स्पेशल

मैं तुझमे तू मुझमें , फिर संशय कैसा

रोम-रोम मे

दिल की हर धड़कन में 

एक-दूजे का वास है 

फिर संचय कैसा,

मंदाग्नि की ज्वालाओं-सा 

ह्रदय में भरे जज़्बात मेरे 

फिर विचलन कैसा ,

मेरी आशा बनकर तू 

ह्रदय में मेरे घुलकर तू 

मेरी पतवार बना बैठा 

फिर परिणय कैसा 

 

तेरा दामन छू कर 

जब कोई हवा का झोंका आये 

तेरी बाँहों में जब डूबूँ उतराऊँ 

फिर विलय कैसा 

ह्रदय के कोने में

दिल के जब जज़्बात लड़े 

तुम्हारा ह्रदय मेरे दिल से 

जब कोई बात करे

फिर दुःख-दर्द कैसा 

 

इक-दूजे में हम हैं समर्पण 

न हैं हम अनजान यहाँ पर 

एक-दूजे के हम हैं पूरक 

फिर विनय कैसा

 

मैं तुझमें तू मुझमें

फिर यह रोना कैसा…

 

प्रियंका द्विवेदी 

मंझनपुर कौशाम्बी