उइगरों को मिटाने के लिए चीन का खतरनाक कदम, बॉडी पार्ट काटकर तैयार कर रहा जीन बैंक
उइगरों को मिटाने के लिए चीन का खतरनाक कदम, बॉडी पार्ट काटकर तैयार कर रहा जीन बैंक
काफी समय से चीन द्वारा मुस्लिम विशेषकर उइगर मुस्लिमो पर कोई न कोई अत्याचार कर रहा है, जिस पर सारे मुस्लिम देश और मानवाधिकार चुप्पी साधे हुए हैं। जितने भी मानवाधिकार है ये केवल भारत में ही सक्रीय होते हैं।
उइगर मुस्लिमों के साथ अत्याचार की हर सीमा को पार कर चुका चीन अब उनके अंगों से अपने देश में जीन बैंक बनाना चाहता है। एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें ये चौंकाने वाली जानकारी का उल्लेख है। उइगरों पर तरह-तरह के जुल्मों के बाद अब चीन अपनी सेना की मदद से इस काम को अंजाम देने में लगा है।
अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी (IFFRAS) के मुताबिक, चीन में लोगों के अंगों को जबरन काटकर उसका DNA इकट्ठा करने का काम हो रहा है। इसके लिए लोगों के साथ जबरदस्ती की जाती है। जब लोग इसका विरोध करते हैं तो उन्हें गायब कर दिया जाता है।
चीन में होते मानवाधिकारों के हनन और भयावह रिकॉर्ड के कारण कुछ समय पहले मेडिकल कम्युनिटी ने आवाज उठाई थी कि चीन से आने वाली वैज्ञानिक पत्रिकाओं के लेख प्रस्तुतियाँ अस्वीकार की जाएँ। टोरंटो के इस थिंक टैंक के मुताबिक, सितंबर में आयोजित वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के सम्मेलन में इन्हीं चीजों को देखते हुए चीन के किसी भी आयोजन का बहिष्कार करने का प्रस्ताव भी रखा गया। साथ उसके किसी भी रिपोर्ट्स को अंतरराष्ट्रीय जनरल में जगह नहीं देने की माँग की गई। इसमें बताया गया कि हाल में चीन ने जो डेटा कलेक्ट किया वो ‘मास जेनेटिक टेस्टिंग’ के जरिए था, जिसे अल्पसंख्यक आबादी और निश्चित क्षेत्र से लिया गया।
थिंकटैंक ने कहा कि चीन का एल्गोरिदम हिरासत में लिए गए लोगों के अंग जबरन काटकर डेवलप होता है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि लोगों को जेनेटिक डेटा लेने के लिए कैसे-कैसे परेशान किया गया। थिंकटैंक के अनुसार जेनेटिक डेटा का उपयोग मानवाधिकार मानकों के अनुसार समस्याग्रस्त है क्योंकि इसे इकट्ठा करते समय सूचित सहमति आवश्यकताओं का दुरुपयोग व उल्लंघन होने का मामला शामिल था।
IFRAS ने कहा, “चीन के डिटेंशन सेंटर्स में उइगरों की कैद और मानवाधिकारों के निरंतर उल्लंघन में एक नया आयाम जुड़ा है। ये डीएनए और नस्लीय प्रोफाइलिंग हैं ताकि वो व्यापक स्तर पर डीएनए को इकट्ठा करके चयनात्मक जाति का सफाया कर सकें। इस हरकत को मानवता के विरुद्ध किया जाने वाला सबसे घटिया अपराध कहा जा सकता है जो कि चीनी प्रशासन कर रहा है।”
उक्त दावे से संबंधित ये रिपोर्ट अगस्त में प्रकाशित हुई थी जिसमें ये जानकारी दी गई थी कि चीन में उइगरों का सफाया करने के लिए कैसे काम किया जा रहा है। मालूम हो कि वहाँ इससे पहले भी तमाम तरह की ऐसी घटनाएँ हो चुकी हैं जिसने चीन के मानवीय व्यवहार पर सवाल उठाए हैं। मसलन डिटेंशन कैंप में रखकर उइगरों को प्रताड़ित करना, उन्हें यातनाएँ देना, महिलाओं से रेप करना, उनके एबॉर्शन करवा देना, उनके प्राइवेट पार्ट में मिर्च लगाना आदि।
साभार आर एल निगम