कट्टरपंथी मुस्लिम और हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों के आरोपित उमर खालिद ने कथित तौर पर पुलिस के सामने कबूल किया है कि वह मुस्लिम समूहों को संगठित करने, उन्हें उकसाने और बड़े पैमाने पर हिंसा की साजिश रचने में शामिल था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, 2020 की शुरुआत में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के हिंदू विरोधी दंगों के सिलसिले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद के खिलाफ बुधवार(दिसंबर 30) को चार्जशीट दाखिल की थी। 100 पन्नों की चार्जशीट में उमर खालिद पर दिल्ली की सड़कों पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने, देश विरोधी भाषण देने और अन्य आपराधिक धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।
खबरों के अनुसार, उमर खालिद ने खुद अपने आरोपों को स्वीकार किया है कि उसने मुस्लिम संगठनों को संगठित करने में अहम भूमिका निभाई थी। उमर खालिद ने दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों में मुस्लिमों को नए कानून के खिलाफ भड़का कर हिंसा की साजिश रचने और महिलाओं व बच्चों का इस्तेमाल कर पूरी दिल्ली में चक्का जाम करने से संबंधी कई खुलासे किए हैं।
क्राइम ब्रांच ने चार्जशीट में दंगों के मास्टमाइंड को लेकर कहा है कि 8 जनवरी को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी और ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की प्लानिंग के लिए एक मीटिंग की थी। दंगों को पूरे देश में भड़काने के लिए उमर खालिद ने कई राज्यों का दौरा किया भी किया था। इस दौरान उसने भड़काऊ भाषण देकर नागरिकता कानून के खिलाफ लोगों को दंगे के लिए उकसाया था।
पुलिस को दिए बयान में उमर ने कबूला, “2019 में जिस तरह से संसद में भारत सरकार ने नागरिकता संसोधन बिल पेश किया। उसके बाद मैंने अपने साथी जो यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सदस्य थे, हम सब ने मिलकर एक मीटिंग की कि एंटी सीएए (CAA) बिल मुसलमानों के खिलाफ है। इसके लिए हमें आवाज उठानी चाहिए। मेरी बात पर यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सदस्य सहमत हो गए। तब हमने योजना बनाई की JNU और जामिया (Jamia) के मुस्लिम छात्र मिलकर इस बिल के खिलाफ आवाज उठाते है क्योंकि भारत सरकार बिना दबाव बनाए इस बिल को वापस नही लेगी। जिसके बाद हमने यूनाइटेड अगेंस्ट हेट, जेएनयू और जामिया के मुस्लिम छात्रों को इकट्ठा करने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया, जिसमें देखते ही देखते काफी लोग इकट्ठा हो गए।”
उमर ने आगे कहा, “फिर हमने जंतर-मंतर पर धरने प्रदर्शन किए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किए। जिसके बाद मैंने अपने साथियों के साथ मीटिंग की और आंदोलन को अगले पड़ाव पर ले जाने की प्लानिंग बनाई। जिसके लिए हमने बच्चों और औरतों को आगे रखकर पूरी दिल्ली में चक्का जाम करने की योजना बनाई। इसके लिए बाकायदा एक और नया व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया ‘हम भारत के लोग’ नाम से। उधर तब तक एंटी CAA बिल लोकसभा में पास कर दिया गया था और यह एक कानून बन गया।”
उसने आगे बताया, “इसके बाद हमने योजना बनाई कि हमें और सख्त तरीक़े से चक्का जाम करने की जरूरत है। हमने 16 और 17 फरवरी की शाम एक मीटिंग में तय किया कि दंगा ही एक मात्र तरीका है जिससे भारत सरकार पर दबाव बनाया जा सकता है। फिर मैंने ही लोगों से कहा कि वो अपने पास पत्थर, तेजाब, पेट्रोल और हथियारों को इकट्ठा करके रखें और जब जरूरत पड़ेगी इसका इस्तेमाल करें।”
खालिद ने खुलासा किया कि, वह दिल्ली में करीब 23-24 जगह चल रहे एंटी CAA प्रदर्शनो में शामिल हुआ था। “मैं अमरावती और महाराष्ट्र भी प्रदर्शन में शामिल होने गया था। जहाँ मैंने कहा की हम सब डोनॉल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान 24 फरवरी को सड़कों पर आकर भारत सरकार पर दबाव बनाएँगें और हमारे लोगों ने अपनी योजना के मुताबिक डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान ही 24 तारीख को दिल्ली के अलग-अलग इलाको में चक्का जाम दंगे करवाना शुरू कर दिए। देखते ही देखते उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाको में दंगे फैल गए।”
खालिद को पुलिस ने 14 सितंबर को भयावह पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने जाँच के लिए उसे समन जारी किया था जिसके बाद वह गिरफ्तार कर लिया गया।
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने हाल ही में दिल्ली दंगों के मामले में आरोपित 18 लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मंजूरी दे दी थी, जिसमें हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों के मुख्य साजिशकर्ता कट्टरपंथी उमर खालिद, शरजील इमाम, AAP के पूर्व नेता ताहिर हुसैन और अन्य कई लोगों को देशद्रोह के आरोप में शामिल किया गया था।
इसके अलावा दिल्ली सरकार ने हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों के मामले में नताशा नरवाल, देवांगना कालिता, पूर्व कॉन्ग्रेस नेता इशरत जहाँ और 15 अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी प्रदान कर दी है। बता दें साल 2020 की शुरूआत में हुए इस दंगे में लगभग 50 लोगों ने अपनी जान गँवाई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे।
साभार आर बी एल निगम