Sunday, November 24, 2024

राष्ट्रीय

प्रधानमंत्री मोदी की अध्‍यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक, 15 हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टरों की खरीद को मंजूरी

Cabinet Committee on Security, chaired by Prime Minister Modi, approves purchase of 15 Light Combat Helicopters

नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने बुधवार को 15 हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टरों की लिमिटेड सीरिज प्रोडक्‍शन के तहत खरीद को मंजूरी दी। इस पर 3,887 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इन हेलीकाप्टरों के रखरखाव के लिए इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट को लेकर 377 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं।
स्‍वदेशीकरण पर जोर
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि लाइट काम्बैट हेलीकाप्टर लिमिटेड सीरीज प्रोडक्शन (एलएसपी) एक स्वदेशी अत्याधुनिक आधुनिक लड़ाकू हेलीकाप्टर है। इसमें 45 फीसद स्‍वदेशी साजो-सामानों का इस्‍तेमाल किया गया है। लिमिटेड सीरीज प्रोडक्शन (एलएसपी) वर्जन में बढ़कर 55 फीसद से ज्‍यादा हो जाएगी। यह दुनिया का सबसे हल्‍का अटैक हेलिकाप्‍टर है। हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड ने इसे वर्षों की मेहनत के बाद विकस‍ित किया है।
स्नाइपर राइफलों से लैस हो रही सेना
हाल ही में भारतीय सेना ने साको .338टीआरजी-42 स्नाइपर राइफलों से अपने जवानों को लैस करना शुरू कर दिए हैं। फिनलैंड से आयातित यह राइफलें नियंत्रण रेखा पर तैनात सेना के जवानों को दी जा रही है। बताया जाता है कि साको स्नाइपर राइफल पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा इस्तेमाल की जा रही स्नाइपर राइफल से हर मामले में आगे है। इस राइफल से लैस जवान ज्यादा घातक साबित हो चुके हैं। LoC और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना की आपरेशनल गतिविधियों में स्नाइपर शूटर की भूमिका बहुत मायने रखती है।
आठ गश्ती पोतों के निर्माण को लेकर करार
गौरतलब है कि बढ़ती सामरिक चुनौतियों और वैश्विक हालात के मद्देनजर सरकार लगातार भारतीय सेनाओं को मजबूती देने का काम कर रही है। रक्षा मंत्रालय ने बीते सोमवार को ही भारतीय तटरक्षक बल के लिए आठ गश्ती पोतों के निर्माण के लिए गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) के साथ 473 करोड़ रुपये का करार किया है। रक्षा मंत्रालय की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक इन पोतों को जीएसएल द्वारा स्वदेश में ही डिजायन, विकसित और निर्मित किया जाएगा।
तटीय सीमा सुरक्षा पर फोकस
इन आठों पोतों को भारतीय तटों के पास तैनात किया जाएगा और इनकी तैनाती से विशाल तटीय सीमा पर सुरक्षा तंत्र मजबूत होगा। मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक इस करार से भारत को रक्षा निर्माण का केंद्र बनाने के सरकार के संकल्प को और बढ़ावा मिलेगा जो न सिर्फ घरेलू बल्कि निर्यात बाजार की जरूरतों को भी पूरा करेगा। यह परियोजना घरेलू पोत निर्माण क्षमता के साथ साथ इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगी।