Monday, November 25, 2024

राज्यवायरल न्यूज़

कार का अधिक माइलेज बताकर बेचने पर कंपनी पर एक लाख रुपये का हर्जाना

कार का अधिक माइलेज बताकर बेचने पर कंपनी पर एक लाख रुपये का हर्जाना

विज्ञापन

जोधपुर, संवाद सूत्र। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय ने कार निर्माता कंपनी फोर्ड द्वारा अपनी कार का अधिक माइलेज देने का भ्रामक विज्ञापन करने पर अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी मानते हुए एक लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। कुडी भगतासनी निवासी अक्षय पारख ने जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय में परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि उसने कार निर्माता कंपनी फोर्ड द्वारा अपनी फोर्ड फिएस्टा क्लासिक कार द्वारा 32.38 किमी प्रति लीटर माइलेज दिए जाने के विज्ञापन के आधार पर स्थानीय डीलर ओएसकार प्रालि से सन 2012 में उक्त कार को क्रय किया था, किन्तु उपयोग में लिए जाने पर अन्य दोषों के साथ कार का माइलेज अत्यंत ही कम होना पाया। इस प्रकार समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापन व कार खरीदते समय उसे दिए गए ब्राउशर में माइलेज संबंधी झूठे कथन कर सेवा में दोष व अनुचित व्यापार व्यवहार किया गया है।

जोधपुर, संवाद सूत्र। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय ने कार निर्माता कंपनी फोर्ड द्वारा अपनी कार का अधिक माइलेज देने का भ्रामक विज्ञापन करने पर अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी मानते हुए एक लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। कुडी भगतासनी निवासी अक्षय पारख ने जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय में परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि उसने कार निर्माता कंपनी फोर्ड द्वारा अपनी फोर्ड फिएस्टा क्लासिक कार द्वारा 32.38 किमी प्रति लीटर माइलेज दिए जाने के विज्ञापन के आधार पर स्थानीय डीलर ओएसकार प्रालि से सन 2012 में उक्त कार को क्रय किया था, किन्तु उपयोग में लिए जाने पर अन्य दोषों के साथ कार का माइलेज अत्यंत ही कम होना पाया। इस प्रकारविपक्षी गण द्वारा अपने जवाब में कहा गया कि उक्त माइलेज एस टेस्टेड पर आधारित है तथा ‘आटो कार’ द्वारा उन्हें इस बारे में प्रमाणपत्र भी जारी किया हुआ है। कार का माइलेज वाहन की निर्धारित गति, रख-रखाव, टायरों में हवा का दबाव, चलाने के तरीके पर निर्भर करता है व कंपनी द्वारा निर्धारित मानकों की अवहेलना करने पर इसमें कमी आ सकती है। मामले की सुनवाई के दौरान कार का संयुक्त माइलेज टेस्ट लिया गया तथा आयोग द्वारा निर्माता कंपनी व विक्रेता को उनके मानकों के अनुरूप कार को चलाकर अधिकतम माइलेज दिखाने का अवसर भी दिया गया, किन्तु विपक्षीगण किसी भी परिस्थिति में कार का माइलेज 19.3 किमी प्रति लीटर से अधिक होना साबित नहीं कर सके। समाचार पत्रों में प्रकाशित व कार खरीदते समय उसे दिए गए ब्राउशर में माइलेज संबंधी झूठे कथन कर सेवा में दोष व अनुचित व्यापार व्यवहार किया गया है।

सुनवाई के दौरान यह भी पाया गया कि जहां समकक्ष कार निर्माता अन्य प्रतिद्वंद्वी कंपनियों निशान व होंडा द्वारा अपनी कारों का अधिकतम माइलेज क्रमशः 20.45 व 25.8 किमी ही बतलाया जा रहा है, विपक्षीगण द्वारा इनके मुकाबले ग्राहकों में अपनी कार की बिक्री बढ़ाने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर माइलेज बताकर मिथ्या व भ्रामक प्रचार किया जा रहा है। आयोग के अध्यक्ष डॉ श्याम सुंदर लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी की न्यायपीठ ने अपने निर्णय में कार निर्माता मै फोर्ड इंडिया लि, गुरुग्राम व विक्रेता ओएस कार, जोधपुर को सेवा में कमी व अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी ठहराते हुए परिवादी को हुई आर्थिक, शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए एक लाख रुपये अदा करने का विपक्षीगण को आदेश दिया है। साथ ही, विपक्षी फोर्ड कंपनी को भविष्य में उक्त कार द्वारा अधिक माइलेज देने के संबंध में भ्रामक विज्ञापन या प्रचार नहीं करने के लिए भी पाबंद किया है।