नहीं है। इस मानसिकता को बढ़ावा देने में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी जिम्मेदार है। कांग्रेस का मुस्लिम माफिया से गठजोड़ रहा है। इसका एक उदाहरण इसी से समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी की आवभगत पर कांग्रेस सरकार ने पंजाब में 55 लाख रुपये खर्च कर दिए और 48 वारंट पर भी पेशी से उसे छूट दे दी।
कांग्रेस ने मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल में दिया वीआईपी ट्रीटमेंट, 55 लाख खर्च किए
पंजाब सरकार ने जांच में पाया गया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्व सरकार ने यूपी के गैंगस्टर-राजनीतिज्ञ मुख्तार अंसारी को बचाने पर 55 लाख रुपये खर्च किए थे। गैंगस्टर से नेता बने यूपी के मुख्तार अंसारी को पूर्व की कांग्रेस सरकार द्वारा पंजाब की रोपड़ जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया था। इस मामले को लेकर जांच की जा रही थी। जांच से पता चला है कि कांग्रेस सरकार ने प्रति सुनवाई 11 लाख रुपये खर्च करके और वकील की फीस पर कुल 55 लाख रुपये खर्च करके अंसारी का केस लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील को लगाया था। जांच में कहा गया है कि जिस दिन सुनवाई नहीं हुई उस दिन वकील ने कथित तौर पर 5 लाख रुपये देना तय किया था।
यूपी पुलिस की कार्रवाई से बचाने के लिए पंजाब की जेल में रखा गया
गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को सिर्फ यूपी पुलिस की कार्रवाई से बचाने के लिए एक संदिग्ध प्राथमिकी के आधार पर जेल में रखा गया था। उत्तर प्रदेश सरकार को अंसारी की हिरासत हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। मुख्तार अंसारी को दो साल तीन महीने रूपनगर जेल में रखा गया था। गैंगस्टर की हिरासत अप्रैल 2021 में उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दी गई थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया और पंजाब सरकार को उसे यूपी पुलिस को सौंपने का निर्देश दिया था।
कांग्रेस के मंत्रियों के वसूले जाएंगे 55 लाख रुपये
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कांग्रेस सरकार में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को जेल में आवभगत दिए जाने वालों पर शिकंजा कसने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के अपराधी को पंजाब की जेल में शरण दी गई। 48 बार वारंट जारी होने के बाद भी उसे पेश नहीं किया गया। इतना ही नहीं मुख्तार अंसारी पर उस समय 55 लाख रुपये भी खर्च किए गए। अब आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार ने तत्कालीन मंत्रियों से वसूली करने की तैयारी की है। उन्होंने कहा कि जिन मंत्रियों के आदेश पर जनता की कमाई के 55 लाख खर्च किए गए हैं, अब उन्हें मंत्रियों से इसकी वसूली की जाएगी।
जेल में मुख्तार अंसारी को दिया गया VIP ट्रीटमेंट
यूपी में बीजेपी की योगी सरकार आने के बाद मुख्तार अंसारी को एनकाउंटर का डर था। इसलिए उसने पंजाब जेल में खुद को सुरक्षित माना। आरोप है कि यहां कांग्रेस सरकार की मिलीभगत से मुख्तार अंसारी को जेल के अंदर सारी सुविधाएं दी गईं। भगवंत मान सरकार की मानें तो कांग्रेस सरकार ने मुख्तार का केस लड़ने के लिए वकील हायर किया। सुप्रीम कोर्ट के वकील ने हर सुनवाई के दौरान 11 लाख रुपये फीस ली।
बैरक में मुख्तार की पत्नी बिताती थी घंटों
पंजाब सरकार का दावा है कि मुख्तार अंसारी को रोपड़ की जेल में रखा गया। उसे जिस बैरक में रखा गया था, वहां पर 25 कैदियों के रहने की क्षमता था लेकिन उसे अकेला ही रखा गया। आरोप है कि माफिया को बैरक में वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया। आरोप है कि यहां मुख्तार की पत्नी भी आती थी और वह बैरक में कई घंटे मुख्तार अंसारी के साथ बिताती थी।
आवभगत में लगाए गए थे 10 IPS अफसर
मान सरकार ने दावा किया है कि 10 आईपीएस अफसरों को मुख्तार अंसारी की आवभगत में लगाया गया था। मुख्तार को 24 जनवरी 2019 को रोपड़ जेल लाया गया था। यूपी सरकार ने उसे वापस लाने के लिए कई प्रयास किए लेकिन पंजाब सरकार ने मुख्तार को नहीं पेश किया। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पिछले साल अप्रैल में मुख्तार को यूपी लाया गया। अभी वह बांदा की जेल में बंद है।
फंस सकते हैं तत्कालीन जेल मंत्री सुखजिंदर रंधावा
सुखजिंदर रंधावा तत्कालीन जेल मंत्री थे। उनके और मुख्तार के बीच संबंधों को लेकर कई बार मामला उठा। वह यूपी की यात्रा पर थे तो लखनऊ के ताज होटल में रुके थे। वह पूरा समय मुख्तार अंसारी की कार में ही घूमे थे। इसका वीडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद कांग्रेस सरकार की फजीहत हुई थी।
कांग्रेस का अपराधियों, आतंकियों और देश विरोधी ताकतों से गठजोड़
कांग्रेस पार्टी अपराधियों, आतंकियों और देश विरोधी ताकतों को अपना रहनुमा मानते हैं। उनके अतीत पर नजर डालते हैं तो ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं, जब कांग्रेस नेताओं ने गांधी जी के आदर्शों की तिलांजलि देकर अहिंसा की जगह हिंसा का सहारा लिया। साथ ही गांधी जी की जगह अपराधियों और आतंकियों को अपना आदर्श माना। उनके प्रति हमदर्दी दिखाई। इसमें कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी जैसे भी शामिल हैं, जो माफिया अतीक अहमद को बाप का दर्जा देकर उन्हें अपना संरक्षक और मार्गदर्शक मानते थे। उनके सम्मान में महफिलों में कसीदे पढ़ते रहते थे।