प्रशांत बख्शी
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद राज्य में मुस्लिम आबादी, देश में असम के बाद सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। ये ऐसे ही नही बढ़ रही है इसके पीछे एक षडयंत्र चल रहा है और इसके पीछे यूपी के पड़ोसी जिले सहारनपुर से मुस्लिम नेताओं के दिमाग चल रहे है जिनके संबंध देवबंद के मदरसों से भी बताए जा रहे है।
उत्तराखंड में यूपी से लगे सहारनपुर मुजफ्फरनगर जिले से बड़ी संख्या में मुस्लिम देहरादून और हरिद्वार में आकर बस रहे है। राजधानी देहरादून में एक बड़े षडयंत्र के तहत ये आकर बस रहे है। हाल के कुछ महीनो में ऐसे प्रमाण मिले है कि सहारनपुर देवबंद के मुस्लिमो ने देहरादून में रहने वाले हिंदू परिवारों की संपत्तियो और सरकारी भूमि को अपना बताते हुए दावा किया है कुछ मामलों में तो इनके द्वारा गुपचुप तरीके से अपने नाम इन सम्पत्तियो को चढवा भी लिया गया है और ये संपत्तियां विवाद का विषय भी बन गई है।
दरअसल देहरादून का सारा भूमि रिकॉर्ड 1956 से पहले का सहारनपुर की कमिश्नरी में दर्ज रहता था आज भी पुराने जमीनों के दस्तवेजो के लिए स्थानीय लोगो को सहारनपुर तहसील में जाना पड़ता है।
आजादी के वक्त देहरादून से बहुत से मुस्लिम लोग पाकिस्तान चले गए और उनकी संपत्तियों को भारत सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया और इसे शत्रु संपत्ति बोला जाता है। बंटवारे के वक्त दोनो देशों की अंतरिम सरकारों में ये तय हुआ था कि जो अपने देश में जितनी जमीन छोड़ कर गया उसे दूसरे देश यानी भारत वाले को पाकिस्तान में पाकिस्तान वाले को भारत में जमीन दी जाएगी। जो भारत से पाकिस्तान चले गए उनकी देहरादून में संपत्ति थी जिनमें एक नाम फैज मोहम्मद का भी थी जिनकी 5 बीघा जमीन बाद में सरकार द्वारआईटीआई गर्ल्स को दे दी गई जिसमे आज ये स्कूल और करनपुर थाने भी स्थापित है।खबर है कि इस जमीन के फर्जी वारिसान कागज सहारनपुर तहसील से तैयार करवा कर अपनी जमीन होने का दावा एक मुस्लिम ने कर दिया है। जब हंगामा हुआ तो वास्तविकता की खोज हुई।
करनपुर क्षेत्र के सभासद रहे विनय कोहली बताते है कि उक्त काबुल हाउस नाम की इस जमीन फैज मोहम्मद ने 1942में अपनी बहन वजीराबेगम को उनके निकाह में मेहर में दी थी। दोनो भाई बहन पाकिस्तान चले गए सरकार ने जमीन अपने कब्जे में लेली और आईटीआई खोल दिया। वजीरा की एक बहन देहरादून में शादी करके रहती थी वो भी 2001 में चल बसी अब इस सारी जमीन के वारिस पैदा हो गए है।इस मामले में स्थानीय निवासी एडवोकेट राजीव शर्मा बताते है कि सहारनपुर तहसील से ऐसे कागजात बना कर लाए जारहे है जिन्हे देखकर ये कहा जा सकता है कि देहरादून इन्ही लोगो की जागीर है, अफसोस इस बात का है कि अपने शासन प्रशासन के लोग इस षडयंत्र को अनदेखा कर रहे हैं,ये सोची समझी साजिश है।
श्री शर्मा बताते है कि देहरादून का प्रेम नगर,मच्छी बाजार,करनपुर जैसे कई क्षेत्र ऐसे है जहां विभाजन के बाद लोगो को लाकर यहां बसाया गया ये वो क्षेत्र थे जहां पहले मुस्लिम रहते थे और वो पाकिस्तान चले गए, अब उनके सौ साल से भी पुराने खाता खतौनी, खसरा, खेवट के आधार पर सहारनपुर से मुस्लिम आकर दावा करने लगे है कि ये जमीन जायदाद उनकी है,जबकि वो संपत्ति खसरा खेवट में बाद में कई बार बिक चुकी है।ये एक षडयंत्र खेला जा रहा है और यकीनन इसके पीछे देवबंद का दिमाग चल रहा है।जानकारी के मुताबिक फैज मोहम्मद के नाम से 1000 बीघा जमीन कैलेमनटाउन शिमला बाईपास में भी निकली थी इस शत्रु संपत्ति पर सरकार का कब्जा होना चाहिए था इस पर वर्तमान में किसने कब्जा कर रखा है इसकी जांच यदि गंभीरता से की जाए तो इन षड्यंत्रों का खुलासा भी होंजाएगा।
भू माफिया गिरोह की तरह हो रहा है काम
सहारनपुर तहसील और देहरादून तहसील में शहर की खाली पड़ी सरकार की और निजी जमीनों पर सौ से डेढ़ सौ साल पुरानी जमीनों के नक्शे खसरा खेवट निकाल कर फर्जी वारिसान दस्तावेज तैयार करके मालिकाना हक के दावे किए जा रहे है,इस गिरोह में तहसील के पुराने मुस्लिम रिटायर पटवारी और जमीनों के कानूनी जानकर लोग मिलकर काम कर रहे है। देहरादून में जमीनों के भाव आसमान पर है और ये भू माफिया लोग हिंदू कब्जेदारो को कानूनी दांव पेचो में फंसा कर भायदोहन कर रहे है।
आधारकार्ड बनाने वालो ने भी किया खेल
देहरादून में बढ़ती मुस्लिम आबादी और सरकारी भूमि पर कब्जा करने वालो के फर्जी दस्तावेज तैयार करने वालो में कुछ साल पहले आधार कार्ड बनाने वालो ने भी खेल खेला ,विश्वस्त सूत्र बताते है कि देहरादून मे आधार कार्ड बनाने वाले मुस्लिम युवक सहारनपुर रुड़की से आए थे और उन्होंने यहां एक षडयंत्र के तहत यहां मुस्लिम लोगो की बसावट के लिए फर्जी प्रमाणों के आधार पर आधार कार्ड बनाए जोकि आज देहरादून और हरिद्वार जिले में जनसंख्या असंतुलन का कारण बन गए है