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कृषि कानून के विरोध में पिछले 18 दिनों से पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ किसान दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं, मौसम तो फिलहाल सर्द है, मगर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के तेवर गर्म हैं. किसान कृषि कानूनों की वापसी से कम पर राजी नहीं हैं.किसान आंदोलन में ठण्ड से निपटने और खाने-पीने का पूरा इंतजाम है, किसी बॉर्डर पर लंगर का इंतजाम है. तो कहीं पिज्जा का लंगर चल रहा है तो कहीं किसान आंदोलनकारी काजू बादाम का लंगर लगा रहे हैं, यही नहीं पैर मालिश करने की मशीन भी है आंदोलन में, शाम को मनोरंजन के लिए स्क्रीन भी लगाई गई है.हालाँकि अब किसान काजू बादाम, पिज्जा नहीं खाएंगे, क्योंकि कल ( 14 दिसंबर, 2020 ) से किसान अनशन पर बैठेंगे। किसानों ने प्रेस-कॉन्फ्रेंस करके इसका ऐलान किया। सिंघु बॉर्डर पर प्रेस-कॉन्फ्रेंस करते हुए किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि कल सारे संगठनों के मुखिया सुबह 8 बजे से शाम पांच बजे तक एक दिन के लिए भूख हड़ताल रखेंगे। गौरतलब है कि इससे पहले किसान 8 दिसंबर, 2020 को भारत बंद भी कर चुके हैं.आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि जबतक केंद्र सरकार कृषि कानून को वापस नहीं ले लेती तबतक आंदोलन बदस्तूर जारी रहेगा। अबतक किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कोई हल नहीं निकल सका है.किसान पहले मांग कर रहे थे कि सरकार एमएसपी की लिखित गारंटी दी, सरकार इसपर राजी हो गई, अब किसानों का कहना है कि कानून रद्द किया जाय. हालाँकि कुछ केंद्रीय मंत्रियों के बयान से स्पष्ट हो गया है कि सरकार कृषि कानून को किसी भी कीमत पे रद्द नहीं करेगी, हाँ! कानून में संसोधन का विकल्प छोड़ा गया है. केंद्रीय मंत्रियों के बयानों के मुताबिक़, अगर किसान कानून में कोई गलती बताएँगे तो उसमें संसोधन होगा।