Saturday, November 23, 2024

राज्य

2025 सड़क दुर्घटनाएं 50 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य

Aim to reduce road accidents by 50 percent by 2025

– लोक निर्माण विभाग की ”सड़क सुरक्षा कार्यशाला” में बोले लोक निर्माण मंत्री श्री जितिन प्रसाद

– सरकारी योजनाओं की विकास योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही लोगों से की सतर्कता रखने की अपील

– दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ हर व्यक्ति का जागरुक होना जरूरी

– राज्य में 65 फीसदी से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं तेज रफ्तार और 15 फीसदी शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण होती हैं

लखनऊ। सड़क दुर्घटनाओं के मामले में उत्तरप्रदेश सबसे ज्यादा मौतों में से एक है। वर्ष 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में 21,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। 72% से अधिक मृतक 18-45 वर्ष की आयु वर्ग के थे। सड़क दुर्घटनाओं की संख्या कम करने और जनहानि को रोकने के लिए प्रदेश सरकार विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने पर जोर दे रही है। यह बात उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग के मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने विभाग द्वारा आयोजित ”सड़क सुरक्षा कार्यशाला” में कही। लोक निर्माण विभाग, लखनऊ के विश्वेश्वरैया सभागार में हुई इस कार्यशाला में अध्यक्ष के रूप में संबोधित करते हुए मंत्री श्री प्रसाद ने दुर्घटनाओं के कारण बताते हुए उन्हें कम करने के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयासों की जानकारी भी दी।

मंत्री श्री प्रसाद ने कहा कि छोटे शहरों को जोड़ने वाली सड़कों से लेकर हाईवे, बायपास और ब्रिज बनाने तक पर काम हो रहा है। सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर तो जरूरी है ही लेकिन वाहनचालकों की सतर्कता भी जरूरी है। दुर्घटनाओं को रोकने के प्रयासों में अतिक्रमण हटाना, यातायात सुगम बनाने के उपायों की जांच करना, सड़क डिजाइन में बदलाव करने जैसे कार्य शामिल हैं। इन सभी के साथ विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करने और नोडल विभाग बनाने की भी नितांत आवश्यकता है।

2014 के बाद से नियमों के पालन में बहुत से सकारात्मक परिवर्तन आया है। आज नीतियों का अक्षरश: अनुपालन निश्चित करवाया जा रहा है।

– श्री प्रसाद ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि निश्चित समयावधि में प्राथमिकता के आधार पर अनाधिकृत कटल को बंद करवाया जाए।

– जान-माल की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है। लोक निर्माण विभाग की हर योजना में रोड सेफ्टी के लिए पर्याप्त मात्रा में धन का आवंटन किया जाता है। जिसका रोड सेफ्टी के लिए शत-प्रतिशत सदुपयोग किया जाना चाहिए। रोड सेफ्टी से जुड़े समस्त कार्यों को पूरा करवाना निश्चित करवाएं।

– सड़क सुरक्षा से जुड़े विभागों में अंतरर्विभागीय समन्वय स्थापित करके सड़क दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली जनहानियों को रोका जा सकता है। सड़क दुर्घटना होने पर गोल्डन अवर्स जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। घायलों को जल्द से जल्द इलाज मिलना सुनिश्चित करना होगा। हम सभी का कर्तव्य है कि स्वयं जागरूक होने के साथ – साथ सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों को भी जागरूक करें, जिससे सड़क दुर्घटनाओं को कम किया जा सके।

कार्यशाला में मंत्री श्री जितिन प्रसाद के साथ राज्य मंत्री श्री बृजेश सिंह ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी को अन्य विभागों के साथ समन्वय बनाकर इंजीनियरिंग दोषों को दूरने, बेहतर साइनेज लगाकर, सुरक्षा साधन बढ़ाने, राजमार्गों और सड़कों से अतिक्रमण हटाने की आवश्यकता है। इस दिशा में काम हो रहा है लेकिन और बेहतर परिणाम हासिल करने की आवश्यकता है।

