Saturday, November 23, 2024

अंतरराष्ट्रीय

चीनी जासूसी पोत को लेकर भारत के दबाव में झुके श्रीलंका से चीन ने की तत्काल बैठक की मांग

कोलंबो: चीनी दूतावास ने हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी पोत के आवागमन को लेकर श्रीलंकाई अधिकारियों से तत्काल प्रभाव से बैठक बुलाने की मांग की है। सुरक्षा कारणों के मद्देनजर भारत के बढ़ते दबाव के बीच बीते रोज कोलंबो में चीनी दूतावास को लिखे एक पत्र में श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने अनुरोध किया था कि हंबनटोटा में चीनी पोत युआन वांग 5 के आगमन की तारीख को इस मामले पर आगे की वार्ता तक टाल दिया जाए।
चीन का यह जासूसी पोत हंबनटोटा बंदरगाह से भारत के दक्षिणी हिस्से की अधिकांश मिसाइल व सैन्य गतिविधियों के अलावा ढांचागत परियोजनाओं पर करीबी निगरानी करने की क्षमता रखता है। इसी के चलते भारत लगातार श्रीलंका पर दबाव बना रहा है कि चीनी पोत के हंबनटोटा पहुंचने पर रोक लगाई जाए। प्रस्तावित कार्यक्रम मुताबिक चीनी अंतरिक्ष और उपग्रह ट्रैकिंग अनुसंधान पोत को 11 से 17 अगस्त तक श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डालना है। कुछ श्रीलंकाई समाचार पोर्टलों ने यह भी बताया कि श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कोलंबो द्वारा नियोजित डाकिंग को स्थगित करने की मांग के बाद चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंग के साथ बंद कमरे में बैठक की। लेकिन राष्ट्रपति कार्यालय ने बैठक को लेकर मीडिया में आई खबरों का खंडन किया।
श्रीलंका में राजनीतिक उठापटक के बीच 12 जुलाई को तत्कालीन सरकार ने हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी पोत कीडाकिंग को मंजूरी दे दी थी। चीनी पोत को ईंधन भरने और पुन:पूर्ति के लिए श्रीलंकाई बंदरगाह पर सप्ताहभर डाक करने की उम्मीद थी। हंबनटोटा के बंदरगाह को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। राजपक्षे परिवार के गृहनगर में स्थित इस बंदरगाह को बड़े पैमाने पर मिले चीनी ऋण से विकसित किया गया है।