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संहिता भी है। माना जा रहा है कि 2024 के चुनाव से पहले भाजपा का अगला टारगेट यूसीसी हो सकता है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के संकल्प पत्र में भी भाजपा ने इसे शामिल किया था। कहा तो यह भी जा रहा है कि केन्द्र सरकार संसद के आगामी मानसून सत्र में यूसीसी का बिल सदन में पेश कर सकती है। इन्हीं तमाम हलचलों में के बीच मुख्यमंत्री धामी बीते शनिवार की शाम दिल्ली रवाना हुए हैं। उसके इस दौरे को यूसीसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
इस मामले में मोदी सरकार की दिलचस्पी के बाद अब दो परिस्थितियां बनती दिख रही हैं या तो प्रयोग के तौर पर पहले उत्तराखण्ड में यूसीसी लागू किया जाएगा या फिर पूरे देश के यह संहिता लागू कर दी जाएगी। आने वाले कुछ दिनों में इसे लेकर स्थिति साफ हो जाएगी। मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए विपक्षी दल भी इसका खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे हैं। कुल मिलाकर धामी ने यूसीसी के मुद्दे पर जबरदस्त स्टैण्ड लिया। अब उनकी कोशिशें रंग लाने लगी हैं। इस मसले पर लिया जाने वाला फैसला भाजपा के साथ ही धामी की सियासी पारी के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा।