नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में भड़की साम्प्रदायिक हिंसा के मामले में आरोपी शाहरुख पठान ने जमानत के लिए एक बार फिर से दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाज खटखटाया है। हाल ही में कड़कड़डूमा कोर्ट ने शाहरुख की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को शाहरुख पठान की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है। दिल्ली हिंसा के दौरान शाहरुख पठान ने ही हेड कांस्टेबल दीपक दहिया और अन्य लोगों पर गोली चलाई थी। शाहरुख पठान को क्राइम ब्रांच की नारकोटिक्स सेल ने 3 मार्च 2020 को गिरफ्तार किया था। फिलहाल शाहरुख दिल्ली की जेल में बंद है।
शाहरुख की तरफ से उसके वकील ने जेल में कोरोना वायरस के खतरे का हवाला देते हुए कड़कड़डूमा कोर्ट से अपने मुवक्किल को जमानत पर रिहा करने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने आरोपों को गंभीर बताते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
अदालत ने आरोपी शाहरुख पठान को जमानत पर रिहा करने से इनकार करते हुए कहा था कि लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन करना मौलिक अधिकार है, लेकिन हवा में पिस्तौल लहराना गंभीर अपराध है। यह सीधे तौर पर कानून व्यवस्था को चुनौती देना है। वहीं, सरकारी वकील ने आरोपी शाहरुख की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि 24 फरवरी को जब दंगे भड़के उस समय आरोपी पिस्तौल लहराते हुए भीड़ का नेतृत्व कर रहा था।
वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि इस मामले में मुकदमा दर्ज होने में देरी हुई। दूसरा इस समय कोरोना वायरस फैलने का खतरा है, जिसे देखते हुए शाहरुख को जमानत पर रिहा कर देना चाहिए।