रविंद्र बड़थ्वाल, जागरण, देहरादून। ज ल प्रलय से तबाह धराली की सिसकियां भी मलबे में रुंध गईं। आपदा से कराहते क्षेत्र से सड़कों का नाता भी टूट गया। अलग-थलग पड़ा उच्च हिमालय का यह भूभाग कातर निगाहों में राहत और बचाव की उम्मीदें संजोए रहा, तब उसे हमदर्द और हौसले, दोनों की सख्त जरूरत थी।

ऐसी विकट घड़ी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दर्द को समझा भी और बगैर समय गंवाए दो दिन ग्राउंड जीरो पर मोर्चा संभाला। तुरंत सक्रिय और निर्णय लेकर धामी ने प्रशासनिक क्षमता के साथ प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व के रूप में मजबूत छवि गढ़ी है। सरकार का मुखिया स्वयं आपदाग्रस्त क्षेत्र में डटा हो तो मशीनरी के लिए भी राहत और बचाव कार्यों में ढिलाई बरतना संभव नहीं हो पाता।

देहरादून से लेकर उत्तरकाशी तक पूरा तंत्र सक्रिय रहा। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में मुख्यमंत्री धामी सबसे पहले पहुंचे तो पीड़ित भी अपने बीच उन्हें पाकर लिपटे, कंधे पर सिर रखा और बिलखने लगे। सांत्वना और विश्वास के रूप में धामी उनके बीच थे।

उत्तरकाशी जिले में ही वर्ष 2023 के नवंबर माह में सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग ढहने से 41 श्रमिक फंस गए थे। आपदा की उस घड़ी में भी मुख्यमंत्री धामी ने सरकार के नेतृत्वकर्ता के रूप में मौके पर डेरा डाला था। केंद्र से मिल रहा निरंतर सहयोग उनकी मौके पर मौजूदगी से और प्रभावी बन गया था। तब भी धामी ने प्रशासनिक क्षमता के साथ प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व के रूप में अपनी छवि राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित की थी।

धराली आपदा के मौके पर धामी एक बार फिर उत्तरकाशी जिले में प्रभावितों के बीच पहुंच गए। विगत मंगलवार को आंध्र प्रदेश का दौरा बीच में छोड़कर देर सायं देहरादून लौटे धामी सीधे राज्य आपदा परिचालन केंद्र पहुंचे। मुख्यमंत्री की उपस्थिति से एजेंसियों में बेहतर समन्वय राहत को मिशन बनाकर मुख्यमंत्री दो दिन से ग्राउंड जीरो पर हैं। राहत और बचाव कार्यों को युद्ध स्तर पर संचालित करने के साथ-साथ वह पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। हर स्तर पर व्यवस्था पर भी मुख्यमंत्री की नजर है।

परिणामस्वरूप आपदा प्रबंधन की पूरी मशीनरी चौबीसों घंटे क्रियाशील है। शासन के वरिष्ठ अधिकारी देहरादून स्थित राज्य आपदा परिचालन केंद्र के माध्यम से मुख्यमंत्री के साथ ही राहत व बचाव दलों के संपर्क में लगातार बने हुए हैं। सड़क संपर्क और पुल से कटे होने के कारण हेली सेवाओं ने राहत व बचाव कार्यों को गति देने में भूमिका निभाई। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, आइटीबीपी व अन्य केंद्र व राज्य की एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय में मुख्यमंत्री की उपस्थिति का प्रभाव साफ दिखाई दिया है। उनके नेतृत्व में बचाव कार्यों के लिए संसाधनों के एकत्रीकरण ने भी गति पकड़ी।

सेना का मिल रहा भरपूर सहयोग

इस पूरे आपरेशन में भारतीय वायुसेना के 2 चिनूक, 2 एमआई-17, चार अन्य हेलीकाप्टर, राज्य सरकार के आठ हेलीकाप्टर, एक आर्मी एएलएच और दो चीता हेलीकाप्टर संचालित हो रहे हैं। इस कारण प्रभावितों तक राहत तेजी से पहुंच रही है।

जमीनी स्तर पर राजपुताना राइफल्स के 150 जवान, घातक टीम के 12 कमांडो, एनडीआरएफ के 69, एसडीआरएफ के 50 जवान, चार मेडिकल टीमें, 9 फायर टीमें, 130 आईटीबीपी के जवान, और बीआरओ के 15 कर्मियों समेत कुल 479 अधिकारी-कर्मचारी दिन-रात तैनात हैं।   इसके अलावा 814 अतिरिक्त जवानों को अन्य क्षेत्रों से सीधे प्रभावित क्षेत्र में तैनात किया गया है।

बंद सड़कें खोलने, बिजली-पानी की सुचारु आपूर्ति को प्राथमिकता

मुख्यमंत्री ने गंभीर घायलों को तत्काल एयरलिफ्ट कर देहरादून या एम्स ऋषिकेश भेजने को कहा। राहत शिविरों में भोजन, पानी, दवाइयों और अन्य आवश्यकताओं की कमी न हो, इस पर स्वयं नजर रखे हैं। प्रभावितों के लिए 2000 से अधिक फूड पैकेट भेजे गए।

ड्राइ राशन हवाई मार्ग से हर्षिल पहुंचाया जा रहा है, जहां से उसे दूरस्थ गांवों तक पहुंचाया जाएगा। बंद सड़कों को खोलने, इंटरनेट सेवा की बहाली, और बिजली, पेयजल की टूटी लाइन को भी जोड़ा जा रहा है।

पौड़ी में आपदा प्रभावितों के बीच धामी, पीड़ितों के छलके आंसू

मुख्यमंत्री धामी ने गुरुवार को पौड़ी जिले आपदा प्रभावित नैठा बाजार, सैंजी गांव और बांकुड़ा क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया और माताओं-बहनों से भेंट की। इस दौरान सीएम धामी को देख आपदा पीड़ित अपने आंसुओं को नहीं रोक सके। धामी ने उन्हें भरोसा दिलाया कि बेटे और भाई की तरह हर संकट में उनके साथ खड़े हैं।

आपदा राहत कार्यों के लिए एक माह का वेतन देंगे धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि वह आपदा राहत कार्यों में एक माह का वेतन देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार आपदा प्रभावितों के साथ हर कदम पर साथ खड़ी है। कठिन परिस्थितियों में सभी को एकजुट होकर पीड़ितों की सहायता करनी चाहिए। उन्होंने जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, स्वयंसेवी संगठनों एवं आम नागरिकों से भी अपील की कि वे भी क्षमता के अनुसार राहत कार्यों में सहयोग दें।