हिमाचल में होने वाले उपुचनावों में भाजपा या कांग्रेस में से कौन बाजी मारेगा, इस पर फैसला 30 अक्तूबर को हो जाएगा। मतदान के लिए चुनाव आयोग की ओर से सारी तैयारियां हो चुकी हैं। विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही भाजपा और महंगाई-बेरोजगारी के नाम पर सरकार को घेर रही कांग्रेस के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बने हुए हैं। बता दें कि मंडी संसदीय क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वहीं, यह चुनाव टिकट के दावेदारों को राजनीतिक भविष्य तय करेंगे। संसदीय क्षेत्र की 17 विधानसभा क्षेत्रों में चंद सीटों पर ही कांग्रेस का कब्जा है, जबकि भाजपा की झोली में अधिक सीटें आई हैं। कुल्लू, मंडी और लाहुल-स्पीति को ही लें तो यहां 14 विधानसभा में भाजपा काबिज है। यहां आम चर्चा है कि मंडी और रामपुर क्षेत्रों से मिलने वाली लीड प्रत्याशियों की हार जीत तय करेगी। गौरतलब है कि मंडी संसदीय क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है।
अधिकतर यहां कांग्रेस पार्टी से संबंधित सांसद बनें, लेकिन पिछले दो चुनावों में यहां भाजपा के रामस्वरूप न केवल विजयी हुए, बल्कि मोदी लहर में भारी मतों से जीतने का भी रिकॉर्ड बना गए। पिछले चुनाव में सभी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने बढ़त हासिल की थी, लेकिन अब उपचुनाव में परिस्थितियां बिलकुल अलग हंै। छह बार मुख्यमंत्री रहे स्व. वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह के मैदान में हैं। कांग्रेस को यहां वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों का आसरा है, तो भाजपा को जयराम के कामकाज का सहारा है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो दोनों दलों के प्रत्याशियों को अपने-अपने घर से मिलने वाली बढ़त हार-जीत तय करेगी। रामपुर क्षेत्र से कांग्रेस अधिक बढ़त के लिए जोर लगा रही है तो मंडी में खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कमान संभाले हुए हैं। माना जा रहा है कि चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में इसी वजह से दोनों दलों ने कुल्लू और लाहुल-स्पीति को फोकस किया। प्रचार के अंतिम दिनों में कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह कुल्लू और लाहुल घाटी के दौरे पर रहीं तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कुल्लू में चुनावी हुंकार भरी। (एचडीएम)
दावेदारों के लिए परीक्षा
यह चुनाव अपने-अपने चुनाव क्षेत्र में विधायक का टिकट के इच्छुक दावेदारों के लिए भी अग्निपरीक्षा माना जा रहा है। जो अपने इलाके में बढ़त दिलाएंगे, उनका एमएलए के टिकट पर दावा और मजबूत हो जाएगा। बहरहाल, चुनाव प्रचार थमने के बाद दोनों ही दल डोर-टू-डोर प्रचार अभियान में जुट गए हैं।