राजनीति

तिरंगे को आगे रखकर भाजपा अपने अतीत के काले पन्नों को छुपाने का कर रही प्रयास: अखिलेश यादव

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके मातृ संगठन राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘सत्ता के स्वार्थ और जनता के दबाव में राष्ट्रध्वज (हर घर तिरंगा अभियान)को आगे रखकर भाजपा-आरएसएस अपने अतीत के काले पन्नों को छुपाने का प्रयास करने में जुटे हैं।’ सपा प्रमुख ने भाजपा पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ को भी आपदा में अवसर की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘तिरंगे को वे क्या सम्मान देंगे जो भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में अंग्रेजों के हमसफर थे और जिनके नागपुर मुख्यालय पर 52 वर्षों तक राष्ट्रध्वज की जगह भगवाध्वज ही लहराता रहा।
सपा मुख्‍यालय से शनिवार को जारी एक बयान में यादव ने सवाल उठाया है, ‘‘भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस का आजादी की लड़ाई में और आजादी के बाद भी राष्ट्रध्वज और संविधान को स्वीकार नहीं करना क्या कहता है?’’ उन्होंने आरोप लगाया कि इसी मानसिकता का असर है कि भाजपा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ की पवित्रता को भी नष्ट करने पर तुली है। यादव ने दावा किया, ‘‘लगातार इस तरह की खबरें आ रही हैं कि भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री की जा रही है, यह ध्वज जहां करोड़ों भारतीयों के लिए आन-बान शान का प्रतीक है वहीं भाजपाइयों के लिए यह बेचने का सामान है। भाजपाई हर बात पर दुकान लगाना बंद करें। राष्ट्रध्वज के गौरव के साथ खिलवाड़ शर्मनाक और निंदनीय है।
उन्होंने कहा, ‘‘समाजवादी पार्टी नीत सरकार में राजधानी लखनऊ में 207 फुट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज जनेश्वर मिश्र पार्क में फहराया गया था और जब तक समाजवादी सरकार रही हर शाम प्रोटोकॉल के तहत आकाश में लहराते इस तिरंगे को पुलिस सलामी देती रही, लेकिन सत्ता परिवर्तन होते ही पुलिस द्वारा सलामी देना बंद हो गया है। उन्होंने सवाल किया कि भाजपा के शासनकाल में राष्ट्रध्वज को सलामी देने की परम्परा को बंद क्यों किया गया? सपा प्रमुख ने अपनी पार्टी की ओर से मांग किया कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ काल में जनेश्वर मिश्र पार्क में राष्ट्रध्वज को पुलिस द्वारा सलामी दिए जाने की पुनः शुरुआत होनी चाहिए।

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