जब कोई जलता है तो मवाद निकलता है’ – The Kashmir Files यही पूछता है – सच को स्वीकार करोगे या पर्दा डालने की राजनीति?
सच को स्वीकार करोगे या पर्दा डालने की राजनीति – पूछता है The Kashmir Files
कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म बनाना एक जिगरे का काम है। पुष्करनाथ पंडित और उनके जैसे लाखों कश्मीरी पंडितों की जीवंत गाथा है ये फिल्म, जिन्हें एक रात में अपना सब कुछ छोड़ कर घाटी से भागना पडा, क्योंकि इस्लामिक जिहादियों ने उन्हें केवल तीन ही विकल्प दिए थे – रालिव, त्सालिव या गालिव अर्थात, धर्मपरिवर्तन करो, भाग जाओ, या मर जाओ | राजनीतिक समझौतों से भावशून्य हो चुके बाकी भारतीय समाज की पाषाण हो गई संवेदना पर भी एक तीखी टिप्पणी है कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files)।
यह एक ज़बरदस्त फिल्म है जो स्वतंत्र भारत की सबसे गहरी मानवीय त्रासदी के घावों को कुरेदती ही नहीं बल्कि उन्हें उघाड़ कर हमारे सामने रख कर हमसे पूछती है – ‘क्या अब भी तुम कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार को भुलाने की राजनीति करोगे या सच को स्वीकार करोगे?’
फिल्म में एक डायलॉग है। ‘जब कोई जलता है तो मवाद निकलता है।’ धर्मांध जिहादी आतंक के शिकार कश्मीरी हिन्दुओं के सीनों में दशकों से जमे उस अवसाद को बाहर लाने के लिए साधुवाद विवेक रंजन अग्निहोत्री!
जम्मू-कश्मीर के घाटी (Kashmir Valley) में हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर बनी विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) को हर तरह से नुकसान पहुँचाने की कोशिश की जा रही है। इस्लामवादी से लेकर बॉलीवुड के एजेंडा सेटर तक नहीं चाहते है कि 90 के दशक के इस इस्लामिक नरसंहार की सच्चाई को जनता की सामने लाया जाए। फिल्म के प्रोड्यूसर और निर्देशक के मनोबल तोड़ने के लिए आर्थिक बहिष्कार कर रहे हैं। इसके बावजूद दर्शकों की भारी भीड़ इस फिल्म को देखने पहुँच रही है और फिल्म जबरदस्त कमाई भी कर रही है।
अपनी रिलीज के पहले दिन यानी 11 मार्च को ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने जबरदस्त कमाई है, वो भी तब जबकि बॉलीवुड गैंग के दबाव में यह सिर्फ 550 स्क्रीन पर रिलीज हो पाई। बताया जा रहा है कि पहले दिन इस फिल्म 2.5 करोड़ से 3 करोड़ रुपए की बीच कमाई की है। यह हाल में रिलीज हुई बॉलीवुड की कई फिल्मों की पहले दिन की कमाई से बेहतर है। इस फिल्म ने निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की पिछली फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ की पहले दिन की कमाई से 6-7 गुना अधिक कमाई की है। बता दें कि ‘द ताशकंद फाइल्स’ ने पहले दिन सिर्फ 40 लाख रुपए की कमाई की थी।
बीतने वाले हर एक दिन के साथ फिल्म की कमाई बढ़ने की उम्मीद है। जिस तरह से यह लोगों के दिल और दिमाग को झकझोर रही है, लोग इसे लंबे समय तक भूल नहीं पाएँगे। फिल्म देखकर निकले एक दर्शक ने कहा कि यह फिल्म हर भारतीय और हिंदुओं को देखना चाहिए। एक अन्य दर्शक ने कहा कि यह फिल्म दिखाती है कि आज से 30 साल पहले कश्मीर में वास्तव में क्या हुआ था, इस फिल्म के जरिए समझा जा सकता है।
वहीं, कुछ सिनेमाघरों में फिल्म के कुछ हिस्सों को म्यूट (आवाज बंद करना) करने की भी कोशिश गई। महाराष्ट्र के भिवंडी स्थित PVR सिनेमा में फिल्म के एक हिस्से में आवाज को बंद कर दिया गया। दर्शकों का आरोप है कि चिन्मय मंडेलकर के हिस्से वाले के संवाद को जानबूझकर बंद कर दिया गया। इसके बाद दर्शक भड़क उठे।
