ट्रेंड कर रहा है #खालिस्तानी_माँगे_कुटाई
केंद्र सरकार और नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे कथित किसान संगठनों के बीच शुक्रवार (22 जनवरी 2021) को 11वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। संगठनों के अड़ियल रवैए को देखते हुए सरकार ने भी अब बातचीत की अगली तारीख नहीं दी है। अपनी ओर से दिए गए प्रस्तावों पर विचार करने को कहा है।
कुछ राजनीतिज्ञ पंडितों का मानना है कि मोदी विरोधियों का शायद यह अंतिम विरोध होगा, इस सोंच में कितनी सच्चाई है, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है। क्योकि इस किसान विरोध में किसान कम आढ़ती और मोदी विरोधियों का कब्ज़ा है। दूसरे, कृषि कानून आने पर ये वही राकेश टिकैत ने स्वागत किया था और आज वही टिकैत विरोध कर रहा है, यानि विरोध कृषि कानूनों का नहीं बल्कि मोदी का अधिक है। फिर सबसे पहले दिल्ली में इन कानूनों को लागू करने वाले अरविन्द केजरीवाल भी इस विरोध में कूद पड़े हैं, जो यह सिद्ध करता है कि इन लोगों को कृषि कानून से अधिक मोदी विरोध करना है।
किसान नेताओं ने मीटिंग के बाद कहा, “सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया। कृषि क़ानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की। अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है।”
‘किसान’ नेताओं के अड़ियल रवैए से जनसामान्य का जीवन भी प्रभावित होने लगा है। राकेश टिकैत जैसे नेता हर सुरक्षा मानक को नकारते हुए 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली करने पर अड़े हैं। शुक्रवार को इस संबंध में परेड की रिहर्सल भी हुई।
अब कथित किसानों की इसी मनमानी को देखते हुए लोगों के सब्र का बाँध टूटने लगा है और लोग आंदोलन में शामिल उन अराजक तत्वों पर कार्रवाई की मॉंग कर रहे हैं जो किसानों को ये समझने नहीं दे रहे कि उनके हित में क्या है क्या नहीं?
ट्विटर पर खालिस्तानी_माँगे_कुटाई ट्रेंड कर रहा है। इस ट्रेंड पर अब तक 41 हजार ट्वीट हो चुके हैं। भारतीय फिल्म निर्देशक अशोक पंडित ने हैशटैग के अंतर्गत लिखा है, “तथाकथित किसान आंदोलन में सिख फॉर जस्टिस, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स जैसे आतंकी संगठन शामिल हैं। जरूरी है कि इन देश विरोधी ताकतों को कुचला जाए।”
आशीष शुक्ला इस हैशटैग के अंतर्गत किसान नेता राकेश टिकैत द्वारा बार बार ट्रैक्टर रैली करने की बात पर कहते हैं, “अगर 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के ड्रामे के दौरान कोई भी दंगा हुआ तो दिल्ली पुलिस इसी पागल (psycho) व्यक्ति को यूएपीए एक्ट के तहत गिरफ्तार करना।”
समिता शर्मा ने जैजी बी की भड़काऊ वीडियो शेयर करके खालिस्तानियों पर निशाना साधा है। वह कहती हैं कि सरकार को धमकाना, झूठ बोलना, किसानों को अराजकता पैदा करने के लिए सड़कों पर उतरने के लिए उकसाना और ऐसे देश विरोधी प्रतिबंधित संगठनों की भागीदारी जो भिंडरावाला के नक्शेकदम पर चलती है- एक आंदोलन है जिसे किसान आंदोलन कहा जाता है।
इस हैशटैग में किसान आंदोलन के दौरान हुई किसानों की मृत्यु को लेकर राकेश टिकैत को जिम्मेदार बताया जा रहा है। लोगों का कहना है कि यही आदमी किसानों की भावनाओं से और भारत की अखंडता से खेल रहे हैं। लोग आरोप लगा रहे हैं कि इन लोगों को खालिस्तानी संगठनों से फंडिंग मिल रही हैं।
राकेश टिकैत की वीडियो शेयर करके कहा जा रहा है कि इन लोगों को कभी भी किसान नेताओं से लेना-देना नहीं था। इनका मकसद सिर्फ़ अराजकता पैदा करना था, हिंसा फैलाना था और वैश्विक स्तर पर मोदी के ख़िलाफ़ नैरेटिव गढ़ना था। ऐसे फर्जी किसानों/ खालिस्तानियों के साथ वहीं करना चाहिए जो ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद भिंडरावाले के साथ हुआ था।
वीडियो में टिकैत कहते सुनाई दे रहे हैं, “देश को गणतंत्र दिवस मनाने का अधिकार है। किसी के बाप की जागीर है गणतंत्र दिवस। ये गणतंत्र दिवस दुनिया का किसान मनाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी परेड होगा। कौन रोकेगा किसान को।” वह दिल्ली को खबरदार करते हुए कहते हैं कि अगर ट्रैक्टर को रोका गया तो उसका इलाज होगा। अगर किसी ने रोका तो उसकी बक्कल उतार दी जाएगी। वह चिल्लाकर पूछते हैं कि कौन रोकेगा ट्रैक्टर को? कोई नहीं रोकेगा।
इस हैशटैग में कुछ लोग अराजक तत्वों का निवारण करने की बात कहकर इस बात पर गौर करवा रहे हैं कि आखिर केवल पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे राज्यों के किसान ही इसमें शामिल क्यों हो रहे हैं? वहीं कुछ लोग इस हैशटैग को ट्रेंड करवाने वालों की मंशा पर सवाल उठा कर पूछ रहे हैं कि क्या किसान प्रदर्शन पर बैठे सिख वाकई खालिस्तानी हैं।
इस खींचतान और 11वें दौर की बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का बयान आया है। उन्होंने कहा, “भारत सरकार PM मोदी जी के नेतृत्व में किसानों और गरीबों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है और रहेगी… विशेष रूप से पंजाब के किसान और कुछ राज्यों के किसान कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “इस आंदोलन के दौरान लगातार ये कोशिश हुई कि जनता के बीच और किसानों के बीच गलतफहमियाँ फैलें। इसका फायदा उठाकर कुछ लोग जो हर अच्छे काम का विरोध करने के आदी हो चुके हैं, वे किसानों के कंधे का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर सकें।”
साभार आरबीएल निगम