Saturday, November 23, 2024

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कोविड के बाद ‘ब्लैक फंगस’ का खतरा, जानें कितनी घातक है यह बीमारी

कोरोना की दूसरी लहर से पूरा देश बेहाल है. दूसरी लहर में कोविड के मरीज ज्यादा गंभीर हो रहे हैं. कई मरीजों को स्टेरोइड देकर बचाया जा रहा है. ऐसे स्टेरोइड के हैवी डोज से कई मरीजों को ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ यानी ‘ब्लैक फ़ंगस’ नाम की बीमारी भी हो रही है.

 

 

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कोविड के बाद ‘ब्लैक फंगस’ का खतरा, जानें कितनी घातक है यह बीमारी

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देश Reported by पूजा भारद्वाज, Edited by गुणातीत ओझा

कोरोना की दूसरी लहर से पूरा देश बेहाल है. दूसरी लहर में कोविड के मरीज ज्यादा गंभीर हो रहे हैं. कई मरीजों को स्टेरोइड देकर बचाया जा रहा है. ऐसे स्टेरोइड के हैवी डोज से कई मरीजों को ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ यानी ‘ब्लैक फ़ंगस’ नाम की बीमारी भी हो रही है.

Updated : May 11, 2021 00:08 IST

कोरोना के बाद बढ़ा ब्लैक फंगस बीमारी का खतरा।

 

मुंबई: कोरोना की दूसरी लहर से पूरा देश बेहाल है. दूसरी लहर में कोविड के मरीज ज्यादा गंभीर हो रहे हैं. कई मरीजों को स्टेरोइड देकर बचाया जा रहा है. ऐसे स्टेरोइड के हैवी डोज से कई मरीजों को ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ यानी ‘ब्लैक फ़ंगस’ नाम की बीमारी भी हो रही है. इस बीमारी में में कुछ गम्भीर मरीजों को बचाने के लिए उनकी आंखें निकालनी पड़ रही है. इस बीमारी को ‘ब्लैक फंगस’ भी कहते हैं. यह नाक से शुरू होती है, आंख और दिमाग तक फैलती है. मुंबई में बीएमसी के बड़े अस्पताल ‘सायन’ ने बीते डेढ़ महीने में ब्लैक फंगस के 30 मरीज देखे हैं. जिनमें 6 की मौत हुई है और 11 मरीजों की एक आंख निकालनी पड़ी. एक्सपर्ट्स बताते हैं की फंगस 2-3 दिन नाक में रहता है और फिर आंख की ओर बढ़ता है. ऐसे में नाक से खून निकलना या देखने में हल्की भी दिक्कत हो तो डॉक्टर से सम्पर्क करें. कोविड के बाद ब्लैक फंगस इंफेक्शन की जंग और भी ज्यादा घातक है.

ब्लैक फंगस ने छीन ली नितिन की एक आंखकोविड से जंग जीत चुके 44 साल के नितिन शिंदे अब ब्लैक फंगस से जंग लड़ रहे हैं. उन्हें म्युकॉर्मायकोसिस के कारण अपनी आंख गंवानी पड़ी. नितिन की पत्नी ने बताया कि वह पति को हुई तकलीफ के दूसरे दिन से लेकर अस्पताल के चक्कर काट रही थी. लेकिन संक्रमण बढ़ने के कारण एक आंख निकालनी पड़ी. नितिन की पत्नी सूर्या शिंदे ने बताया कि वह पहले और दूसरे दिन से ही पति को लेकर दौड़ रही हैं. इसके बावजूद नितिन के नाक मुंह से खून निकलना शुरू हो गया था. KEM में फिर नजदीक के लायंस क्लब अस्पताल में लेकर गयी. अभी कंडीशन बेहतर है.

 

बीमारी ब्रेन तक चली जातीनितिन का इलाज कर रहे डॉ. सुहास चौधरी ने बताया कि मरीज को पहले कोविड हो चुका था. जब वो भर्ती हुए तो उनका शुगर काफी हाई था. किडनी के ऊपर भी असर हुआ था. उनकी बायीं आंख पूरी तरह से म्युकॉर्मायकोसिस की वजह से खराब हो चुकी थी. अगर ज्यादा समय रुकते तो शायद ये बीमारी उनके ब्रेन तक चली जाती, जिसमें मॉर्टैलिटी रेट हाई रहता है. करीब सात घंटे की सर्जरी चली एक आंख निकालनी पड़ी. नितिन की जान बचाने के लिए ये जरूरी था.

 

सायन अस्पताल में ब्लैक फंगस के 30 मरीजसायन हॉस्पिटल की E.N.T हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. रेणुका ब्रडू ने कहा कि ये जानलेवा बीमारी है. उन्होंने कहा कि तीस मरीज हमने बीते डेढ़ महीने में देखे हैं. इनमें से 11 मरीजों की एक आंख निकालनी पड़ी है. एक मरीज 47 साल की हैं उनकी दोनों आंख निकालनी पड़ी. उन्होंने कहा, ”इस बीमारी के तीस मरीज जो हमारे यहां हैं इनमें से 6 मरीजों को हम बचा नहीं पाए. इस बीमारी की मॉर्टैलिटी रेट 50% यानी की 10 में से 5 मरीज नहीं बच पाते अगर ये बीमारी शरीर में फैली जाती है.”

 

शुगर के मरीजों के लिए खतरनाक है यह बीमारीमुंबई की ENT स्पेशलिस्ट डॉ. मायाशंकर विश्वकर्मा ने कहा, ”पिछले हफ्ते 4 मरीज ऑपरेट किए हैं. जिनमें से दो की आंख की रोशनी चली गयी थी. ऐसे कोविड मरीज जो डायबटीक हैं, जिनका इम्यूनिटी डाउन है, ये लोग स्टेरोइड पर होते हैं, कितने मरीज खुद से भी घर पर स्टेरोईड लेते हैं. जो मरीज की इम्यूनिटी कम कर देता है. इससे ये फंगल इन्फेक्शन ज्यादा हो रहा है. ये शुरू होता है नाक से फिर धीरे-धीरे आंख में फैलता है, आंख लाल होती है, सूजन होती है, कम दिखता है और अगर ब्रेन तक ये बीमारी गयी तो मॉर्टैलिटी के चांसेज 80% होती है.”

 

कैसे होता है ब्लैक फंगस का इलाजमुंबई की ENT स्पेशलिस्ट डॉ आकृति देसाई ने कहा, ”इस महीने में मैं 15 से ऊपर केस देख चुकी हूं, सहकर्मी ने 40 से ऊपर केस देखे हैं. ENT डॉक्टर नाक से इसको टेस्ट के जरिए कन्फर्म करते हैं, पहले फिर एंटी फंगल इंजेक्शन देते हैं. अगर संक्रमण आंखों तक पहुंच जाता है तो सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है. संक्रमण ज्यादा हुआ तो पूरी आंख निकालनी पड़ सकती है. सामान्य दिनों में ये डायबटीक या हाई शुगर मरीज में होता था, बेहद कम इम्यूनिटी वाले मरीज में होता था. पहले इस बीमारी के बहुत कम मरीज आते थे. अभी यह बीमारी कोविड में हो रही सारी दिक्कतों की वजह से बढ़ी है.”l