Sunday, November 24, 2024

राष्ट्रीय

दबाव के बीच भारत-अमेरिका टू प्लस टू वार्ता होना तय, दो दिन के लिए अमेरिका जाएंगे राजनाथ सिंह और एस जयशंकर

Indo-US two plus two talks set to be held amidst pressure, Rajnath Singh and S Jaishankar will go to America for two days

नई दिल्ली। पिछले एक हफ्ते के भीतर जो बाइडन प्रशासन के कम से कम चार वरिष्ठ अधिकारियों ने अलग अलग मौकों पर भारत को यह चेतावनी दी है कि उसने रूस के साथ अपने कारोबारी रिश्तों को बढ़ाया तो इसके परिणाम भुगतने होंगे। ऐसे में अगले हफ्ते दोनों देशों के बीच होने वाली टू प्लस टू वार्ता का एजेंडा क्या होगा यह कोई अनुमान लगाने का मुद्दा नहीं रहा। गुरुवार को भारत और अमेरिका की तरफ से बताया गया है कि इनके विदेश और रक्षा मंत्रियों की टू प्लस टू वार्ता 11 अप्रैल, 2022 को होगी। वार्ता में हिस्सा लेने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वाशिंगटन जाएंगे। अमेरिका का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लायड आस्टिन करेंगे।
जहां तक अमेरिकी दबाव का सवाल है तो भारत ने गत दो हफ्तों के दौरान साफ तौर पर दिखाया है कि वह अपने हितों के मुताबिक ही काम करेगा। गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से जब यह पूछा गया तो उनका जवाब बहुत सांकेतिक था। बागची ने कहा कि, रूस के साथ भारत के आर्थिक रिश्ते काफी व्यवस्थित रहे हैं लेकिन मौजूदा परिवेश में उसे स्थिर बनाने की कोशिश की जा रही है। रूस के साथ रुबल-रुपये में कारोबार करने के बारे में अंतिम फैसला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी। अमेरिका की तरफ से रूस से ज्यादा इंधन नहीं खरीदने के सवाल पर बागची ने विदेश मंत्री एस.जयशंकर की तरफ से बुधवार को संसद में दिए गए बयान का उद्धरण दिया कि यूरोपीय देश अभी तक रूस से इनर्जी प्रोडक्ट्स खरीद रहे हैं। जहां तक रूस पर लगाए गए प्रतिबंध का सवाल है तो इसको लेकर स्थिति काफी अस्पष्ट है।
इस बैठक में क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी होगा विमर्श
भारत और अमेरिका के बीच यह चौथी टू प्लस टू वार्ता होगी। बागची ने कहा कि आगामी बैठक दोनों देशों को विदेश नीति, रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग से जुड़े तमाम मुद्दों पर विमर्श करने का मौका देगा। भारत और अमेरिका रणनीतिक साझेदार हैं और इस बैठक में क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी विमर्श होगा। अमेरिका ने इस साल की बैठक को इस लिहाज से महत्वपूर्ण बताया कि इस वर्ष दोनों देश कूटनीतिक रिश्तों के स्थापित होने की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। भारत और अमेरिका एक मजबूत व महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार के तौर पर भी स्थापित हो रहे हैं और आगामी बैठक में इस संदर्भ में विमर्श का मौका होगा। भारत की तरफ से जारी संक्षिप्त बयान में हिंद प्रशांत क्षेत्र का जिक्र नहीं है लेकिन अमेरिकी बयान में कहा गया है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र को खुला व सभी के लिए समान अवसर वाला क्षेत्र बनाने, जो भौगोलिक अखंडता व संप्रभुता को बनाये रखने में भरोसा करे और मानवाधिकार की सुरक्षा करे, पर भी बात होगी।
तीनों देशों के बीच स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने की संभावनाओं पर उठ रहे सवाल
सनद रहे कि यूक्रेन पर हमले के बाद से ही अमेरिका की तरफ से भारत पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह रूस के साथ अपने रिश्तों की समीक्षा करे। हाल ही में भारत के दौरे पर आए अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह से लेकर गुरुवार को राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस की प्रवक्ता तक ने कहा कि भारत को रूस के साथ अपने इ्रंधन खरीद को बढ़ाना नहीं चाहिए। अमेरिका भारत व रूस के बीच स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने की संभावनाओं पर भी सवाल उठा रहा है।
दूसरी तरफ रूस भारत को सस्ती दर पर पेट्रोलियम उत्पाद बेचने को तैयार है। भारत इस बारे में सोच समझ कर आगे बढ़ेगा। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद कई मौकों पर भारत ने रूस के पक्ष में वोटिंग के समय अनुपस्थित रहा है। लेकिन बूचा में निर्दोष नागरिकों के मारे जाने पर गहरा आक्रोश भी जताया है व इस घटनाक्रम की जांच करवाने की मांग की है।