सीएम धामी पढ़ाएंगे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को जीएसटी के बारे, साथ साथ फायदे भी बताएंगे
प्रशांत बख्शी
सार
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी ने दो गंभीर प्रश्न उठाए हैं। अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री का उत्तराखंड प्रेम केवल हमारी टोपी पहनने और चंद गढ़वाली- कुमाऊंनी शब्द बोलने तक सीमित है या इन बुनियादी सवालों पर भी वह हमारे साथ खड़े होंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य केंद्रीय मंत्रियों के सामने उठाए गए जीएसटी और टिहरी बांध में हिस्सेदारी के मुद्दे पर उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का साथ मिला है। पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि उत्तराखंड का जो हक है, वह उसे मिलना ही चाहिए। मुख्यमंत्री ने दोनों ही गंभीर प्रश्न उठाए हैं। केंद्र को इन पर शीघ्र फैसला लेना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि देश में जीएसटी लागू होने से जिन राज्यों को नुकसान हुआ है, उनमें से उत्तराखंड भी एक है। अब केंद्र की ओर से क्षतिपूर्ति देने की समयावधि खत्म होने को है। केंद्र की ओर से इस अवधि को कम से कम दस साल और बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री मोदी से टिहरी बांध में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी का मुद्दा भी उठाया है।उन्होंने कहा कि टिहरी बांध हमारी धरती पर बना है। इसमें यदि अविभाजित उत्तर प्रदेश का पैसा लगा है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह अनंत काल तक जो 25 प्रतिशत शेयर है, उसी को मिलता रहे। यह कानूनन अब उत्तराखंड को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी परिसंपत्तियों के बंटवारे के दौरान एक बड़ी गलती कोर्ट में इससे संबंधित वादों को वापस लेने का वचन देकर कर चुके हैं।,वरना निश्चत तौर पर इस मामले में उत्तराखंड के पक्ष में ही फैसला आता। उन्होंने कहा कि अब प्रधानमंत्री को यह फैसला लेना होगा कि टिहरी बांध में कमाई का जो हिस्सा उत्तरप्रदेश को जा रहा है, अब वह उत्तराखंड को मिले। हरीश ने इस पर तंज भी कसा है, उन्होंने कहा कि देखना होगा, प्रधानमंत्री का उत्तराखंड प्रेम केवल हमारी टोपी पहनने और चंद गढ़वाली- कुमाऊंनी शब्द बोलने तक सीमित है या इन बुनियादी सवालों पर भी वह हमारे साथ खड़े होंगे।