दमड़ी ना जाये, चाहे चमड़ी चली जाये
पहले खुद समझों फिर बाद में दूसरों को समझाओं तो बात बनती है।लेकिन कोरोना काल में खुद तो आदमी समझ नहीं रहे है। दूसरों को समझाने में लगे है। ऐसे में बात बनती कम है , बिगड़ती ज्यादा है। तहलका संवाददाता ने दिल्ली में लगे दो दिन के कर्फ्यू के...