नेपाल की सियासत फिर पलटी:केपी शर्मा ओली 3 दिन बाद फिर नेपाल के प्रधानमंत्री बने; सरकार बनाने लायक सीटें नहीं जुटा पाए विपक्षी दल
केपी शर्मा ओली विश्वास मत हारने के तीन दिन बाद फिर नेपाल के प्रधानमंत्री चुन लिए गए। राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी शुक्रवार शाम उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी। ओली को नेपाली संविधान के अनुच्छेद 76 (3) के तहत प्रधानमंत्री चुना गया है। इसके पहले सोमवार राष्ट्रपति ने विपक्ष को यह मौका दिया था कि वे गुरुवार रात 9 बजे तक सरकार बनाने का दावा पेश करें।
संविधान के मुताबिक, दो या उससे ज्यादा पार्टियां मिलकर 271 सदस्यीय सदन में 136 सीटें जुटा सकती थीं। लेकिन, डेडलाइन खत्म होने तक विपक्षी दल तमाम कोशिशों के बावजूद यह आंकड़ा नहीं जुटा पाए और केयरटेकर प्रधानमंत्री ओली को ही फिर चुन लिया गया। इसके तहत, सबसे पार्टी का प्रमुख प्रधानमंत्री पद का हकदार होता है। ये तभी संभव है जबकि दूसरी विपक्षी पार्टी या गठबंधन सरकार बनाने लायक बहुमत न जुटा पाए।
आगे क्या
ओली को एक महीने यानी 30 दिन में संसद में बहुमत साबित करना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ यानी ओली बहुमत साबित नहीं हो कर पाए तो संसद को फिर भंग किया जाएगा और देश में नए चुनाव होंगे। नेपाली कांग्रेस और NCP गुरुवार को बहुमत जुटाने में नाकाम रहे।
सोमवार को क्या हुआ था
सोमवार को ओली ने विश्वास मत खोने के बाद इस्तीफा दे दिया था। मतदान के दौरान कुल 232 सांसदों ने हिस्सा लिया था। इनमें से 124 ने ओली के विरोध में जबकि 93 ने उनके पक्ष में मतदान किया था। 15 सांसद न्यूट्रल रहे थे। ओली को सरकार बचाने के लिए कुल 136 वोटों की जरूरत थी। नेपाल की संसद में कुल 271 सदस्य हैं। माधव नेपाल और झालानाथ खनाल ग्रुप वोटिंग में शामिल नहीं हुआ था।
ली फरवरी 2018 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। तब से पहली बार वे 271 सीट वाले संसद में फ्लोर टेस्ट का सामना कर रहे थे। ओली को समर्थन दे रही अहम मधेशी पार्टी ने वोटिंग से दूर रहने का फैसला किया था। तभी यह तय लग रहा था कि सरकार गिर जाएगी। हालांकि, 2 साल में ऐसे कई मौके आए, लेकिन वे हर बार सरकार और कुर्सी बचा ले गए।