Uncategorized

Uncategorized

उधार का जिस्मो जान, उधार का मकान

  ' उधार का जिस्मों जान, उधार का मकान.... .वापसी निश्चित है, पल दो पल के हम तुम मेहमान.... लाशों की तरह अकड़े रहते हो,किस का बात है तुमको इतना गुमां... यूँ उपहास न उड़ाओ दूसरों की मजबूरियों का..... वक़्त रहता नहीं सब पर सदा मेहरबान.... तौबा कर ली बुतपरस्ती...
1 28 29 30
Page 30 of 30