वहीं, मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग के एक सिनेमाघर में दर्शक फिल्म का इंतजार करते रहे, लेकिन इसे विवादास्पद बताकर प्रदर्शित नहीं किया गया। सनबीर सिंह रनहोत्रा ने इसको लेकर ट्वीट किया, “@vivekagnihotri जी, आज शिलॉन्ग के गैलेरिया सिनेमा में द कश्मीर फाइल्स के शो के लिए गए थे। हाउसफुल सिनेमा हॉल के दर्शकों को बताया गया कि उन्हें ‘फाइल नहीं मिली’ और शो रद्द कर दिया गया। सिनेमा हॉल के मैनेजर को को यह कहते हुए सुना गया कि फिल्म ‘विवादास्पद’ है।”
अग्निहोत्री ने बताया कि एक बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म ने द कश्मीर फाइल्स को रिलीज करने के लिए साल 2020 में उनसे संपर्क किया था। विवेक के अनुसार, प्लेटफॉर्म के मुखिया का कहना था कि वे फिल्म में इस्लामिक आतंकवाद जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकते। उनसे स्पष्ट शब्दों में कहा गया, “हमारी एक वैश्विक नीति है कि हम अपनी किसी भी फिल्म में इस्लामिक आतंकवाद शब्द का प्रयोग नहीं करते हैं। मुझे आशा है कि आप इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं।”
इतना ही नहीं, कपिल शर्मा ने अपने शो के माध्यम से ‘द कश्मीर फाइल्स’ का प्रमोशन करने से इनकार कर दिया था। कपिल शर्मा ने तर्क दिया था कि इस फिल्म में कोई बड़ा हीरो नहीं है। पिछले दिनों निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा को ‘शूर्पणखा’ बताते हुए फिल्म को नुकसान पहुँचाने की कोशिश का आरोप लगाया था। उन्होंने वीडियो जारी कर चोपड़ा की कारस्तानी के बारे में विस्तार से बताया था। साथ ही उनलोगों के नाम भी बताए थे जो कथित तौर पर बॉलीवुड को चलाते हैं। उसके नियम-कायदे सेट करते हैं। यह फिल्म लगातार कट्टरपंथियों के भी निशाने पर है।
दूसरी तरफ, हरियाणा में इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया गया है। एक्ससाइज एंड टैक्सेशन विभाग ने एक आदेश जारी कर कहा कि फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को राज्य में टैक्स फ्री कर दिया है।
नरसंहार की इस दिल दहलाने वाली सत्य घटना में असल में 23 मार्च 2003 को लश्करे तैयबा के आतंकियों ने 11 महिलाओं और दो बच्चों समेत 24 पंडितों को मार डाला था। फिल्म के हीरो कृष्णा पंडित (दर्शन कुमार) का भाई शिवा उनमें से ही एक बच्चा है। फिल्म के अंतिम दृश्य में जैसे ही ये बच्चा गोली खाकर खाई में पड़ी अन्य लाशों के ढेर पर गिरता है तो पहले तो एक गहरी खामोशी हॉल में छा जाती है। उसके बाद ज्यों ही टाइटल की पहली प्लेट आती है तो अनायास ही हमारे पीछे वाली दर्शक दीर्घा से एक लड़का उस गंभीर ख़ामोशी को तोड़ पहली ताली बजाता है। फिर तो पूरे हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट गूँजने लगती है।
अवलोकन करें:-
इस फिल्म को रिलीज से रोकने के लिए निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को हर तरह से घेरने की कोशिश की गई थी। अग्निहोत्री को जान से मारने की धमकी दी गई थी। जब वो नहीं माने तो इस फिल्म को रोकने के लिए कोर्ट में याचिका दी गई कि इससे मुस्लिमों की भावनाएँ आहत होती हैं। हालाँकि, फिल्म पर रोक नहीं लगी, लेकिन जम्मू की अदालत ने सैन्य अधिकारी रवि खन्ना से जुड़ा सीन हटाने को कहा। सेंसर बोर्ड ने कुछ सीन को कट करने और नाम बदलने के लिए कहा। उसके बाद फिल्म में JNU का नाम बदलकर ANU कर दिया गया।