Sunday, November 24, 2024

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अमूल-मदर डेयरी के बाद अब पारले-डाबर की सरकार से गुहार, टाल दें 1 जुलाई से बैन का फैसला

Prashant bakshi

देश में एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन (Plastic Ban) लगने वाला है. इस वजह से प्लास्टिक स्ट्रॉ भी प्रतिबंधित हो जाएगा. सरकार के इस फैसले की वजह से डेयरी प्रोडक्ट और सॉफ्ट ड्रिंक्स बेचने वाली कंपनियां परेशान हैं. 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन

पेपर स्ट्रॉ का आयात से बढ़ी लागत

देश में एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन (Plastic Ban) लगने वाला है. सरकार के इस फैसले ने पैक्ड जूस, सॉफ्ट ड्रिंक्स और डेयरी प्रोडक्ट वाली कंपनियों को तगड़ा झटका दिया है. इस प्रतिबंध के लागू होने के बाद बेवरेज कंपनियां प्लास्टिक स्ट्रा के साथ अपने प्रोडक्ट को नहीं बेच पाएंगी. ऐसे में अब पारले एग्रो (Parle Agro), डाबर (Dabur) और मदर डेयरी (Mother Dairy) जैसे डेयरी प्रोडक्ट (Dairy Products) बनाने वाली कंपनियां इंपोर्ट किए हुए पेपर स्ट्रॉ (Paper Straw) पर शिफ्ट हो रही हैं.

 

प्लास्टिक स्ट्रॉ के मुकाबले पेपर स्ट्रॉ की लागत अधिक पड़ रही है, लेकिन उत्पादों की बिक्री जारी रखने के लिए कंपनियां इसका सहारा ले रही हैं. कुछ कंपनियों ने सरकार से गुहार लगाई है कि प्रतिबंध को कुछ दिन बाद लागू किया जाए.

 

पेपर स्ट्रॉ का आयात

 

कंपनियां चाहती हैं कि सरकार प्रतिबंध को तब तक लागू न करे, जब तक पेपर स्ट्रॉ के उत्पादन के लिए उचित बुनियादी ढांचा विकसित नहीं हो जाता. पेपर स्ट्रॉ का आयात कंपनियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ा रहा है.

 

पारले एग्रो की सीईओ शौना चौहान ने कहा कहा कि भारत में फिलहाल जरूरत की मात्रा के अनुसार पेपर स्ट्रॉ के उत्पादन के लिए कोई बुनियादी ढांचा नहीं है. हमने प्रतिबंध के लागू होने से पहले पेपर स्ट्रॉ का आयात करना शुरू कर दिया है. हालांकि, आयात एक स्थायी विकल्प नहीं है. बताया गई है लागत

 

चौहान ने बताया कि पॉलीलैक्टिक एसिड (PLA) और पेपर स्ट्रॉ आयात करने की लागत क्रमश: 259 प्रतिशत और 278 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. इस वजह से ये 10 रुपये के प्रोडक्ट के साथ ये फिट नहीं बैठता. कंपनी फ्रूटी और एप्पी जैसे लोकप्रिय फलों के जूस और डेयरी पेय को छोटे पैक में बेचती है, जिसके लिए प्लास्टिक के स्ट्रॉ का इस्तेमाल होता है.

 

स्ट्रॉ के उत्पादन पर संकट

 

डाबर इंडिया लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक शाहरुख खान ने कहा कि कुछ राज्य नियामकों ने बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक स्ट्रॉ और पेपर स्ट्रॉ के उपयोग की अनुमति दी है, लेकिन बड़े पैमाने पर इन स्ट्रॉ के उत्पादन के लिए बुनियादी ढांचा आज भारत में मौजूद नहीं है. इसलिए, हम सरकार से आग्रह करेंगे कि स्थानीय स्तर पर पेपर स्ट्रॉ के उत्पादन के लिए उचित बुनियादी ढांचा विकसित होने तक प्रतिबंध को लागू करने की तारीख को आगे बढ़ाया जाए.उन्होंने कहा कि डाबर इंडिया ने नए नियमों का पालन करने के लिए पेपर स्ट्रॉ का भी आयात किया है. शाहरुख खान ने बताया कि अभी तक हम आयातित पेपर स्ट्रॉ के साथ अपनी आवश्यकता का केवल 10-15 प्रतिशत ही कवर कर पाएंगे, क्योंकि वैश्विक मांग और आपूर्ति अंतर बहुत बड़ा है. हम स्थानीय समाधान खोजने और प्लास्टिक स्ट्रॉ को बदलने के लिए विकल्प खोजने पर भी काम कर रहे हैं.

 

चार गुना महंगा

 

मदर डेयरी फ्रूट एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनीष बंदलिश ने कहा कि हम इन पेपर स्ट्रॉ का आयात करेंगे. ये मौजूदा प्लास्टिक स्ट्रॉ की तुलना में चार गुना अधिक महंगे हैं. हालांकि, अभी हम बढ़ी हुई लागत को वहन करेंगे और अपने उत्पादों की एमआरपी (MRP) बढ़ाने की योजना नहीं बना रहे हैं.

 

उन्होंने कहा कि मदर डेयरी काफी समय से प्लास्टिक के उपयोग को सीमित करने पर काम कर रही है. पिछले 3 वर्षों से हमारे सिस्टम में प्लास्टिक के चम्मच और लूज स्ट्रॉ नहीं हैं.

 

अमूल ने लगाई थी गुहार

 

हाल ही में डेयरी सहकारी अमूल (Amul) ने इस महीने की शुरुआत में पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पेपर स्ट्रॉ की पर्याप्त उपलब्धता की कमी के कारण प्लास्टिक स्ट्रॉ पर प्रतिबंध को एक साल के लिए स्थगित करने की मांग की थी. प्लास्टिक स्ट्रॉ समेत सिंगल यूज प्लास्टिक पर सरकार का प्रतिबंध 1 जुलाई 2022 से प्रभावी होने जा रहा है. इससे पहले, पारले एग्रो ने भी सरकार से प्लास्टिक स्ट्रॉ पर प्रतिबंध लगाने की समय सीमा छह महीने बढ़ाने का आग्रह किया था. पेपर स्ट्रॉ का उत्पादन

 

प्लास्टिक स्ट्रॉ पर प्रतिबंध के मद्देनजर, पैकेजिंग प्रमुख यूफ्लेक्स गुजरात के साणंद में अपने पैकेजिंग प्लांट में स्थानीय रूप से यू-आकार के पेपर स्ट्रॉ का उत्पादन करने के लिए तैयार है. यूफ्लेक्स के पैकेजिंग बिजनेस के सीईओ अश्विनी शर्मा ने कहा कि बेवरेज उद्योग द्वारा भारी मांग को पूरा करने के लिए हम पेपर स्ट्रॉ का उत्पादन शुरू करेंगे.

 

पहले चरण में हमारा निवेश लगभग 100 करोड़ रुपये का होगा. कंपनी का लक्ष्य अगस्त-सितंबर 2022 तक एक महीने में लगभग 1.2 बिलियन स्ट्रॉ का उत्पादन शुरू करना है.