अमिताभ के काले कारनामों के इतिहास के कारण कोरोना कॉलर ट्यून हटाने हेतु हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर
दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन की आवाज़ को कोरोनो वायरस के खिलाफ सावधानियों और बचाव का संदेश देने वाली कॉलर ट्यून से हटाने का अनुरोध किया गया है। याचिका में इसे हटाने का आधार यह बनाया गया है कि अमिताभ बच्चन स्वयं, परिवार के कुछ सदस्यों के साथ, वायरस से संक्रमित थे।
अमिताभ के काले इतिहास को जानने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के कार्यकाल में इनकी भूमिका को खंखालना होगा। चावल घोटाले के अतिरिक्त 1986/87 में मेरठ में पकडे गए एक अवैध तमंचों के कारखाने के लोगों को आरोप मुक्त करवाने में भी इनकी मुख्य भूमिका रही थी। इनके काले कारनामों को देख, कायस्थ समाज में इनके बहिष्कार की मांग भी उठी थी। जिसका स्वतंत्र पत्रकारिता करते शीर्षक “राजनीति में कलाकारों का दखल” में विस्तार से उल्लेख करने के अलावा Organiser साप्ताहिक में भी रपट प्रकाशित हुई थी। कांग्रेस में अच्छी पैठ होने के कारण विवादित फिल्मों में ‘मेहमान’ की भूमिका में लिया जाता था, जैसे “अंधा कानून” और “कमांडर” आदि। जीतेन्द्र अभिनीत ‘मेरी आवाज़ सुनो’ के निर्माता को भी सरकारी अड़चनों से बचने के लिए अमिताभ को मेहमान कलाकार के रूप में लेने की कई लोगों ने सलाह भी दी थी, लेकिन किसी की सलाह न मानने के कारण फिल्म को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। जबकि तीनों ही फिल्मों में कुंठित कानून व्यवस्था को उजागर किया गया था, जो आज भी वैसी ही है। इतना ही नहीं, इमरजेंसी के दौर में सरकार के विरुद्ध एवं फिल्मों में मारधाड़ पर प्रतिबन्ध होने के बावजूद फिल्म ‘शोले’ सेंसर से पास ही नहीं हुई, बल्कि प्रदर्शित भी हुई। क्योकि उसमें अमिताभ बच्चन थे। फिल्म ‘शोले’ के सुपरहिट होने का मुख्य कारण यही था कि फिल्म उस समय एकदम लीक से हटकर थी।
याचिका को राकेश नाम के एक शख्स ने एडवोकेट एके दुबे और पवन कुमार के जरिए दायर किया है। यह याचिका मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष बृहस्पतिवार (जनवरी 07. 2021) को सुनवाई के लिए लाई गई। दिल्ली उच्च न्यायलय ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है और आने वाली 18 जनवरी को इस पर सुनवाई करेगा।
इस PIL के अनुसार, कोरोना के संक्रमण के खतरों से सावधानी के बारे में बताने वाली इस कॉलर ट्यून में अमिताभ बच्चन की जगह उन कोरोना वॉरियर्स की आवाज शामिल करने की बात कही गई है, जिन्होंने संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान लोगों की सेवा की।
अधिवक्ताओं एके दुबे और पवन कुमार के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, “भारत सरकार कॉलर-ट्यून पर निवारक उपायों के संबंध में आवाज देने के लिए अमिताभ बच्चन को भुगतान कर रही है।’’
PIL के अनुसार, “कुछ कोरोना वॉरियर्स हैं, जो राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं और इस कठिन समय में गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं। साथ ही, उन्हें भोजन, कपड़ा और आश्रय प्रदान कर रहे हैं तथा यहाँ यह उल्लेख करना आवश्यक है कि कुछ कोरोना योद्धाओं ने अपनी कम आय को भी गरीब और जरूरतमंद लोगों में बाँट दिया।”
याचिका में कहा गया है कि कुछ प्रसिद्ध कोरोना योद्धा अब भी बिना किसी भुगतान के अपनी सेवाएँ देने और राष्ट्र की सेवा के लिए तैयार हैं ।
विभिन्न अदालतों में उनके खिलाफ लंबित कई मामलों का जिक्र करते हुए याचिका में आरोप लगाया गया है कि अमिताभ बच्चन का इतिहास बहुत साफ नहीं है और साथ ही वह सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते राष्ट्र की सेवा नहीं कर रहे बल्कि इसके लिए उनको सरकार से मेहनताना दिया गया है। जिस कारण मोबाइल के कॉलर ट्यून से अमिताभ बच्चन की आवाज हटाई जानी चाहिए।
मोबाइल फोन पर सुनाई देने वाली इस कॉलर ट्यून में अमिताभ बच्चन की आवाज में जो संदेश सुनाई देता है वो है, “नमस्कार, हमारा देश और पूरा विश्व आज कोविड-19 की चुनौती का सामना कर रहा है। कोविड-19 अभी खत्म नहीं हुआ है, ऐसे में हमारा फर्ज है कि हम सतर्क रहें। इसलिए जब तक दवाई नहीं, तब तक कोई ढिलाई नहीं। कोरोना से बचाव के लिए जरूरी है, नियमित रूप हाथ धोना, मास्क पहनना और आपस में उचित दूरी बनाए रखना। याद रखिए दो गज दूरी, मास्क है जरूरी। खाँसी, बुखार या साँस लेने में कठिनाई होने पर हेल्पलाइन नंबर 1075 पर संपर्क करें।”
साभार आर बी एल निगम