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पांच ट्रिलियन इकॉनमी हासिल करने के दावों के बीच देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सोमवार शाम बहुत चिंताजनक खबर आई है। इससे जाहिर होता है कि आने वाले दिन बहुत मुश्किल भरे हो सकते हैं। कोरोना से पहले ही अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं जताई जा रही थीं और कोविड-19 के बाद तो यह रसातल में पहुंचती दिख रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने चालू माली साल (वर्ष 2020-21) की पहली तिमाही (क्यू1) के जो जीडीपी आंकड़े कुछ देर पहले जारी किये हैं उनसे जाहिर होता है कि इस वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर माइनस 23.9 फीसदी रही है।
जो आंकड़े सामने आये हैं वे अभी तक के अनुमानों से भी बहुत खराब हैं। देश में पहली बार जीडीपी की डर माइनस में गयी है। यह पिछले 40 सालों का अर्थव्यवस्था का सबसे कमजोर आंकड़ा है। इससे यह भी जाहिर होता है कि अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में आने वाले दिन बहुत चिंता वाले हो सकते हैं। अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक होटल इंडस्ट्री पर सबसे बड़ी मार पड़ी है।
एनएसओ के आंकड़े बताते हैं कि इस साल की पहली तिमाही में विकास दर माइनस 23.9 फीसदी रही है। यह पिछले 40 साल में अब तक की सबसे खराब जीडीपी दर है। यदि इसी तिमाही में पिछले साल की बात करें तो उस समय यह दर उससे कहीं कम है। रेटिंग एजेंसियां पहले से इसकी आशंका जाता रही थीं लेकिन यह उनके अनुमानों से भी कम है।
याद रहे साल 2019-20 की अंतिम तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर 3.1 फीसदी थी। एनएसओ के मुताबिक जीवीए में 22.8 फीसदी की गिरावट आई है। वैसे तो अर्थव्यवस्था को लेकर आर्थिक जानकार पहले से गहरी चिंता जता रहे थे, लेकिन आंकड़ों को देखने से लगता है कि कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण औद्योगिक उत्पादन में बड़ी कमी आई है। रोजगार के आंकड़ों में भी खासी गिरावट देखने को मिली है।
वैसे तो जुलाई से अनलॉक शुरू होने के बाद मजदूर, दुकानदार, कर्मचारी और अन्य काम पर लौटने शुरू हुए हैं और व्यापार को भी कुछ गति मिली है, लेकिन अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने में अभी बहुत वक्त लगेगा। इस दौरान करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गयी हैं और अभी तक ऐसे संकेत नहीं मिलते हैं कि जल्दी ही वे दोबारा रोजगार पा सकेंगे।
सोमवार शाम जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 40 साल में देश की जीडीपी अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गयी है। आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में जीडीपी की दर माइनस में चली गयी है। एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जुलाई की तिमाही के दौरान भारत का राजकोषीय घाटा 8.21 लाख करोड़ रुपये रहा। इस अवधि में 2019-20 में यह 5.47 लाख करोड़ रुपये था।
आंकड़ों के मुताबिक पहली तिमाही में कुल राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 103.1 फीसदी तक पहुंच गया है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक इस तिमाही में 8 कोर इंडस्ट्रीज का कम्बाइंड इंडेक्स 119.9 रहा। इसमें पिछले साल के मुकाबले 9.6 एएसडी की कमी आई है। मंत्रालय के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 के क्यू1 में इन आठ कोर इंडस्ट्रीज की विकास दर माइनस 20.5 फीसदी रही।
एनएसओ के आंकड़े बताते हैं कि होटल और पर्यटन क्षेत्र की कमर टूट गयी है। माली साल 2020-21 की पहली तिमाही में होटल इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट – 47 फीसदी रही। एनएसओ के मुताबिक, पहली तिमाही में इंडस्ट्रियल सेक्टर में जीडीपी विकास दर माइनस 38.1 फीसदी रही। सर्विसेज सेक्टर में आर्थिक विकीस की दर – 20.6 फीसदी दर्ज की गई। निर्माण क्षेत्र में जीडीपी की दर माइनस 39.3 फीसदी रही। कृषि ही एक ऐसा क्षत्र रहा है जिसमें सकल घरेलू उत्पाद की दर कुछ सकारात्मक 3.4 फीसदी रहा।
वैसे तो आरबीआई ही नहीं अन्य कई रेटिंग एजंसियां जीडीपी में बड़ी गिरावट की आशंका पहले ही जता चुकी थीं, हालांकि, आंकड़े उनके अनुमानों से बुरे आये हैं। आरबीआई ने चालू माली साल में जीडीपी विकास दर नेगेटिव रहने की आशंका जताई थी। उद्योग मंडल फिक्की ने जुलाई में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 4.5 फीसदी नीचे जाएगी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज सुबह ही मोदी सरकार यह आरोप लगाया था कि अर्थवयवस्था को खराब तरीके से संभाला जा रहा है। एक वीडियो जारी कर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार ने देश के असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण किया है और यह गुलाम बनाने की कोशिश की जा रही है।
गांधी ने वीडियो सीरीज के इस हिस्से में कहा – ”यदि हम 2008 की मंदी को देखें तो जब पूरी दुनिया खासकर अमेरिका, यूरोप, जापान में भारी मंदी थी। वहां बैंक बंद हो रहे थे, कंपनियां बंद हो रही थीं, लेकिन हिंदुस्तान को कुछ नहीं हुआ। इसकी वजह यह थी कि यहां की असंगठित क्षेत्र मजबूत था। उस समय यूपीए की सरकार थी।” तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ अपनी बातचीत का उल्लेख करते हुए गांधी ने कहा – ”मनमोहन सिंह जी ने बताया था कि जिस दिन तक हिंदुस्तान की असंठित अर्थव्यवस्था मजबूत रहेगी, उस दिन तक मंदी इसे छू भी नहीं सकती है।”
कुल मिलकर आज जारी आंकड़ों ने देश में चिंता पैदा की है। निश्चित ही अभी तक खराब आर्थिक स्थिति से मन करती रही मोदी सरकार के लिए आने वाले दिन बहुत चुनौती भरे हो सकते हैं।