Saturday, November 2, 2024

राष्ट्रीय

पीएम के साथ बैठक में वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा, कई राज्यों की लोकलुभावन योजनाएं ठीक नहीं, श्रीलंका जैसा हो सकता है हश्र

In the meeting with the PM, senior bureaucrats said, the populist plans of many states are not good, there may be a fate like Sri Lanka

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ बैठक में कुछ अधिकारियों ने कई राज्यों द्वारा घोषित लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जताई और दावा किया कि वे आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं हैं और वे उन्हें श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं। यह बात सूत्रों ने रविवार को बताई।
चार घंटे की मैराथन बैठक
प्रधानमंत्री ने शनिवार को 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने शिविर कार्यालय में सभी विभागों के सचिवों के साथ चार घंटे की लंबी बैठक की। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष नौकरशाह भी शामिल हुए। 2014 के बाद से प्रधानमंत्री की सचिवों के साथ यह नौवीं बैठक थी।
सचिवों ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने फीडबैक साझा किए
सूत्रों ने बताया कि 24 से अधिक सचिवों ने अपने विचार व्यक्त किए और प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने फीडबैक साझा किए, जिन्होंने उन सब को ध्यान से सुना। दो सचिवों ने हाल के विधानसभा चुनावों में एक राज्य में घोषित एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया जो आर्थिक रूप से खराब स्थिति में है। उन्होंने साथ ही अन्य राज्यों में इसी तरह की योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वे आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं हैं और राज्यों को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं।
गरीबी का हवाला देकर प्रमुख विकास परियोजनाओं पर आगे नहीं बढ़ने की परिपाटी
बैठक के दौरान मोदी ने नौकरशाहों से स्पष्ट रूप से कहा कि वे कमियों (शार्टेज) के प्रबंधन की मानसिकता से बाहर निकलकर अधिशेष (सरप्लस) के प्रबंधन की नई चुनौती का सामना करें। मोदी ने उनसे प्रमुख विकास परियोजनाओं पर आगे नहीं बढ़ने के बहाने के तौर पर ‘गरीबी’ का हवाला देने की पुरानी परिपाटी छोड़ने और बड़ा दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा।
सचिवों के छह क्षेत्रीय समूहों का गठन किया
कोविड-19 महामारी के दौरान सचिवों ने जिस तरह से साथ मिलकर एक टीम की तरह काम किया, उसका उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में कार्य करना चाहिए न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिवों के रूप में और उन्हें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने सचिवों से सरकार की नीतियों में खामियों पर फीडबैक और सुझाव देने के लिए भी कहा, जिनमें वे नीतियां भी शामिल हैं जो उनके संबंधित मंत्रालयों से संबंधित नहीं हैं। ऐसी बैठकों के अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने शासन में समग्र सुधार के लिए नए विचारों का सुझाव देने के लिए सचिवों के छह-क्षेत्रीय समूहों का भी गठन किया है।