सड़क दुर्घटनाओं को कम करना सबसे बड़ा उद्देश्य

के.के. कपिला (अध्यक्ष, इंटरनेशनल रोड फेडरेशन) ने कहा कि आईआरएफ सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को कम करने के लिए रोड इंजीनियरिंग, वाहन इंजीनियरिंग, शिक्षा, आपातकालीन देखभाल सहित सड़क सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। आईआरएफ की भारतीय ईकाई ने दुर्घटनाओं को कम करने के लिए अपनी पहल में सात सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले राज्यों में 150 से 200 किमी. के राजमार्ग खंडों को चुना है। इनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान, केरल और कर्नाटक शामिल है। इसका उद्देश्य राज्य सरकारों के सहयोग से दुर्घटनाओं में कमीं लाकर मौतों को रोकना है। इस तरह के परिवर्तन का उद्देश्य सड़क सुरक्षा को बढ़ाना और सुधारात्मक प्रयासों से उद्देश्य की पूर्ति करना है।

 

पुनर्वास केंद्र खोलने का आग्रह

उन्होंने राज्य सरकार से सड़क दुर्घटना पीड़ितों के पुनर्वास के लिए लिए काम करने का आग्रह किया ताकि वे खुद के लिए और परिवारों के लिए रोजगार कमा सके। इसके लिए उन्होंने पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का भी आग्रह किया। राजस्थान सरकार इस दिशा में काम करने के लिए सहमत हो चुकी है।

इस अवसर पर डॉ. कईथा रविंद्र (सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट, सीआरआरआई), डॉ. अभिषेक मुदगल (असिस्टेंट प्रोफेसर, आईआईटी बीएचयू), अनिल शिम्पी (अशोका बिल्डकॉन), जॉर्ज जैकब (रोड सेफ्टी एक्सपर्ट) और पारुल कुमार (प्रभाव लर्निंग्स) ने भी वक्ताओं के रूप में अपनी बात रखी और दुर्घटनाओं के कारण बताते हुए समस्या के निराकरण के सुझाव दिए।

 

अन्य प्रदेशों के लिए मिसाल बनेगा उत्तर प्रदेश

लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव नरेंद्र भूषण (आईएएस) ने कहा कि जिस तरह प्रदेश की अधोसंरचना को सुधारने और विकसित करने की दिशा में काम किया जा रहा है, यह प्रशंसनीय है। आज पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर की निगाहें भी उत्तर प्रदेश पर हैं। इसका कारण यह है कि यहां सरकार द्वारा मंदिरों का जो निर्माण, जीर्णोद्धार और पुनरुत्थान किया जा रहा, वह अतुलनीय है। आने वाले समय में यह विकास दुनिया भर के लिए आकर्षण का केंद्र होगा और इसी कारण यहां की सड़कों का विकास भी जरूरी है। इसी बात को ध्या में रखकर योजना बनाकर काम किया जा रहा है और यह विकास अन्य प्रदेशों के लिए मिसाल बनेगा।

 

कम समय में बेहतर परिणाम, गुणवत्ता का पूरा ख्याल

प्रमुख अभियंता (विकास) मनोज कुमार गुप्ता ने इस दिशा में सरकारी प्रयासों के साथ ही गतिविधियों की जानकारी दी और बताया कि किस तरह विभागीय अधिकारी कांट्रेक्टर, आम लोगों और वाहन चालकों के साथ सामन्जस्य बनाकर काम कर रहे हैं। कम से कम समय में बेहतर से बेहतर परिणाम प्राप्त करने और कार्य पूरा करने कीक की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि समय पर काम पूरा करने के साथ ही गुणवत्ता का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। हर काम मानक स्तर पर करवाया जा रहा है ताकि सरकारी योजना को पूरा करने और जनता को लाभ पहुँचाने की दिशा में कोई अड़चन पैदा न हो।