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उत्तराखंड में धामी सरकार ने अब ग्राम गौ संरक्षण समितियों के गठन के जरिए लोगों को रोजगार देने की योजना बनाई है। इसके शुरुआती चरण में अगले 6 महीनों में एक करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। जिसमें लगभग पचास गांवों के बेरोजगारों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। बता दें कि धामी सरकार ने इस योजना के जरिए गौ संरक्षण समितियों के हर सदस्य को आवारा गायों की रक्षा और पोषण के लिए प्रति माह लगभग 5,000 रुपये तक का भुगतान करने का फैसला लिया है।
बता दें कि यह फैसला शनिवार को पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा की अध्यक्षता में उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड की बैठक में लिया गया। बहुगुणा ने कहा कि राज्य सरकार ने आवारा पशुओं की सुरक्षा के लिए घोषित वार्षिक बजट को 2.5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 15 करोड़ रुपये करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश की तर्ज पर हमने हर रोज मिलने वाले चारे का बजट मौजूदा 6 रुपये से बढ़ाकर 30 रुपये प्रति गाय किया है।” राज्य के पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक आशुतोष जोशी ने बताया, “गांवों के अकुशल, कम पढ़े लिखे और बेरोजगार लोगों को ‘गौ सेवक’ नियुक्त किया जाएगा और आवारा गायों की देखभाल के लिए उन्हें प्रति माह 4,000 से 5,000 रुपये का भुगतान किया जाएगा। एक व्यक्ति को कम से कम चार से पांच गायों की जिम्मेदारी लेनी होगी और एक पशु के लिए कम से कम 900 रुपये का भुगतान किया जाएगा। इस परियोजना से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और साथ ही मवेशियों की समस्या भी हल होगी।”
जोशी ने कहा कि अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो बाद में युवाओं को सरकार द्वारा पशु कल्याण विभाग के अन्य कार्यों को पूरा करने के लिए लगाया जाएगा। उन्हें मवेशियों का टीकाकरण करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। जिसके लिए उन्हें अलग से प्रति गाय 12 रुपये का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा उन्हें जानवरों को टैग करना भी सिखाया जाएगा। इसके लिए उन्हें प्रति गाय 20 रुपये दिया जाएगा।