इस्लामाबाद: विश्वभर में मनी लांड्रिंग और आतंकवाद पर नजर रखने वाले एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की टीम अगले महीने पाकिस्तान जाकर आतंकवाद के विरुद्ध उसके कदमों को परखेगी। इस दौरे के बाद ही पाकिस्तान के एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट से बाहर निकलने पर फैसला होगा।
पाकिस्तानी मीडिया ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि एफएटीएफ की अगली पूर्ण बैठक अक्टूबर में होनी है और इससे पहले उसकी टीम सितंबर में वहां का दौरा कर सकती है। इस बेहद महत्वपूर्ण दौरे से पहले पाकिस्तान में बैठकों का दौर जारी है और वह संबंधित अधिकारियों के साथ अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है। उसके लिए सबसे बड़ी दिक्कत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से प्रतिबंधित आतंकियों के विरुद्ध अभियोजन है।
एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट में होने की वजह से किसी भी देश के लिए वित्तीय लेन-देन कठिन हो जाता है। एफएटीएफ की टीम के दौरे के मद्देनजर विदेश राज्यमंत्री हिना रब्बानी खार ने पिछले हफ्ते विदेश कार्यालय में एक बैठक की थी। नेशनल एफएटीएफ को-आर्डिनेशन कमेटी को पाकिस्तान की मनी लांड्रिंग और आतंकवाद के वित्त पोषण के विरुद्ध व्यवस्था की प्रभावशीलता में सुधार करने के लिए हाल में उठाए गए कानूनी, नीतिगत और प्रशासनिक कदमों के बारे में विस्तार से बताया गया। इस बैठक में शीर्ष स्तर के कई अधिकारी शामिल हुए थे।
एफएटीएफ ने जून के महीने में कहा था कि पाकिस्तान उसकी ग्रे लिस्ट में बना रहेगा और इसे सूची से हटाने का अंतिम फैसला पेरिस स्थित निकाय द्वारा ऑन-साइट सत्यापन यात्रा के बाद लिया जाएगा। इस फैसले की घोषणा बर्लिन में एफएटीएफ पूर्ण सत्र के समापन के बाद की गई थी। यहां दुनिया भर की सरकारों, संयुक्त राष्ट्र और आईएमएफ सहित सहयोगी संगठनों के प्रतिनिधियों ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की। वहीं, मार्च के महीने में एफएटीएफ ने पाकिस्तान से मनी लॉन्ड्रिंग जांच में सहयोग करने के लिए कहा था।