Saturday, November 23, 2024

राष्ट्रीयस्पेशल

द्रास की चोटियों पर आज भी संतरी बनकर खड़ा मिग-21, खुद में कारगिल युद्ध का इतिहास समेटे यह फाइटर विमान

जम्मू : 23 साल पहले कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों पर कहर बरपाने वाला भारतीय वायुसेना का मिग-21 आज भी द्रास की चोटियों पर संतरी का प्रतीक बनकर खड़ा है। खुद में कारगिल युद्ध का इतिहास समेटे यह फाइटर विमान द्रास वार मेमोरियल में आने वाले देशवासियों को जहां गर्व का अहसास करवाता है, वहीं सरहद पार दुश्मन आज भी इसे याद कर यकीनन सिहर उठता होगा। कारगिल के हीरो मिग 21 विमान को वर्ष 2013 में द्रास वार मेमोरियल में खड़ा किया गया था, जो दर्शाता है कि किस तरह वायुसैनिकों ने ऊंचाई पर बैठे दुश्मन की नींव हिलाकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी।

कारगिल की दुर्गम पहाड़ियों के बीच 20 हजार फीट की ऊंचाई पर युद्ध अभियान अत्यंत कठिन था, उस पर नियंत्रण रेखा के अंदर रह कर दुश्मन पर आघात करना था। दुश्मन को निशाना बनाने में अत्यंत दक्षता की जरूरी थी। वायुसेना के मिग 21 और मिराज जैसे विमान कारगिल के हालात में लड़ने में उचित थे। ऐसे में वायुसेना द्वारा चलाए गए आपरेशन ‘सफेद सागर’ में मिग 21 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन नंबर 17 का हिस्सा बना।

इस स्क्वाड्रन का नेतृत्व कारगिल में सर्वाेच्च बलिदान देने वाले वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर अजय आहुजा ने किया था। दुश्मन पर मारक प्रहार करने वाले ये विमान पंजाब के र्बंठंडा से उड़े थे। वायु सेना ने लगभग 50 दिन में करीब 5000 उड़ानें भरीं थीं। हालांकि आपरेशन की शुरुआत में ही दुश्मन ने एक एमआई 17 को गिरा दिया था। ऐसे हालात में दुश्मन को मार गिराने के लिए आए मिग 21 व मिराज ने सटीक प्रहार से दुश्मन के कमांड कंट्रोल सिस्टम को तबाह कर दिया।

थल सेना के साथ बेहतर समन्वय काम आया : सेवानिवृत्त विंग कमांडर कमल सिंह ने कहा कि सेना व वायुसेना के बेहतर समन्वय के कारण ही दुश्मन को बुरी तरह से हराया जा सका था। वायुसेना ने हवा से दुश्मन पर करारा प्रहार कर भारतीय सेना को चोटियों पर कब्जा करने में पूरा सहयोग दिया था। कठिन हालात में साथ लड़ते हुए इन दोनों सशस्त्र सेनाओं ने साबित किया था कि हालात चाहे कितने भी कठित हों भारतीय वीरों को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है।

ऐसे हराया गया दुश्मन को : कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों के लिए चोटी पर बैठे दुश्मन से लड़ना आसान नहीं था। ऐसे में सेना और वायुसेना का बेहतर समन्वय काम आया। पहले वायुसेना हवाई हमला कर दुश्मन की बुनियाद हिला देती थी। दुश्मन के बंकर तबाह होते ही भारतीय सैनिक दुश्मन पर टूट पड़ते थे। इससे सेना को ऊंचाई पर दुश्मन का सामना करने में आसानी होती थी। कारगिल के युद्ध में वायुसेना ने 26 मई 1999 को मैदान में आते ही समीकरण बदल दिए थे। दुश्मन की सप्लाई लाइन को काट दिया गया। वायु सेना के मिग-21 के अलावा मिग 23, मिग-27, मिग-29, मिराज-2000 और जगुआर ने दुश्मन पर कहर बरपाया था। दुश्मन कभी सोच नहीं सकता था कि वायुसेना इतनी ऊंचाई पर सटीक प्रहार कर सकती है।

उपराज्यपाल ने कारगिल युद्ध के वीरों को किया याद : उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कारगिल युद्ध के शहीदों और वीरों की वीरता को श्रद्धांजलि दी। उपराज्यपाल ने कहा, मैं हमारे अमर नायकों की वीरता और साहस को सलाम करता हूं जिन्होंने हमारे महान राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए अपनी अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी और कारगिल में हमारी मातृभूमि के क्षेत्र को दुश्मन से वापस ले लिया। 26 जुलाई 1999 को पूरी दुनिया ने हमारे बहादुर सैनिकों के अद्वितीय साहस को देखा जिन्होंने दुर्गम चोटियों पर चुनौतियों को पार किया और देश की ताकत का प्रदर्शन किया। मैं मां भारती के उन निस्वार्थ और समर्पित सपूतों को नमन करता हूं। उपराज्यपाल ने कहा मैं हमारे बहादुरों के परिवारों के अदम्य साहस को भी सलाम करता हूं।