अडानी-अडानी चिल्ला रहे राहुल और कांग्रेस की शरद पवार ने तीन मिनट में निकाल दी हवा, जेपीसी से जांच की मांग को किया खारिज
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आम चुनाव से पहले कांग्रेस जनता को गुमराह करने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाती रहती है। 2019 के आम चुनाव से पहले राफेल डील और उद्योगपति अनिल अंबानी निशाने पर थे। इसकी भी शुरुआत विदेश में प्रकाशित एक रिपोर्ट से हुई थी। चुनाव खत्म होते ही राफेल डील और अनिल अंबानी का मुद्दा गायब हो गया। अब कांग्रेस इसका नाम तक नहीं लेती। इसी तरह 2024 के आम चुनाव से पहले जनता को फिर मूर्ख बनाने के लिए कांग्रेस एक नया मुद्दा लेकर आई है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अब राहुल गांधी के निशाने पर उद्योगपति गौतम अडानी है। करीब तीन महीने से राहुल गांधी और कांग्रेस के तमाम नेता सुनियोजित तरीके से अडानी का मुद्दा उठाकर प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को घेरने की कोशिश रहे हैं। इसी बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस की पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया है। अब कांग्रेस अपने ही बुने जाल में उलझती नजर आ रही है।
अडानी मामले की जेपीसी से जांच की मांग गलत- शरद पवार
8 अप्रैल,2023 को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने फिर दोहराया कि अडानी मामले की जेपीसी से जांच की मांग गलत है। उन्होंने कांग्रेस को जोरदार झटका देते हुए कहा कि एक जमाना ऐसा था जब सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करनी होती थी तो हम टाटा-बिड़ला का नाम लेते थे। टाटा का देश में योगदान है। आजकल अंबानी-अडानी का नाम लेते हैं, उनका देश में क्या योगदान है, इस बारे में सोचने की आवश्यकता है। हमारे सामने दूसरे मुद्दे ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि एनडीटीवी को दिया गया उनका इंटरव्यू अडानी को लेकर नहीं था, वह कई और मुद्दों को लेकर था, जिसमें मुझसे अडानी को लेकर भी सवाल पूछे गए थे।
“एक उद्योग समहू को टारगेट कर हमला किया गया है”
इससे पहले एनडीटीवी के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया से खास बातचीत करते हुए शरद पवार ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर देश में हंगामा करने पर सवाल उठाया। उन्होंने विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा कि विदेश में किसी व्यक्ति ने बयान दिया और भारत में हंगामा शुरू हो गया। जिस मुद्दे को लेकर हंगामा शुरू हुआ, उसे सामने लाने वाले कौन हैं। उनके बारे में जानने की जरूरत थी। हमने कभी उसका (हिंडनबर्ग) नाम भी नहीं सुना था। जिसने ये बयान दिया उसकी पृष्टभूमि क्या है? शरद पवार ने आगे कहा कि जब कोई व्यक्ति कोई मुद्दा उठाता है तो उसपर देश में हंगामा होता है, इसकी कीमत पूरे देश को चुकानी पड़ती है। अर्थव्यवस्था को कितना झेलना पड़ता है। इसको हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं। ऐसा लगता है कि यह पूरी तरह टार्गेटेड है। एक उद्योग समहू को टारगेट कर हमला किया गया है।
अडानी मामले में जेपीसी जांच की जरूरत नहीं
एनडीटीवी से बात करते हुए शरद पवार ने जो बयान दिया, उसे सुनकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को गहरा सदमा लगा होगा। पिछले तीन महीने से राहुल गांधी और उनके तमाम सरपरस्त अडानी मामले को तूल देकर प्रधानमंत्री मोदी को घेरने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन शरद पवार ने कांग्रेस की जेपीसी से जांच की मांग को एकतरफा करार दिया। उन्होंने स्पष्ट कर दिया अडानी मामले में जेपीसी जांच की जरूरत नहीं है। जेपीसी की कोई भी जांच प्रभावी तरीके से नहीं हो सकती, क्योंकि जब जेपीसी बनेगी उसमें बीजेपी का बहुमत रहेगा और अन्य दलों को अधिकतम एक या दो सदस्यों का ही प्रतिनिधित्व मिल पाएगा और ऐसे में वही निष्कर्ष निकाला जाएगा जो सत्ता पक्ष को चाहिए होगा। जब सुप्रीम कोर्ट ने जांच करने की घोषणा कर दी है, उसके बाद जेपीसी का महत्व नहीं रहा। जब कांग्रेस के इरादे को लेकर सवाल पूछा गया तो शरद पवार ने कहा कि कांग्रेस का इरादा क्या है मालूम नहीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा अपॉइंट की गई कमेटी की ही इम्पोर्टेंस है ये मालूम है।